यहां चचरी पुल से शुरू बहस उसी पर आकर हो जाती खत्म

बागमती नदी पर बनाए जा रहे बांध से विस्थापित लोगों के पुनर्वास की नहीं हुई व्यवस्था। जंगली पशु फसलों को कर रहे बर्बाद प्रशासन की ओर से नहीं की गई कोई व्यवस्था।

By Ajit KumarEdited By: Publish:Sun, 28 Apr 2019 05:23 PM (IST) Updated:Sun, 28 Apr 2019 05:23 PM (IST)
यहां चचरी पुल से शुरू बहस उसी पर आकर हो जाती खत्म
यहां चचरी पुल से शुरू बहस उसी पर आकर हो जाती खत्म

मुजफ्फरपुर, [अरुण कुमार झा]। जिला मुख्यालय से लगभग 35 किमी दूर स्थित है कटरा गांव। मुजफ्फरपुर लोकसभा क्षेत्र के इस गांव को शक्ति पीठ मां चामुंडा मंदिर के कारण ख्याति प्राप्त है। हाल के वर्षों में चचरी पुल यहां की नई पहचान बन गई है। यह क्षेत्र के विकास में सबसे बड़ी बाधा भी है। चुनावी चर्चा भी इसी पर होती है। गांव में मध्य व उच्च विद्यालय है। पड़ोसी गांव बकुची में कॉलेज है। शुरू से ही इस गांव में शिक्षा का स्तर ऊंचा रहा है। गांव में पढ़े-लिखे व उच्च पदों पर आसीन रहने वालों की अच्छी संख्या रही है। बावजूद इसके दो दशक से बागमती नदी पर बने चचरी व पीपा पुल के सहारे यहां के लोग जीवन बसर कर रहे हैं। बारिश में यह कष्टकारी है। हर चुनाव में नदी पर पुल बनाने के वादे किए जाते हैं, लेकिन इसका भी हश्र वही होता है जो अन्य वादों का होता है। पेश है रिपोर्ट।

अनदेखी से ग्रामीण निराश

मैं जिला मुख्यालय से लगभग 35 किमी दूर कटरा में गांव हूं। मुजफ्फरपुर-दरभंगा फोरलेन के मझौली चौक से कटरा के लिए मुड़ता हूं तो सड़क किनारे लहलहाते मक्के की खेतों से होकर कटरा गढ़ पर पहुंचता हूं। सुबह के 9 बजे हैं और अभी ही तापमान 22 डिग्री है। इससे कम यहां का चुनावी पारा भी नहीं। कटरा गढ़ पर मां चामुंडा के मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ है। दुकानें खुल गई हैं। चुनावी चर्चा भी चल रही है। इधर-उधर नजर दौड़ा कर आसपास के लोगों के मिजाज को टटोलने की कोशिश करता हूं। कुछ लोग मेरे पास जमा होते हैं। उसने मेरा सीधा सवाल होता है, चुनावी वादा आपको ख्याल है या नहीं। अंबकेश्वर सिंह कहते हैं कि क्या कीजिएगा सुनकर? उन वादों को क्या याद रखना जिसे पूरा करना ही नहीं होता?

विकास ही होगा वोट का आधार 

इस बीच वहां कई युवक, व्यवसायी व अन्य लोग भी जमा हो जाते हैं। आपस में चुनावी गणित व समीकरणों की चर्चा भी चल उठती है। सभी के अपने-अपने दावे भी सामने आते हैं। लेकिन इस बात से सभी इत्तेफाक जरूर रखते हैं कि कटरा का विकास ही वोट का आधार है।

दो दशक से चचरी पुल पर गुजर रहे लोग

कटरा की चर्चा हो और उसमें चचरी पुल न हो, यह कैसे हो सकता है? चचरी पुल से शुरू बहस उसी पर आकर खत्म हो जाती। उनके सवाल अनुत्तरित रह जाते हैं कि आखिर कब लोगों को इससे मुक्ति मिलेगी? चुनावी चर्चा में शामिल अंबकेश्वर सिंह कहते हैं कि दो दशक से बागमती नदी पर चचरी व पीपा पुल है। इससे गुजरने को लेकर अवैध राशि देनी होती है। बागमती नदी पर बनाए जा रहे बांध से विस्थापित हुए लोगों के पुनर्वास की व्यवस्था नहीं हुई।

चामुंडा स्थान का पर्यटन स्थल के रूप में हो विकास

चर्चा में शामिल हुए दिलीप सिंह ने कहा कि बांध के बीच की जमीन बेकार हो गई है। इसमें गुड़हन का वन उग आया है। यह जंगली सुअर व नीलगायों का बसेरा है। ये जंगली पशु किसानों की फसलों को बर्बाद कर देते हैं। शक्ति पीठ चामुंडा स्थान से थाना चौक तक की सड़क जर्जर है। श्रद्धालुओं के आस्था केंद्र को पर्यटक स्थल के रूप में विकसित नहीं किया गया।

अगले पांच साल में पुल बनने की उम्मीद

अतिक्रमण यहां की स्थाई समस्या है। बहस में शामिल ङ्क्षरकू अली, रजनीश कुमार, धर्मेंद्र ठाकुर, विद्यापति सिंह, संजय साह, पूर्व सरपंच बुद्धू राम, मो.अजुमल, धर्मेंद्र साह, अजय कुमार सिंह, मिथिलेश साह, सुरेश राय व रामवृक्ष सिंह कहते हैं कि शायद अगले पांच साल में चचरी पुल से मुक्ति मिल जाए।

एनएच की स्वीकृति मिलने से दिखी खुशी

मझौली फोरलेन से सीतामढ़ी के चोरौत तक की सड़क एनएच के रूप में विकसित होगी। इसे एनएच 527 सी नाम दिया जाएगा। यह कटरा से होकर गुजरेगी। इस एनएच में बागमती नदी पर पुल का भी प्रस्ताव है। इससे क्षेत्र में विकास को गति मिलेगी। इससे लोगों में खुशी है। उनका मानना है कि इसने उन्हें बेहतर सड़क मिलेगी और चचरी पुल से भी स्थाई छुटकारा मिल जाएगा। एनएच निर्माण को लेकर सर्वे का काम चल रहा है। इसकी धीमी गति को लेकर लोगों में नाराजगी भी दिखी । उनका कहना था कि इसमें अगर तेजी लाई जाती तो अब तक इसका निर्माण लगभग पूरा हो गया होता।

मां चामुंडा स्थान, जहां सब आते पूर्जा-अर्चना करने

जिले में शक्तिपीठ के रूप में विख्यात कटरा का मां चामुंडा स्थान यहां की खास पहचान है। नवरात्र में यहां पूजा-अर्चना को लेकर बड़ी संख्या में लोग आते हैं। चुनाव प्रचार में आने वाला हर नेता यहां जरूर सिर झुकाता है। कटरा गांव की आबादी लगभग छह हजार है। इसमें लगभग दो हजार मतदाता हैं। हाईस्कूल व अन्य सरकारी भवनों में मतदान केंद्र बनाए गए हैं।  

chat bot
आपका साथी