..तो पर्यटन क्षेत्र के रूप में विकसित होगा नयानगर भगवती मंदिर

[विनोद विनित], उदाकिशुनगंज(मधेपुरा) : उदाकिशुनगंज के प्रसिद्ध नयानगर का भगवती मंदिर को पर्यट

By Edited By: Publish:Mon, 22 Aug 2016 03:01 AM (IST) Updated:Mon, 22 Aug 2016 03:01 AM (IST)
..तो पर्यटन क्षेत्र के रूप में विकसित होगा नयानगर भगवती मंदिर

[विनोद विनित], उदाकिशुनगंज(मधेपुरा) : उदाकिशुनगंज के प्रसिद्ध नयानगर का भगवती मंदिर को पर्यटन स्थल के रुप में विकसित किये जाने की कवायद शुरु हो चूकी है। प्रखंड प्रशासन ने जिलाधिकारी के माध्यम से सरकार के पास प्रस्ताव भेजा है। प्रस्ताव की मंजूरी मिलते ही मंदिर पर्यटक स्थल के रूप में विकिसत होगा। बीडीओ षषिभूषण कुमार ने बताया कि मंदिर पर्यटक स्थल के रूप में विकसित होने से काफी फायदा होगा। विकास की नई बयार बहेगी।

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15 एकड़ जमीन में फैला है मंदिर

वैसे तो मंदिर को तीन टुकड़ो में 24 एकड़ जमीन है। ¨कतु मंदिर परिसर 15 एकड़ जमीन में फैला हुआ है। इसमें तलाब भी है। पांच एकड़ जमीन नदी और चार एकड़ जमीन शेखपुरा चमन गांव के समीप है। मंदिर परिसर में ही लक्ष्मीनारायण और हनुमान मंदिर का निर्माण हो रहा है।

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दूर-दूर तक फेली है प्रसिद्धि

मंदिर की प्रसद्धि सूबे के अलावे नेपाल, बंगाल एवं अन्य प्रदेशों में भी फैला हुआ हे। मान्यता है कि यह भक्तों कि मनोकामनाएं पूर्ण होती है। इस मंदिर से कोई भी भक्त आज तक खाली हाथ नहीं लौटा है। सप्ताह में तीन दिन बैंरांगन लगता है। सोमवार, बुधवार और शुक्रवार को बकरे की बली प्रदान की जाती है।

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शारदीय नवरात्र में है विशेष महत्व

शारदीय नवरात्र में मंदिर का विशेष महत्व है। नवरात्र में मंदिर में हर दिन श्रृंगार पूजा होती है। भक्त कई दिनों तक उपवास में रहकर कर माता की अराधना करते हैं। दीपों क्षेत्र से जगमग हो उठता है। नवरात्रा में दूर दूर से भक्त विशेष पूजा को देखने पहुंचते हैं।

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चंदन वन में आपरूप माता का हुआ था अवतार

पुराने युग में मंदिर वाली जगह पर विशाल घना चंदन वन हुआ करता था। इसी वन में माता का अवतार हुआ था। बताया जाता है कि राक्षसों का वध करने के लिए मां भगवती ने अवतार लिया। जहां राक्षसों का संहार किया। माता काले रंग की पत्थर पर विरजमान हैं। इसके सिर पर कमल है। पत्थर पर खरोस्टि भाषा में कुछ लिखा हुआ है। इसे लोग पढ़ नहीं पाते हैं। यद्यपि गांव में चंदन के कुछ पेड़ आज भी मौजूद है।

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दैत्य पोखर है चर्चित

कहा जा रहा कि पोखर की खुदाई राक्षसों ने अपने दांत से की थी। पोखर उसी समय का है। जिसे देखने के लिए लोगो की भीड़ लगी रहती है। चर्चा सुनकर लोग पोखर को देखने दूर दूर से पहुंचते हैं।

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मंदिर में हर साल होती लाखों की आय

हर साल मंदिर में लाखों की आय अर्जित होती है। मंदिर ट्रस्ट के अधीन है। अनुमंडल पदाधिकारी ट्रस्ट के अध्यक्ष है जबकि ग्रामीण रणधीर ¨सह सचिव है। ट्रस्ट में अन्य सदस्य भी है। समय पर ट्रस्ट की बैठक होती है। इसमें आय का लेखा-जोखा का मिलान होता है। वहीं हर साल मंदिर की प्रगति पर चर्चा होती है।

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नयानगर भगवती मंदिर को पर्यटक स्थल के रूप में विकिसत किए जाने का प्रस्ताव सरकार के पास भेजा गया है। प्रस्ताव की मंजूरी मिलने के बाद आगे की कार्रवाई होगी। वैसे मंदिर पर्यटक रूप में विकसित होने की सारी प्रक्रियाएं को पूर्ण करती है। उम्मीद है कि सरकार से मंजूरी मिल जाएगी।

शशिभूषण कुमार

बीडीओ

उदाकिशुनगंज, मधेपुरा

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