नवरात्र में कन्या पूजन से होती है मुरादें पूरी, पांचवें दिन स्कंदमाता की हुई पूजा

मधेपुरा। शारदीय नवरात्र के पाचवें दिन माता के पाचवें स्वरूप स्कंदमाता की पूजा-अर्चना की गई। ि

By JagranEdited By: Publish:Wed, 21 Oct 2020 11:57 PM (IST) Updated:Wed, 21 Oct 2020 11:57 PM (IST)
नवरात्र में कन्या पूजन से होती है मुरादें पूरी, पांचवें दिन स्कंदमाता की हुई पूजा
नवरात्र में कन्या पूजन से होती है मुरादें पूरी, पांचवें दिन स्कंदमाता की हुई पूजा

मधेपुरा। शारदीय नवरात्र के पाचवें दिन माता के पाचवें स्वरूप स्कंदमाता की पूजा-अर्चना की गई। जिले के सभी मंदिरों में वैदिक मंत्रोच्चार एवं विधि विधान के साथ नवरात्र की पूजा की जा रही है। कोरोना महामारी को ले जारी गाइडलाइन के अनुसार पूजा की जा रही है। सुबह-शाम मंदिरों में होने वाली आरती में भी पुजारी के अलावा गिने-चुने लोग ही शामिल होते हैं। नवरात्र में माता रानी के अराधना के साथ कन्या पूजन से श्रद्धालुओं को मनवांछित फल की प्राप्ति होती है। नवरात्र के अवसर पर पुरैनी में आचार्य दिनकर झा ने बताया कि कन्या पूजन से मां दुर्गा काफी प्रसन्न होती है। इससे भक्तों की सारी मुरादें पूरी होती है। उन्होंने भक्तों को कुंवारी कन्याओं को अपने घर बुलाकर भोजन कराने की बात कही। उन्होंने कन्या पूजन को ले विधि बताते हुए कहा कि दो वर्ष की कन्या को कुमरिका, तीन वर्ष की कन्या को त्रिमूर्ति, चार वर्ष की कल्या को कल्याणी, पांच वर्ष की कन्या को रोहिणी, छह वर्ष की कनय को कालिका, सात वर्ष की कन्रूा को चंडिका, आठ वर्ष की कन्या केा शाम्भवी, नौ वर्ष की कन्या को दुर्गा एवं दस वर्ष वाली कन्या को सुभद्रा कहा गया है। दस वर्ष से ऊपर वाली कन्या का पूजन दुर्गा पूजा की उपासना में निषेद्य माना गया है। उन्होंने भक्तों को दो से दस वर्ष तक के उम्र वाली कन्याओं को ही इस पूजन में शामिल करने को कहा। इसमें कुमारिका के पूजन से धन, आयु, बल, बुद्ध्रि त्रिमूर्ति की पूजन से धर्म, अर्थ व कामना, कल्याणी के पूजन से विद्या,विजय,राज्य व सुख, रोहणी के पूजन से रोग नाश के लिए एवं कालिका की भक्तिपूर्वक आराधना से शत्रुओं का नाश होता है। कुमारी कन्या चंडिका की पूजा से ऐश्वर्य एवं धन की प्राप्ति होती है। उन्होंने सभी लोगों दुर्गा पूजा में कन्या पूजन कर माता रानी से आशीर्वाद लेने को कहा।

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