राष्ट्रीय लोक अदालत की 17 बेंचों में 1967 मामले का निष्पादन

मुजफ्फरपुर । जिला विधिक सेवा प्राधिकार के तत्वावधान में शनिवार को कचहरी परिसर में लोक अदालत आयोजित किया गया।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 15 Sep 2019 01:46 AM (IST) Updated:Sun, 15 Sep 2019 01:46 AM (IST)
राष्ट्रीय लोक अदालत की 17 बेंचों में 1967 मामले का निष्पादन
राष्ट्रीय लोक अदालत की 17 बेंचों में 1967 मामले का निष्पादन

मुजफ्फरपुर । जिला विधिक सेवा प्राधिकार के तत्वावधान में शनिवार को कचहरी परिसर में आयोजित राष्ट्रीय लोक अदालत में 1967 मामलों का निष्पादन किया गया। कुल पांच करोड़ 22 लाख 65 हजार 698 रुपये समझौता राशि तय की गई। मामले के निष्पादन के लिए न्यायिक अधिकारियों के 17 बेंच बनाए गए थे। राष्ट्रीय व राज्य विधिक सेवा प्राधिकार के निर्देश पर लोक अदालत का आयोजन किया गया था। इसका उद्घाटन जिला जज व जिला विधिक सेवा प्राधिकार के अध्यक्ष शैलेंद्र कुमार सिंह, सचिव रचना श्रीवास्तव व बैंक के पदाधिकारियों ने संयुक्त रूप से किया। वर्षा के बाद भी बड़ी संख्या में पक्षकारों ने इसमें भाग लिया। इन पक्षकारों ने आपसी सहमति से मुकदमों को समाप्त किया। इसमें न्यायालय से बाहर के 1507 व न्यायालयों में चल रहे 460 मामले शामिल हैं।

इन मामलों का हुआ निष्पादन :

कोर्ट से बाहर के मामले

बैंक ऋण के मामले :

कुल मामले : 6500

निष्पादित - 1472

समझौता राशि - तीन करोड़, 54 लाख 45 हजार 872

सुलहनीय फौजदारी, वैवाहिक व दीवानी विवाद के मामले

कुल मामले - 1013

निष्पादित - 35

समझौता राशि - 50 लाख 99 हजार 876

कोर्ट में लंबित मामले :

सुलहनीय फौजदारी मामले

कुल मामले : 583

निष्पादित - 410

बैंक ऋण वसूली :

कुल मामले : 05

निष्पादित : 04

समझौता राशि : एक लाख 53 हजार एनआइ एक्ट

कुल मामले -एक

निष्पादित -एक

एमएसीटी मामले

कुल मामले - 22

निष्पादित - 22

समझौता राशि - एक करोड़ 11 लाख 40 हजार रुपये

बिजली विपत्र विवाद

कुल मामले - 23

निष्पादित - 13

समझौता राशि - चार लाख 26 हजार 950 रुपये

वैवाहिक विवाद

कुल मामले - 24

निष्पादित - 10

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इनसेट : दहेज की मांग से हुए अलग, लोक अदालत ने मिलाया : दहेज की मांग को लेकर अलग-अलग रह रहे दंपति जब राष्ट्रीय लोक अदालत की शरण में आए तो उनके सारे गिले शिकवे दूर हो गए। दोनों राजी-खुशी से साथ-साथ घर जाने को तैयार हो गए। मामला बरूराज थाना का है। एक लड़की की शादी चार फरवरी 2016 को हुई थी। शुरू में सब कुछ ठीक रहा। बाद में ससुराल वाले दहेज की मांग करने लगे। इसको लेकर बहु को प्रताड़ित किया जाने लगा। मामला परिवार न्यायालय में पहुंचा और पीड़िता ने भरण-पोषण वाद दायर कर दिया। इसकी सुनवाई के बाद कोर्ट ने पीड़िता को पांच हजार रुपये प्रतिमाह भरण-पोषण राशि देने का आदेश उसके पति को दिया। इसआदेश की अवहेलना करने पर कोर्ट ने जब सख्ती दिखाई तो पीड़िता के पति के होश ठिकाने आया। तब दोनों राष्ट्रीय लोक अदालत में पहुंचे। दोनों के बीच आपसी सहमति से समझौता हुआ और दोनों खुशी-खुशी घर गए। दूसरा मामला गायघाट थाना क्षेत्र का है। एक लड़की की शादी 26 नवंबर 2014 को हुई थी। ससुराल वाले दहेज के लिए उसे प्रताड़ित कर रहे थे। वह इन दिनों मायके में रह रही थी। उसका भी मामला कोर्ट में चल रहा था। दोनों राष्ट्रीय लोक अदालत में पहुंचे तो आपसी सहमति बनी और मुकदमा समाप्त कर एक साथ रहने को तैयार हो गए।

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