AES in Bihar: गर्मी आते ही एईएस की आशंका से दहल उठता है कलेजा, लोगों की उड़ी हुई है नींद
गर्मी की धमक से ही एईएस की आशंका से लोगों का कलेज दहल उठता है। एईएस की भयावहता से नहीं उबर पा रहे गायघाट प्रखंड के पीडि़त परिवार। स्वजनों की नींद उड़ी एक बच्चे का चल रहा है इलाज।
मुजफ्फरपुर, संतोष कुमार। बिहार के मुजफ्फरपुर में एईएस का नाम आते ही लोगों का कलेजा कांप उठता है। गर्मी चढ़ते ही इस बीमारी की आशंका बढ़ जाती है। मुजफ्फरपुर के गायघाट प्रखंड क्षेत्र का मैठी गांव सबको याद होगा। पिछले साल यहां एईएस ने कहर ढाया था। कई बच्चे पीडि़त हुए थे। मैठी गांव के चंदन सिंह का बेटा भी इसकी चपेट में आया था। किसी तरह उसकी जान बची थी, लेकिन वह मानसिक रूप से अब भी बीमार है। गर्मी की धमक के साथ ही स्वजन डरे हुए हैं कि कहीं इस बार भी...। ये बच्चों को घर से बाहर नहीं जाने दे रहे हैं।
बीते वर्ष इस प्रखंड के 10 बच्चे एईएस से पीडि़त हुए थे। दो की मौत हो गई थी। पिछले साल के मुकाबले यहां स्थिति में कोई बदलाव नहीं आया है। रामनगर के मो. शहजैदा के पुत्र मो. खुवैद को पिछले 31 मार्च को एसकेएमसीएच में भर्ती कराया गया है। इलाज चल रहा है।
मैठी गांव में घर के सामने बैठे चंदन सिंह और उसके बगल में खेल रहा चार वर्षीय पुत्र लक्षवीर सिंह। चंदन के चेहरे पर चिंता की लकीर साफ दिख रही। वे कभी अपने पुत्र लक्षवीर को देखते तो कभी आसमां की ओर। पूछने पर कहते हैं कि गर्मी की धमक से ही पूरा परिवार डरा है। नौ जून 2019 का दिन कभी नहीं भूल पाएंगे, जब बेटा लक्षवीर एईएस से पीडि़त हो गया। किसी तरह तो बच गया, लेकिन मानसिक रूप से कमजोर हो गया है। अभी तक इलाज चल रहा है।
वे यहीं पर नहीं रुके। वे कहते हैं, बेटी मुस्कान को लेकर भी इसी तरह की चिंता है। वहीं, लोमा के संजीत मांझी के पुत्र अमित मांझी की मौत एईएस से हो गई थी। परिवार को मुआवजे की राशि मिली। लोमा के रूपलाल पासवान की 11 वर्षीय बच्ची शालू की मौत एसकेएमसीएच पहुंचकर हो गई थी। उन्हें अब तक मुआवजा नहीं मिला है। पीडि़त परिवार प्रखंड से जिला मुख्यालय तक चक्कर लगाने को विवश है।
बच्चों की तबीयत नरम होते ही मन घबरा जाता है। ईएस से पीडि़त बच्चों के स्वजन इसकी भयावहता से अब तक उबर नहीं पाए हैं। राहुल कुमार की मां चमेली देवी, प्रिंस कुमार के पिता रमेश सहनी, आलोक के पिता अनिल कुमार व शोभा कुमारी के पिता मुकेश पंडित कहते हैं कि बच्चों की तबीयत जरा सी खराब होती है तो मन घबरा जाता है। इधर, गायघाट के बीडीओ अनिल कुमार कहते हैं कि एईएस से मृत बच्चे के स्वजनों को मुआवजा दिया जा चुका है।