मुफ्त कला प्रशिक्षण से स्वावलंबन की डगर सुगम, मील का पत्थर साबित हो रहा समिति का प्रयास

महिलाओं को अपने पैरों पर खड़े होने में मदद कर रही मिथिला कला विकास समिति। कलाकारों की नई पौध तेजी से हुई आकर्षित। हजारों महिलाओं को प्रशिक्षित किया जा चुका है।

By Ajit KumarEdited By: Publish:Sun, 17 Mar 2019 06:43 PM (IST) Updated:Mon, 18 Mar 2019 09:10 AM (IST)
मुफ्त कला प्रशिक्षण से स्वावलंबन की डगर सुगम, मील का पत्थर साबित हो रहा समिति का प्रयास
मुफ्त कला प्रशिक्षण से स्वावलंबन की डगर सुगम, मील का पत्थर साबित हो रहा समिति का प्रयास

मधुबनी, [विनय पंकज]। विश्व प्रसिद्ध मधुबनी चित्रकारी यहां के कलाकारों के लिए नाम और दाम दोनों मुहैया करने का जरिया रही है। कलाकारों की नई पौध तेजी से इस ओर आकर्षित होती है। ग्रामीण इलाके के न्यून आर्थिक क्षमता वाले परिवारों के ऐसे ही कला साधकों को तराशने के लिए मुफ्त मधुबनी पेंटिंग का प्रशिक्षण देकर मिसाल कायम किया जा रहा है।

   आधी आबादी में मधुबनी पेंटिंग के माध्यम से स्वावलंबन की राह खोलने का लक्ष्य लिए इस कला की बारीकियों से महिलाओं को रूबरू कराते उन्हें रोजगार से जोडऩे में मिथिला कला विकास समिति का प्रयास मील का पत्थर साबित हो रहा है।

500 से अधिक महिलाओं को रोजगार

मिथिलांचल की थाती मधुबनी पेटिंग, सिक्की कला, गोबर पेटिंग को बढ़ावा देने के साथ ही ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को इस कला में पारंगत कर रोजगार से जोडऩे के उद्देश्य से वर्ष 1983-84 में स्थापित मिथिला कला विकास समिति के द्वारा अबतक हजारों महिलाओं को प्रशिक्षित किया जा चुका है। इनमें 500 से अधिक कलाकार स्वावलंबन की राह भी पकड़ चुकी हैं।

   समिति द्वारा मुफ्त प्रशिक्षण प्राप्त कर दस से पंद्रह हजार रुपये प्रतिमाह की आमदनी कर रोजगार के क्षेत्र में आगे बढ़ रहीं श्वेता कुमारी, सुरुचि कुमारी, प्रिया कुमारी, दीप्ति प्रिया, काजल झा, पुनीता कुमारी, रजनी कुमारी, पल्लवी कुमारी, सोनल कुमारी, अंबिका कुमारी, छाया कुमारी, आशा झा सहित कई कलाकारों का कहना है कि ग्रामीण स्तर पर समिति द्वारा मुफ्त प्रशिक्षण का लाभ मिल रहा है। पढ़ाई-लिखाई के साथ ही अपनी परंपरागत कला के लिए प्रशिक्षण का अवसर मिलना वरदान साबित हो रहा है।

सदस्यों की मदद से संचालित होता केंद्र

मधुबनी जिले के रहिका प्रखंड के ककरौल गांव में मिथिला कला विकास समिति द्वारा संचालित निश्शुल्क प्रशिक्षण केंद्र के मकान किराया, प्रशिक्षणार्थियों के लिए रंग, पेपर, कपड़े सहित अन्य वस्तुओं के अलावा दो महिला प्रशिक्षक, कार्यालय सहायक पर प्रतिमाह करीब 40 हजार रुपए व्यय का वहन समिति के तकरीबन 50 सदस्यों द्वारा किया जाता है। दर्जनों प्रशिक्षु दिन के तीन से चार घंटे कुशल प्रशिक्षकों की निगरानी में कला की बारीकियां सीख निष्णात हो रही हैं।

   समिति के अध्यक्ष ललितेश्वर झा ने बताया कि समिति की स्थापना साढ़े तीन दशक पूर्व ऐसे समय में की गई थी जब मिथिला क्षेत्र की कलाओं के प्रचार-प्रसार की काफी जरूरत महसूस की जा रही थी। फिर मधुबनी पेटिंग क्षेत्र में पद्मश्री का मुकाम हासिल करने वाली कलाकार गोदावरी दत्ता के सहयोग से समिति स्थापित कर मिथिला कला को निरंतर आगे बढ़ाने के साथ महिलाओं को कला से जोड़कर उन्हें स्वावलंबन की राह दिखाई जाने लगी।

   कला के अलावा समिति बाल संरक्षण, पर्यावरण संरक्षण, स्वच्छता अभियान सहित अन्य जन सरोकार के मुद्दों पर जागरूकता अभियान भी चलाती आई है। समिति सचिव मनोज कुमार झा ने बताया कि समिति के दूसरे केन्द्र का विस्तार रहिका प्रखंड के सौराठ गांव में किया गया है। सौराठ में समिति के दूसरे केंद्र का उद्घाटन वर्ष 2017 में पद्मश्री गोदावरी दत्ता द्वारा किया गया था।

   मधुबनी पेटिंग कलाकार दुलारी देवी ने कहा कि मिथिलांचल की कला को विकसित करने के साथ-साथ महिलाओं को इससे जोड़कर स्वरोजगार की राह दिखाना किसी तपस्या से कम नही है। इस दिशा में समिति की कोशिश सराहनीय है। निशुल्क प्रशिक्षण की सुविधा महिलाओं के लिए वरदान है।  

chat bot
आपका साथी