पीएचसी में बुनियादी सुविधाओं का अभाव

मधुबनी। लगभग ढाई लाख की आबादी को प्राथमिक चिकित्सा उपलब्ध कराने के लिए घोघरडीहा प्रखंड मुख्यालय स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बुनियादी संसाधन एवं चिकित्सकों के अभाव में लोगों को समुचित इलाज मयस्सर नही हो रहा है। पिछले छह माह से बगैर एमबीबीएस के चल रहे घोघरडीहा पीएचसी खुद बीमार होकर अपने इलाज की बाट जोह रहा है।गत दिनों पीएचसी क्षेत्रांतर्गत संचालित अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र छजना में कार्यरत आयुष चिकित्सक को सीएस के द्वारा प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी बनाया गया है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 13 Jul 2019 10:48 PM (IST) Updated:Sat, 13 Jul 2019 10:48 PM (IST)
पीएचसी में बुनियादी सुविधाओं का अभाव
पीएचसी में बुनियादी सुविधाओं का अभाव

मधुबनी। लगभग ढाई लाख की आबादी को प्राथमिक चिकित्सा उपलब्ध कराने के लिए घोघरडीहा प्रखंड मुख्यालय स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बुनियादी संसाधन एवं चिकित्सकों के अभाव में लोगों को समुचित इलाज मयस्सर नही हो रहा है। पिछले छह माह से बगैर एमबीबीएस के चल रहे घोघरडीहा पीएचसी खुद बीमार होकर अपने इलाज की बाट जोह रहा है।गत दिनों पीएचसी क्षेत्रांतर्गत संचालित अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र छजना में कार्यरत आयुष चिकित्सक को सीएस के द्वारा प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी बनाया गया है। हालांकि निकासी एवं व्ययन का कार्य फुलपरास अनुमंडलीय अस्पताल के उपाधीक्षक देखेंगे। विभागीय बेरुखी और बिचौलियागिरी के कारण घोघरडीहा पीएचसी रेफर अस्पताल बनकर रह गया है।पीएचसी में पिछले कई महीनों से एक भी एमबीबीएस चिकित्सक पदस्थापित नहीं है जो स्वास्थ्य विभाग का पोल खोल रहा है।

यहां प्रतिदिन लगभग दो से ढाई सौ मरीजों आना जाना रहता है,पर मरीजों का समुचित इलाज दवा और चिकित्सक के अभाव में मयस्सर नहीं है।हां एक बात की चर्चा आम है कि निजी नर्सिंग होम के साठ-गांठ से पीएचसी में कथित तौर पर रैकेट चलाकर प्रसव के लिए आने वाली महिलाओं का आर्थिक दोहन का खेल जारी है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में स्वीकृत 10 चिकित्सा पदाधिकारी में एक भी कार्यरत नहीं है,दो आयुष चिकित्सक एवं प्रतिनियुक्ति के एक एमबीबीएस के सहारे प्रखंड के 17 पंचायत के ढाई लाख के आबादी का चिकित्सा व्यवस्था चलाने का प्रयास चल रहा है। फार्मासिस्ट के स्वीकृत पांच में दो कार्यरत है,स्वास्थ्य परीक्षक के स्वीकृत चार में एक कार्यरत हैं, तो स्वास्थ्य निरीक्षक के पद वर्षों से खाली पड़ा है। जो विभाग को आइना दिखा रहा है। इसी तरह लिपिक में स्वीकृत पांच में तीन, एएनएम के स्वीकृत दस में पांच तथा परिचायक के स्वीकृत पांच में एक ही कार्यरत है। चतुर्थवर्गीय कर्मी के स्वीकृत 14 में मात्र छह कार्यरत है।प्रयोगशाला प्रविधिकी के सभी स्वीकृत चार पद रिक्त है।इसी तरह संगणक,जीप चालक,प्रखंड प्रसार प्रशिक्षक,विशेष हैजा कार्यकर्ता,चेचक टीकाकर का पद वर्षों से रिक्त है। पीएचसी में बुनियादी स्वास्थ्य कार्यकर्ता के स्वीकृत 16 में 11 तो संविदा आधारित एएनएम के स्वीकृत 30 में मात्र 11 कार्यरत है। वित्तीय वर्ष 2019-2020 में पीएचसी के लिए सरकार के द्वारा ओपीडी मर निर्धारित 50 में 41 और इमरजेंसी के लिए 84 में 66 दवा उपलब्ध रहने की जानकारी जागरण पड़ताल के दौरान स्वास्थ्यकर्मी ने दी।सबसे विचित्र स्थिति यहां यह है दशकों से महिला चिकित्सक के अभाव में प्रसव कार्य एएनएम एवं पुरुष आयुष चिकित्सकों के द्वारा कराया जाता है जिससे होने वाली कठिनाइयों का अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है। जांच के नाम पर एक्सरे की भी सुविधा नही है।पड़ताल के दौरान मरीच मुकेश कुमार और रेखा देवी और सोनी कुमारी के परिजनों ने बताया कि न चिकित्सक है न दवा फिर भी भगवान भरोसे चल रहा है इलाज।अधिकांश दवाई बाजार से खरीदकर लाना मजबूरी है।प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. कपिलेश्वर प्रसाद ने कुमार ने कहा कि समस्याओं से विभाग को अवगत कराया गया है। कहा कि मेरे योगदान के बाद रेफर कम हुआ है।

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