वाल्‍मीकि टाइगर रिजर्व में मिला दक्षिण-पूर्व एशिया का दुर्लभ पशु 'गौर', जानिए इसकी खासियतें

बिहार के वाल्‍मीकि टाइगर रिजर्व में दुर्लभ गोवंशीय पशु गौर पाए गए हैं। जंगल में इनकी संख्‍या करीब 150 है। यहां बाघों की भी अच्‍छी संख्‍या है।

By Amit AlokEdited By: Publish:Thu, 05 Mar 2020 07:30 PM (IST) Updated:Thu, 05 Mar 2020 07:31 PM (IST)
वाल्‍मीकि टाइगर रिजर्व में मिला दक्षिण-पूर्व एशिया का दुर्लभ पशु 'गौर', जानिए इसकी खासियतें
वाल्‍मीकि टाइगर रिजर्व में मिला दक्षिण-पूर्व एशिया का दुर्लभ पशु 'गौर', जानिए इसकी खासियतें

पश्चिम चंपारण, जेएनएन। बिहार के वाल्मीकि टाइगर रिजर्व (वीटीआर) में दक्षिण-पूर्व एशिया में पाए जाने वाले दुर्लभ पशु ‘गौर’ के बड़े समूह का पता चला है। यह बड़ा गोवंशीय पशु है। पालतू गौर को गायल या मिथुन भी कहते हैं। इसका वजन 450 से 1200 किलोग्राम के बीच होता है। इससे बेहतर रखरखाव को लेकर जैव विविधता के क्षेत्र में दिए जाने वाले 'इंडिया बायोडायवर्सिटी अवार्ड’ के लिए वीटीआर की दावेदारी प्रबल हो गई है।

पहली बार कैमरे में कैद हुईं गोवंशीय पशु 'गौर' की तस्वीरें

वीटीआर में ग्रासलैंड का दायरा बढ़ाया गया। जगह-जगह वाटर होल बनाए गए। वातावरण अनुकूल हुआ तो फायदा दिखने लगा। बाघों के बाद दक्षिण एशिया और दक्षिण-पूर्व एशिया में पाए जाने वाले गोवंशीय पशु 'गौर' की संख्या बढ़ गई। पहली बार ट्रैप कैमरे में उनकी तस्वीरें कैद हुईं हैं।

'इंडिया बॉयोडायवर्सिटी अवार्ड-2020' के लिए दावेदारी प्रबल

बेहतर रखरखाव को लेकर जैव विविधता के क्षेत्र में दिए जाने वाले पुरस्कार 'इंडिया बॉयोडायवर्सिटी अवार्ड-2020' के लिए वीटीआर की दावेदारी अब प्रबल हो गई है।  इसके लिए वीटीआर ने आवेदन दिया है। यह अवार्ड वन मंत्रालय की ओर से दिया जाता है।

1200 किग्रा तक होता वजन, वीटीआर में 150 हो गई संख्‍या

'गौर' सामान्य पशुओं से बड़ा होता है। पालतू गौर को 'गायल' या 'मिथुन' भी कहते हैं। इसका वजन 450 से 1200 किलोग्राम तक होता है। वीटीआर में वर्ष 2016 में गौर की संख्या लगभग 25 से 30 थी। वर्तमान में 150 से अधिक हो गई है।

शाकाहारी जीव बढ़ेंगे तो बाघों को जंगल में ही मिलेगा भोजन

कुछ वर्ष पहले उचित रखरखाव न होने के कारण गौर वीटीआर से सटे नेपाल के चितवन टाइगर रिजर्व में चले गए थे। अब यहां उचित प्रबंधन के कारण इनकी संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है। यहां जंगल में ग्रासलैंड चार फीसद से बढ़ाकर 15 फीसद हिस्से में किया गया है। गौर का मुख्य भोजन घास ही है। जानवरों के पानी पीने के लिए 22 वाटर होल बनाए गए हैं। 44 एंटी पोचिंग कैंप भी है। जंगल के अंदर शाकाहारी जीव-जंतुओं की संख्या बढ़ेगी तो निश्चय ही बाघों को भोजन जंगल के अंदर ही मिलता रहेगा।

वन मंत्रालय ने भौतिक सत्यापन में सत्‍य पाया वीटीआर का दावा

वीटीआर के निदेशक हेमकांत राय ने बताया कि ट्रैप कैमरे में गौर का दिखना शुभ संकेत है। इससे वीटीआर की जैव विविधता पुरस्कार की दावेदारी मजबूत हो गई है। यह पुरस्कार सामुदायिक सहभागिता, अधिवास प्रबंधन, सुरक्षा के उपाय, जैव विविधता संरक्षण आदि के लिए दिया जाता है। वन मंत्रालय की ओर से कुछ दिन पहले आई विशेषज्ञों की टीम ने वीटीआर में चारों सही पाया था। उन्हें भारतीय गौर (गऊ परिवार के जीव) के झुंड को दिखाया गया था। इसी आधार पर वीटीआर को अवार्ड मिलने की उम्मीद है। यह अवार्ड अब तक वीटीआर को नहीं मिला है। इसमें दो से पांच लाख रुपये तक इनाम मिलता है।

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