बिहार: सिंहेश्‍वर धाम की 'शिवगंगा' के बहुरेंगे दिन, 'हर की पौड़ी' की तर्ज पर होगा विकास

बिहार के प्रसिद्ध सिंहेश्‍वर मंदिर स्थित शिवगंगा को हरिद्वार के हर की पौड़ी की तर्ज पर विकसित किया जाएगा। मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार के आदेश पर पर्यटन विभाग काम शुरू का चुका है।

By Amit AlokEdited By: Publish:Mon, 29 Jan 2018 06:24 PM (IST) Updated:Mon, 29 Jan 2018 06:27 PM (IST)
बिहार: सिंहेश्‍वर धाम की 'शिवगंगा' के बहुरेंगे दिन, 'हर की पौड़ी' की तर्ज पर होगा विकास
बिहार: सिंहेश्‍वर धाम की 'शिवगंगा' के बहुरेंगे दिन, 'हर की पौड़ी' की तर्ज पर होगा विकास

मधेपुरा [राकेश रंजन]। बिहार के मधुपुरा स्थित सिंहेश्‍वर मंदिर परिसर स्थित 'शिवगंगा' को हरिद्वार की हर की-पौड़ी की तरह विकसित करने की योजना है। हर की पौड़ी या हरि की पौड़ी उत्तराखण्ड की धार्मिक नगरी हरिद्वार का धार्मिक स्थल है। उसी की तरह शिवगंगा को भी धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने का प्रयास किया जा रहा है।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के निर्देश पर पर्यटन विभाग द्वारा यहां घाटों का निर्माण कराया जा रहा है। जिलाधिकारी मो. सोहैल ने बताया कि शिवगंगा के बीचों-बीच भगवान भोलेनाथ की विशालकाय प्रतिमा लगाई जाएगी। प्रतिमा की जटा से पानी की फुहार निकलती रहेगी। बाबा का नीलकंठ रूप दिखाने के लिए प्रतिमा के नीचे चारों तरफ नीली लाइट लगाई जाएगी।

मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा अलग-अलग किश्तों में शिवगंगा की बेहतरी के लिए अब तक पांच करोड़ से अधिक की राशि दी जा चुकी है। काम के पहले चरण में दो करोड़ 80 लाख 54 हजार रुपये खर्च कर पश्चिमी घाट का निर्माण कराया गया था। अब दूसरे चरण में पूरब की तरफ सीढ़ीनुमा घाट बनाया जा रहा है। इस चरण में एक करोड़ 23 लाख रुपये खर्च किए जाने हैं।

पर्यटन विभाग द्वारा काम कराने के लिए भवन निर्माण विभाग को अधिकृत किया गया है। पर्यटन विभाग ने इसके लिए राशि स्वीकृत कर ली है। शिवगंगा के पानी को साफ रखने के लिए ड्रेनेज सिस्टम भी बनाया गया है। इससे एक पाइप को बगल में गुजरने वाली नदी तक ले जाया गया है, ताकि गंदा पानी नदी में बह जाए। इस काम पर लगभग 25 लाख रुपये खर्च किए जा चुके हैं।

जानिए, क्‍या है हर की पौड़ी

हर की पौड़ी या हरि की पौड़ी भारत के उत्तराखण्ड की एक धार्मिक नगरी हरिद्वार का सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है। इसका भावार्थ "हरि यानी नारायण के चरण" है। हिन्दू धार्मिक मान्यता के अनुसार समुद्र मंथन के बाद जब भगवान विश्वकर्मा अमृत के लिए झगड़ रहे देव-दानवों से बचाकर अमृत ले जा रहे थे तो उसकी कुछ बूंदें पृथ्वी पर गिर गईं। वे स्थान धार्मिक महत्व के बन गए। अमृत की कुछ बूंदे हरिद्वार में भी गिरी, जहां हर की पौड़ी है। माना जाता है कि यहां स्नान करने से मोक्ष मिलता है।

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