पूर्वी चंपारण: बटेर का चूजा व अंडा उत्पादन कर प्रतिमाह चालीस हजार कमा रहा किसान कृष्णा

बटेर का अंडा व चूजा उत्पादन करके पूर्वी चंपारण जिले के संग्रामपुर प्रखंड के मधुबनी सुखलाहिया टोला निवासी कृष्णा सिंह महीने में चालीस हजार रुपये कमा कर लोगों के बीच रॉल मॉडल साबित हो रहे हैं। किसान कृष्णा के बटेर पालन की भी अजीब कहानी हैं। पढ़ें पूरी रिर्पोट...

By Murari KumarEdited By: Publish:Mon, 04 Jan 2021 12:44 PM (IST) Updated:Mon, 04 Jan 2021 12:44 PM (IST)
पूर्वी चंपारण: बटेर का चूजा व अंडा उत्पादन कर प्रतिमाह चालीस हजार कमा रहा किसान कृष्णा
मोतिहारी। मशीन में रखे अंडों से निकले चूजे को दिखाते किसान कृष्णा सिंह

संग्रामपुर (पूचं), जागरण संवाददाता। बटेर का अंडा व चूजा उत्पादन करके प्रखंड के मधुबनी सुखलाहिया टोला निवासी कृष्णा सिंह महीने में लगभग तीस चालीस हजार रुपये कमा कर लोगों के बीच रॉल मॉडल साबित हो रहे हैं। बटेर पालन में बेहतर करने को लेकर कृषि अनुसंधान केंद्र पीपराकोठी में पूर्व कृषि सह किसान कल्याण मंत्री राधामोहन सिंह द्वारा उन्हें सम्मानित भी किया जा चुका है।

 किसान कृष्णा के बटेर पालन की भी अजीब कहानी हैं। उनके भाई द्वारा सेवन के वास्ते पिछले आठ माह पूर्व बीस बटेर लाये गए थे। करीब एक माह तक घर पर ही रखा रह गया और उसने अंडा देना शुरू कर दिया। इसको देख कर कृष्णा को लगा क्यों न इसके अंडे से चूजा का उत्पादन किया जाए लेकिन शुरुआती दौर में उन्हें काफी कठिनाई हुई। बाद में उन्होंने काफी मशक्कत के बाद अंडे से चुज्जा निकालने के लिए एक होम मेड स्वदेशी मशीन ईजाद की। इसमें लगभग ढाई सौ अंडा रखने की व्यव्यस्था थी। किसान श्री सिंह बताते हैं कि वर्तमान में उनके पास पांच सौ के करीब बटेर हैं।

 बताया कि तीन मदा बटेर पर एक नर बटेर रखा जाता हैं। शुरुआती दौर में बटेर के प्रथम अंडों से चुज्जा का उत्पादन नही किया जाता क्योंकि इसके मरने आशंका रहती हैं। इसलिए दूसरी बार निकले अंडे से ही चुज्जा उत्पादन बेहतर हैं। अंडों से निकले बच्चों को दस दिनों तक लेयर दाना खिलाने के बाद अंडा देना शुरू कर देता हैं। इसके साथ ही उसका वजन करीब डेढ़ सौ ग्राम हो जाता हैं तो उसे मुर्गी का दाना देना शुरू किया जाता हैं। उन्होंने बताया कि मशीन में बटेर के अंडों से 15 से 17 दिन में जबकि बतख का 25 से 27 दिन में जबकि मुर्गी का 20 से 22 दिन में बच्चा निकलना शुरू हो जाता हैं। एक बटेर को तैयार करने में लगभग तीस रुपये की लागत आती हैं। जबकि बिक्री दर 50 से साठ रुपया होता हैं। अभी उत्पादन से ज्यादा बटेर की मांग हैं। इसके लिए व्यापक पैमाने पर उत्पादन की तैयारी चल रही हैं।

 इस बारे में केसरिया के पूर्व विधायक डॉ. राजेश कुमार ने कहा कि ऐसे किसान को सरकारी स्तर पर बैंकों से सहयोग दिया जाना चाहिए ताकि ऐसे लोग बेहतर ढंग से इनका व्यापार चल सके।

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