लापरवाही : ट्रैप के बाद चार्जशीट दाखिल करना ही भूल गई निगरानी ब्यूरो
निर्धारित 90 दिनों के अंदर निगरानी द्वारा चार्जशीट दाखिल करने की कानूनी बाध्यता है,लेकिन ट्रैप के बाद ब्यूरो कोर्ट में एक मामले में चार्जशीट ही दाखिल करना ही भूल गई ।
मुजफ्फरपुर [जेएनएन]। घूस के दो लाख रुपये लेते निगरानी अन्वेषण ब्यूरो के ट्रैप में फंसे सीतामढ़ी के जिला योजना पदाधिकारी ओम प्रकाश को जमानत मिल गई है। उन्हें सीआरपीसी की 167 (2) का लाभ देते हुए विशेष कोर्ट (निगरानी) ने जमानत दी है।
न्यायिक हिरासत में रहने के निर्धारित 90 दिनों के अंदर निगरानी द्वारा चार्जशीट दाखिल करने की कानूनी बाध्यता थी। लेकिन, ट्रैप के बाद ब्यूरो के अनुसंधानकर्ता कोर्ट में उनके खिलाफ चार्जशीट दाखिल करना ही भूल गए। इसका लाभ न्यायिक हिरासत में बंद आरोपी को मिला। विशेष कोर्ट की ओर से अनुसंधानकर्ता डीएसपी मुन्ना प्रसाद के लापरवाही बरतने पर उनके खिलाफ ब्यूरो के एसपी को पत्र भेजा गया है।
यह है मामला
ट्रैप की यह हाई प्रोफाइल घटना 13 मई की है। सीतामढ़ी के जिला योजना पदाधिकारी के पद पर कार्यरत ओम प्रकाश को निगरानी ब्यूरो की टीम ने डुमरा स्थित सरकारी आवास से उस समय गिरफ्तार कर लिया जब वे खगडिय़ा के मित्तल एजेंसी के प्रोपराइटर दीपक कुमार से बेंच-डेस्क आपूर्ति को लेकर दो लाख रुपये घूस ले रहे थे।
उन्हें गिरफ्तार कर पटना ले जाया गया। अगले दिन उन्हें मुजफ्फरपुर स्थित उत्तर बिहार के विशेष न्यायालय निगरानी के समक्ष पेश किया गया, जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया। तब से वे जेल में बंद थे।
ब्यूरो पर दबाव देने का आरोप
सीआरपीसी की धारा-164 के तहत कोर्ट में दर्ज बयान में ओम प्रकाश ने निगरानी अन्वेषण ब्यूरो के डीएसपी मुन्ना प्रसाद व इंस्पेक्टर अतनु दत्ता पर दबाव देने का आरोप लगाया था। कहा था कि ब्यूरो के अधिकारी ने उसे सरकारी गवाह बनाकर बचाने का लालच देकर सीतामढ़ी के डीएम राजीव रौशन को फंसाने को कहा था।