शिवहर: मैडम के अन्हरिया से डर लागेला, एह से उनकरा बदले हमहीं ड्यूटी करे आ गइनी

शिवहर के मातृ-शिशु अस्पताल में डीएम के न‍िरीक्षण के दौरान रोचक वाकया सामने आया। अन‍ियम‍ितता सामने आने के बाद नाराज नर्स के पत‍ि को डीएम ने रातभर हाजत में रखने की सजा दी। महकमे में हो रही तरह तरह की चर्चाएं।

By Ajit KumarEdited By: Publish:Fri, 12 Mar 2021 02:11 PM (IST) Updated:Mon, 15 Mar 2021 06:41 AM (IST)
शिवहर: मैडम के अन्हरिया से डर लागेला, एह से उनकरा बदले हमहीं ड्यूटी करे आ गइनी
डीएम के न‍िरीक्षण के दौरान सामने आया सच। फोटो : जागरण

शिवहर, जासं। यूं तो पूरे सूबे में सरकारी अस्पतालों की सेहत कुछ अच्‍छी नहीं है। आए द‍िन कहीं न कहीं से अन‍ियम‍ितता की श‍िकायतें म‍िलती रहती हैं। लेक‍िन, श‍िवहर से एक रोचक वाकया सामने आया है। यहां के सरकारी अस्‍पतालों का सच जानने के लिए सीएस और डीपीएम के साथ निकले डीएम सज्जन राजशेखर को कई खामियां मिलीं। इसी दौरान मातृ-शिशु अस्पताल में एएनएम नीता कुमारी के बदले मंगलवार देर रात उसका पति डयूटी करता हुआ म‍िला।

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 सूत्रों का कहना है क‍ि जब इस बारे में उससे पूछा गया तो कहा, मैडम को अंधेरेे से डर लगता है। इसल‍िए उनकी जगह मैं ही ड्यूटी करने आ गया। कहा जा रहा है क‍ि ड्यूटी से गायब रहने का यह तर्क डीएम साहब के गलेे नहीं उतरा। उन्‍होंने इसे लापरवाही मानते हुए पहले तो एएनएम के पत‍ि को रातभर हाजत में रखने की सजा दी। वहीं दूसरी ओर, सीएस को यह न‍िर्देश द‍‍िया क‍ि वे एएनएम नीता कुमारी से स्पष्टीकरण मांगें। उनसे पूछा जाए क‍ि क‍िन हालत में उनकी जगह पत‍ि ड्यूटी कर रहा था। 

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इन अस्‍पतालों में अन‍ियम‍ितता यहीं खत्‍म नहीं हुई। प्रसव कक्ष में गंदगी देख डीएम नराज हुए। उन्‍होंने वहां भर्ती मरीजों से भोजन के बारे में पूछताछ की। इसके बाद तरियानी पीएचसी पहुंचे। वहां भी कुछ अलग ही नजारा द‍िखा। प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, प्रखंड स्वास्थ्य प्रबंधक और एएनएम गायब म‍िले। इन तीनों से भी जवाब मांगने के ल‍िए सीएस से कहा गया है। निरीक्षण में रोस्टर नहीं मिला। रोस्टर के अनुसार डॉ. रमण कुमार स‍िंह व एएनएम किरण कुमारी की ड्यूटी थी। मगर दोनों गायब थे। परिसर और वार्ड में समुचित रोशनी की व्यवस्था नहीं थी। डीएम ने कर्मियों को फटकार लगाई। साथ ही गायब एंबुलेंस चालक और इएमटी को हटाने का निर्देश दिया। तरियानी बीडीओ को पीएचसी का नियमित निरीक्षण करने को कहा। ज‍िससे यहां की स्‍वास्‍थ्‍य व्‍यवस्‍था को पटरी पर लाना संभव हो सके। वैसे यह लापरवाही का कोई पहला मामला नहीं है। हर बार कार्रवाई होने के बाद भी इनलोगों के रवैये में कोई खास बदलाव देखने को नहीं म‍िल रहा है। इस वजह से सरकारी स्‍वास्‍थ्‍य व्‍यवस्‍था से लोगों का भरोसा उठता जा रहा है।   

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