कवि सम्मेलन में खूब लगे ठहाके, जमकर बजी तालियां

किशनगंज। दैनिक जागरण द्वारा एमजीएम मेडिकल कॉलेज में आयोजित कवि सम्मेलन में गुरुवार की रात्रि 8.30 बज

By JagranEdited By: Publish:Fri, 26 May 2017 11:34 PM (IST) Updated:Fri, 26 May 2017 11:34 PM (IST)
कवि सम्मेलन में खूब लगे ठहाके, जमकर बजी तालियां
कवि सम्मेलन में खूब लगे ठहाके, जमकर बजी तालियां

किशनगंज। दैनिक जागरण द्वारा एमजीएम मेडिकल कॉलेज में आयोजित कवि सम्मेलन में गुरुवार की रात्रि 8.30 बजे शुरू हुई। सम्मेलन में आने वाले कवियों ने लोगों की पसंद को ध्यान में रखते हुए एक से बढ़ कर एक रचना प्रस्तुत किए। सम्मेलन में मौजूद लोगों के भीड़ को देखते हुए कवि भी अपने रचनाओं को प्रस्तुत करते रहे। उपस्थित लोगों ने भी कवि की हास्य-व्यंग, वीर रस और सोमरस सहित कई अन्य कविताओं को सुनकर लगातार तालियां बजाते रहे। तालियों की गूंज ने कवियों को और भी उत्साहित कर दिया। उन्हें लगने लगा कि उपस्थित श्रोता आज मूड फ्रेस कर कवि सम्मेलन में पधारे हैं। यही वजह रहा कि लगातार कवियों ने मंत्रमुग्ध कर देनेवाली अनेक कविताएं प्रस्तुत कर लोगों को वाह-वाह कहने पर मजबूर कर दिया।

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कवियों द्वारा प्रस्तुत किए गए हास्य-व्यग्य : ------

मुझे शौक नही अपना फोटो खिचवाना

कवि सम्मेलन के प्रारंभ होते ही बिना समय गंवाए हास्य व्यंग्य के कवि पार्थ नवीन ने अपने कविताओं से लोगों का मन मोह लिया। कविता के प्रारंभ में इन्होंने कहा कि मुझे शौक नही पेपर में अपना फोटो खिचवाना, क्योंकि जब फोटो छपती है तो अच्छा लगता है। लेकिन जब पेपर पुरानी होकर मिठाई वाले के पास पहुंच जाती है। तो वही इस पेपर पर लोगों को जलेबी बेचता है। लोग तो जलेबी खा लेते हैं। लेकिन जलेबी के रस मेरे फोटो पर चिपका रह जाता। अंत में इस रस को कुत्ता भी चाट लेता। इस कारण मुझे अपना मुंह जानवरों से नही चटाना है।

पार्थ नवीन, कवि।

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खुद से डरना बहुज जरूरी है

कवि सम्मेलन में आई एक मात्र कवयित्री ममता शर्मा जब मंच पर माइक पकड़ी तो दर्शक पहले ही तालियां बजा कर उनका जोरदार स्वागत कर दिए।कवयित्री को लोगों की तालियां इतनी पसंद आई कि वह बिना रूके 25 मिनट तक कविता पढ़ कर दर्शकों को मंत्र मुग्ध कर दी। इनकी प्रस्तुति में एक कविता लोगों को बहुत रास आया। वह कविता इस प्रकार है। खुद से डरना बहुत जरूरी है, जी के मरना बहुत जरूरी है। जिदंगी को संभालने के लिए प्यार करना बहुत जरूरी है। इस कविता को सुनकर स्श्रोता वाह-वाह करते दिखे। इसके बाद तो कवयित्री ने कई कविताएं लोगों के सम्मुख प्रस्तुत की।ममता शर्मा, कवयित्री।

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फैसला जो कुछ भी हो, मंजूर होना चाहिए

जाने-माने अंतर्राष्ट्रीय स्तर के कवि राहत इन्दौरी के मंच पर माइक पकड़ते ही लोगों ने तालियां बजा कर उनका जोरदार स्वागत किया। माइक को अपने हाथ में पकड़ कर राहत इन्दौरी ने कविताओं कर बौछार लगा दी। उन्होंने कहा कि फैसला जो कुछ भी हो, मंजूर होना चाहिए। जंग हो या इश्क हो, भरपूर होना चाहिए। कट चुकी है उम्र सारी, जिनकी पत्थर तोड़ते। अब तो इन हाथों में कोहिनूर होना चाहिए। हत अपनी जान के दुश्मन को जान कहते हैं। मोहब्बत की इस मिट्टी को हिन्दुस्तान कहते हैं। लोगों को उनकी कविताएं इतनी अच्छी लगी कि पीछे बैठे दर्शक कुर्सी से उठकर उमंग से उत्साहित हो गए।

राहत इन्दौरी, कवि।

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वक्त पर हवाएं काम आती है

कवि सम्मेलन के मध्य में लोगों में उत्साह कार संचार करने के लिए धीरे-धीरे दिनेश दिग्गज मंच पर माइक की ओर बढ़ते हैं। किसी को एहसास नही होता कि अब क्या होगा। लेकिन माइक पकड़ते ही दिनेश दिग्गज ने कविताओं की बौछार लगा दी। उन्होंने इस क्रम में कहा कि वक्त पर हवाएं काम आती है, वक्त पर दुआएं काम आती है। वाटसएप पर समय बर्बाद मत करो, समय पर तो केवल मां की दुवाएं काम आती है। गजब के ठाठ हो जाते, अपने ही रामराज हो जाते। अगर मिल जाती अनुष्का, तो मैं भी विराट हो जाता।

दिनेश दिग्गज, कवि।

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ये वक्त बहुत ही नापाक है

कवि सम्मेलन के मंच पर अंतिम कवि के रूप में वीर रस से ओत-प्रोत कवि मदन मोहन समर ने अपने कविताओं से लोगों में देश भक्ति का जज्बा जगाने में कामयाब रहे। उन्होंने कविता के माध्यम से कहा कि ये वक्त बहुत ही नापक है, हम पर हमले दर हमले होते रहते हैं। दुश्मन का दर्द यही तो है, हम हर हमले पर संभल जाते हैं। यही वजह है कि 40 सभ्यताएं आई और चली गई, लेकिन भारतीय सभ्यता अब भी मजबूती से विराजमान है।

उपस्थित लोगों ने इनकी वीर रस कविता सुन कर देश भक्ति के नारे भी लगाते दिखे।

मदन मोहन समर, कवि।

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