साहित्य सेवा के साथ आगे का सफर तय करेंगी गोवा की निवर्तमान राज्यपाल डॉ. मृदुला सिन्हा, जानें उनके मिशन

मुजफ्फरपुर के साहित्यिक कार्यक्रमों से डॉ. मृदुला का रहा लगाव।लोक कलाओं व लोकगीतों के जरिए लोक संस्कृति को रखा जीवित।

By Ajit KumarEdited By: Publish:Sat, 26 Oct 2019 08:42 AM (IST) Updated:Sat, 26 Oct 2019 08:42 AM (IST)
साहित्य सेवा के साथ आगे का सफर तय करेंगी गोवा की निवर्तमान राज्यपाल डॉ. मृदुला सिन्हा, जानें उनके मिशन
साहित्य सेवा के साथ आगे का सफर तय करेंगी गोवा की निवर्तमान राज्यपाल डॉ. मृदुला सिन्हा, जानें उनके मिशन

मुजफ्फरपुर,जेएनएन। गोवा की राज्यपाल डॉ. मृदुला सिन्हा सेवानिवृत्त होने के बाद दिल्ली में रहेंगी। खास बातचीत में डॉ. सिन्हा ने कहा कि 29 अगस्त को उनका कार्यकाल खत्म हो गया था। भारतीय संविधान के अनुसार राज्यपाल का कार्यकाल पांच साल का होता है। अब यहां से वापस दिल्ली जाएंगी। नए राज्यपाल सत्यपाल मलिक जब शपथ ग्रहण करेंगे तो उस समारोह में वह आएंगी। साहित्य की सेवा के साथ अगला मिशन क्या होगा, यह अब दिल्ली में ही तय होगा।

बताते चलें कि गोवा की राज्यपाल रहते हुए डॉ. मृदुला सिन्हा मुजफ्फरपुर के साहित्यिक व सामाजिक कार्यक्रमों में हिस्सा लेती रहीं। सभी मंचों से बिहार की लोक कलाओं, लोकगीतों को आवाज दीं। चकवा, छठ गीतों के जरिए लोक संस्कृति को जीवंत किया और उसकी महत्ता को रेखांकित किया।

डॉ. सिन्हा का सफर

मुजफ्फरपुर जिले के कांटी छपरा में 27 नवंबर 1942 को जन्मीं मृदुला जानी मानी ङ्क्षहदी लेखिका हैं। वे केंद्रीय समाज कल्याण बोर्ड, मानव संसाधन विकास मंत्रालय की पूर्व अध्यक्ष व भाजपा महिला मोर्चा की अध्यक्ष रह चुकी हैं। उन्होंने जय प्रकाश नारायण के नेतृत्व वाली 'समग्र क्रांतिÓ में सक्रियता से भाग लिया था। मनोविज्ञान में स्नातकोत्तर करने के बाद बीएड की डिग्री हासिल की थी। मोतिहारी स्थित डॉ. एसके सिन्हा महिला कॉलेज में व्याख्याता के रूप में अपने कॅरियर की शुरुआत की।

बाद में वह मुजफ्फरपुर के भारतीय शिशु मंदिर की प्रधानाचार्य बनीं। उनकी शादी औराई के मटिहानी निवासी डॉ. राम कृपाल सिन्हा से हुई। डॉ. मृदुला ने विभिन्न विषयों पर 46 से अधिक किताबें लिखी हैं। उनके साहित्यिक कार्य में 'ज्यों मेहंदी को रंगÓ (एक उपन्यास-जिस पर दूरदर्शन पर एक लघु फिल्म बनी), 'नई देवयानीÓ (उपन्यास), 'घरवासÓ (उपन्यास), 'सीता पुनी बोलीÓ (उपन्यास) और अन्य शामिल हैं। वह दिवंगत राजमाता विजयराजे सिंधिया की जीवनी लिख चुकी हैं। उनके कहानी संग्रह में 'एक दीये की दिवालीÓ, 'अपना जीवनÓ आदि हैं। उन्होंने बच्चों के लिए 'आईने के सामनेÓ, 'मानवी के नातेÓ और 'बिहार की लोक कथाएंÓ जैसे निबंध भी लिखे हैं।

विभिन्न अखबारों एवं पत्र-पत्रिकाओं में स्तंभ लिखती रही हैं। उनका नया उपन्यास मंदोदरी है। यह लंका के राजा रावण की पत्नी के जीवन पर आधारित है। सिन्हा ने कहा, यह अनोखा उपन्यास है। राजनीति में रुचि के संदर्भ में पूछे जाने पर बताया कि राजनीति में मेरी रुचि नहीं थी।

मेरे पति जनसंघ में आए और सक्रिय हुए। घर में भी नेताओं का आना-जाना लगा रहा। इस प्रकार 1967 के चुनाव में धीरे-धीरे मेरी रुचि राजनीति में बढ़ती गई। 1980 में अटलबिहारी वाजपेयी की चुनाव संयोजिका थी। फिर धीरे- धीरे जुड़ाव बढ़ता गया। महिला मोर्चा की प्रथम अध्यक्ष बनाई गईं। पति डॉ. रामकृपाल सिन्हा राजनीति में सक्रिय रहे। वे राज्य सरकार में कैबिनेट मंत्री और केंद्र सरकार में राज्यमंत्री रहे। वे भाजपा के केंद्रीय कार्यालय के प्रभारी भी रहे।  

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