प्रशासनिक दूरदर्शिता का दिखा अभाव

कलुआही (मधुबनी), संस : लोहा परिक्षेत्र के बिजली उपभोक्ताओं द्वारा बीते सोमवार से चलाए गए चक्का जाम आ

By Edited By: Publish:Wed, 17 Dec 2014 10:55 PM (IST) Updated:Wed, 17 Dec 2014 10:55 PM (IST)
प्रशासनिक दूरदर्शिता का दिखा अभाव

कलुआही (मधुबनी), संस : लोहा परिक्षेत्र के बिजली उपभोक्ताओं द्वारा बीते सोमवार से चलाए गए चक्का जाम आदोलन को कलुआही आरडीओ के अथक प्रयास से उसी शाम को तत्काल स्थगित करवा तो लिया गया, लेकिन इसने अपने पीछे ऐसे कई सवाल भी छोड़ गया जिस पर विचार करना आवश्यक है।

आदोलन की पृष्ठभूमि :

लोहा परिक्षेत्र के बिजली उपभोक्ता बिजली की समस्या को लेकर गत जून को रामनगर सबस्टेशन पर शिकायत करने गए थे जिसपर कनीय अभियन्ता कि साथ सौहार्दपूर्ण माहौल में वार्ता होने के बाद भी कनीय अभियन्ता ने रहिका थाना में काड दर्ज करा दिया। जिसके विरुद्ध 25 जुलाई को लोहा में चक्का जाम किया गया। आंदोलनकारियों के चार मांगों में बिजली विपत्र जयनगर से मधुबनी से निर्गत करने, शहरी विपत्र के बदले शहरी सुविधा देने, उपभोक्ताओं के खिलाफ किए गए एफआइआर को निरस्त करने एवं सौराठ फीडर से जोड़ने की माग पर बिजली विभाग के पदाधिकारियों ने एक माह के अंदर सभी मागों पर कार्रवाई करने का लिखित आश्वासन दिया था। लेकिन पाच माह बीत जाने के बाद इस दिशा में कोई कार्रवाई नहीं की गई। इसके बाद उपभोक्ताओं ने बीते सोमवार को सड़क जाम कर आंदोलन शुरू कर दिया। मौके पर पहुंचे कलुआही के बीडीओ दीनबंधु दिवाकर संबंधित पदाधिकारियों से बात कर एक माह का फिर से समय समस्याओं के समाधान के लिए लिया है।

प्रशासन की लापरवाही :

आखिर जब सप्ताह भर पूर्व से ही प्रशासन और विभाग को इस आदोलन की खबर दे दी गई थी तब आखिर वह आदोलन का ही इंतजार क्यों करता रहा। जबकि एक बार फिर उसे आश्वासन ही देना था।

पहल में हुई खामियां :

अगर एक दिन पहले भी इस ओर पहल की जाती तो आम जनता को वह परेशानी नहीं उठानी पड़ती जो इस जाम के कारण हुई। साथ वे पदाधिकारी जो किसी माग को पूरा करने में सक्षम नहीं होते उन्हें क्यों विभाग आदोलनकर्ताओं से समझौता करने के लिए भेजता है और जब एक बार समझौता हो जाता है तो फिर उसे लागू करने में आनाकानी किस लिए?

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