पूर्वी चंपारण में आम के बगीचे के उचित प्रबंधन से बढ़ेगी उत्पादकता

बागों मे कहीं भी डाई-बैक रोग के लक्षण अधिक दिखाई देते हैं। इस रोग के प्रबंधन के लिए आवश्यक है की जहां तक टहनी सुख गई है। उसके आगे 5-10 सेमी हरे हिस्से तक टहनी की कटाई-छंटाई करके उसी दिन कॉपर ऑक्सीक्लोराइड का छिड़काव करें।

By Ajit KumarEdited By: Publish:Mon, 21 Dec 2020 08:47 AM (IST) Updated:Mon, 21 Dec 2020 08:47 AM (IST)
पूर्वी चंपारण में आम के बगीचे के उचित प्रबंधन से बढ़ेगी उत्पादकता
भारत में आम की खेती 2258 हजार हेक्टेयर में होती है। फाइल फोटो

पूर्वी चंपारण, जासं। फलों के राजा आम के बगीचे को मंजर आने के पूर्व बाग प्रबंधन जरूरी होता है। विभिन्न प्रकार के रोगों के लिए ससमय उपाय भी जरूरी होता है। इसके लिए अखिल भारती फल अनुसंधान परियोजना सह निर्देशक अनुसंधान डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा के डॉ. एसके सिह और एसआरएफ एवं आइसीएआर के डॉ. सुरजीत पाण्डेय ने किसानों को सुझाव दिया है। बताया है कि आम को फलों का राजा कहते हैं। भारत में आम की खेती 2258 हजार हेक्टेयर में होती है, जिससे कुल 21822 हजार मीट्रिक टन उत्पादन प्राप्त होता है। 

राष्ट्रीय उत्पादकता से बहुत ज्यादा

भारत में आम की उत्पादकता 9.7 टन/हेक्टेयर है। बिहार में आम की खेती 149 हजार हेक्टेयर होती है तथा कुल उत्पादन 2443 हजार टन है। बिहार में आम की उत्पादकता 16.37 टन/हेक्टेयर है, जो राष्ट्रीय उत्पादकता से बहुत ज्यादा है। आम के बाग में मंजर आने से पूर्व दिसम्बर माह में बाग का प्रबंधन कैसे करें? यह सवाल सबके समक्ष होता है। क्योकि अभी किया हुआ बाग का प्रबंधन ही निर्धारित करेगा की पेड़ पर कितने फल लगेंगे तथा उनकी गुणवक्ता कैसी होगी। आम की खेती की लाभप्रदता मुख्य रूप से समय पर बाग में किए जाने वाले विभिन्न कृषि कार्यो पर निर्भर करती है। एक भी कृषि कार्य या गतिविधि में देरी से बागवान को भारी नुकसान होता है और लाभहीन उद्यम होकर रह जाता है। इसलिए आम उत्पादकों के लाभ को दृष्टिगत सुझाव दिया गया है।

डाई-बैक रोग के लक्षण अधिक

प्रबंधनों को अपनाने से निश्चित रूप से फल उत्पादकों को अपनी उत्पादों की उत्पादकता, गुणवत्ता के साथ-साथ शुद्ध आय में वृद्धि होगी। उन्होंने बताया है कि बागों मे कहीं भी डाई-बैक रोग के लक्षण अधिक दिखाई देते हैं। इस रोग के प्रबंधन के लिए आवश्यक है की जहां तक टहनी सुख गई है। उसके आगे 5-10 सेमी हरे हिस्से तक टहनी की कटाई-छंटाई करके उसी दिन कॉपर ऑक्सीक्लोराइड (3ग्राम /लीटर पानी) का छिड़काव करें? तथा 10-15 दिन के अंतराल पर एक छिड़काव पुनः करें। आम के पेड़ में गमोसिस भी एक बड़ी समस्या है। इसके नियंत्रण के लिए सतह को साफ करें? और प्रभावित हिस्से पर बोर्डो पेस्ट लगाएं या प्रति पेड़ 200-400 ग्राम कॉपर सल्फेट मुख्य ताने पर लगाएं। गुम्मा व्याधि का संक्रमण होने पर एनएए 200, पीपीएम, 2 ग्राम/10 लीटर या 90 मि.ली./200 लीटर का छिड़काव करें।

बागों में इस साल सिचाई की जरूरत नहीं

इस वर्ष आम के बागों में पर्याप्त नमी है, इसलिए सिचाई की आवश्यकता नही है, अन्यथा हल्की सिचाई करना पड़ता। दिसम्बर माह में बाग की हल्की जुताई करें और बाग से खरपतवार निकाल दें, जिससे मिज कीट, फल मक्खी, गुजिया कीट एव जाले वाले कीट की अवस्थाए नष्ट हो जाएं। कुछ तो गुड़ाई करते समय ही मर जाती हैं, कुछ परजीवी एवं परभक्षी कीड़ों या दूसरे जीवों का शिकार हो जाती हैं और कुछ जमीन से ऊपर आने पर अधिक सर्दी या ताप की वजह से मर जाती है। इस महीने के अंत तक मिली बग के नियंत्रण के लिए आम के पेड़ की बैंडिंग की व्यवस्था करें। 25-30 सेमी की चौड़ाई वाली एक अल्केथेन शीट (400 गेज) को 30-40 सेमी की ऊंचाई पर पेड़ के तने के चारों ओर लपेटा जाना चाहिए। इस शीट को दोनों छोर पर बांधा जाना चाहिए और पेड़ पर चढ़ने के लिए मीली बग कीट को रोकने के लिए निचले सिरे पर ग्रीस लगाया जाना चाहिए। मिली बग कीट के नियंत्रण के लिए पेड़ के नीचे मिटटी में कार्बोसल्फान (100 मिली / 100 लीटर पानी) या क्लोरपायरीफॉस ग्रेन्यूल्स (250 ग्राम/पेड़) का छिड़काव/बुरकाव करना चाहिए। यदि गमोसिस के लक्षण दिखाई देते हैं, तो सतह को साफ करें और प्रभावित हिस्से पर बोर्डो पेस्ट लगाएं। 

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