ट्रेन से गिरकर कांग्रेसी नेता की मौत

संवाद सूत्र, मुंगेर : जमालपुर प्रखंड के रतनपुर- पाटम के बीच पुल के समीप गुरुवार की रात चलती ट्रेन से

By Edited By: Publish:Fri, 22 May 2015 06:18 PM (IST) Updated:Fri, 22 May 2015 06:18 PM (IST)
ट्रेन से गिरकर कांग्रेसी नेता की मौत

संवाद सूत्र, मुंगेर : जमालपुर प्रखंड के रतनपुर- पाटम के बीच पुल के समीप गुरुवार की रात चलती ट्रेन से कांग्रेसी नेता रूपेश पासवान उर्फ टुनटुन गिर गया। गंभीर अवस्था में उसे सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। शव का पोस्टमार्टम कर परिजनों को सौंप दिया गया है। चिकित्सक सुधीर कुमार के मुताबिक रूपेश के सिर, किडनी एवं हाथ में अत्याधिक चोटें आने से उसकी मौत हो गई। बताते चलें कि मुफस्सिल थाना क्षेत्र के महेशपुर निवासी स्व. रामचंद्र पासवान का पुत्र रूपेश पासवान उर्फ टुनटुन गुरुवार को पटना में राजीव गांधी के पुण्य तिथि मनाने को लेकर आयोजित कार्यक्रम में भाग लेने गया था। वह कांग्रेस पार्टी के जमालपुर प्रखंड का उपाध्यक्ष था। मुखिया छविनाथ पासवान ने बताया कि मृतक के अंतिम संस्कार के लिए कबीर अंत्येष्टि योजना के तहत 1500 सौ रुपये दिया गया है। वहीं, पार्टी कार्यकर्ताओं ने रूपेश के शव पर पार्टी का झंडा, पुष्प व माला अर्पित कर उन्हें भावपूर्ण विदाई दी। जबकि, कांग्रेस पार्टी के जिलाध्यक्ष सौरभ निधि ने भी अंतिम संस्कार के लिए पांच हजार रुपये की राशि परिजन को दी। जानकारी के मुताबिक रूपेश स्टेशन आने के पूर्व अपने भाई सौरभ को फोन कर सूचना दी कि वे मोटर साइकल लेकर स्टेशन पहुंचे। इसी क्रम में उसके साथ यह हादसा हुआ।

रूपेश की अंतिम विदाई में कांग्रेसी नेता पंकज यादव, मो.नुरुल्लाह, साजन सम्राट , इंद्रदेव मंडल, सुनील पासवान, सरपंच पूनम भारती, राममोहन सिंह, सरपंच विभाष यादव आदि लोग मौजूद थे।

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अक्सर होता है पुल पर घटनाएं

संवाद सूत्र, मुंगेर : इंटरसिटी एक्सप्रेस का ठहराव रतनपुर स्टेशन में नहीं है, वहीं गाड़ी की रफ्तार कम कर दी जाती है। परिणाम लोग पश्चिम सिग्नल स्थित तीनमु़खी पुल के पास उतर जाते हैं। सुरक्षा दीवार नहीं रहने कारण अभी तक दर्जनों लोग हादसे का शिकार हो चुके हैं। उक्त जानकारी देते हुए इंद्रदेव मंडल ने बताया कि रेलवे प्रशासन को इस मुद्दे पर जल्द से जल्द ध्यान देनी चाहिए। वहीं, कांग्रेस नेता पंकज यादव ने बताया कि इसकी शिकायत कई बार रेलवे प्रशासन से की गई है। लेकिन, रेल प्रशासन का रवैया उदासीन है। अगर, रेल प्रशासन ने समस्या की समाधान को लेकर प्रयास किया होता, तो शायद आज रूपेश हमारे बीच होता।

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