सरकार के फैसले से अब बांस बनेगा किसानों का सहारा

कटिहार [तौफीक आलम]। 2018-19 के आम बजट में केंद्र सरकार द्वारा बांस को अन्य पेड़ों की श्र

By JagranEdited By: Publish:Thu, 08 Feb 2018 06:03 PM (IST) Updated:Thu, 08 Feb 2018 06:03 PM (IST)
सरकार के फैसले से अब बांस बनेगा किसानों का सहारा
सरकार के फैसले से अब बांस बनेगा किसानों का सहारा

कटिहार [तौफीक आलम]। 2018-19 के आम बजट में केंद्र सरकार द्वारा बांस को अन्य पेड़ों की श्रेणी से अलग मान्यता दिए जाने से इसकी खेती को बढ़ावा मिलेगा। अब इसकी कटाई, बाहर भेजने तथा बेचने में प्रशासनिक दखलंदाजी समाप्त होने से किसान काफी खुश है। सरकार की बांस नीति से सीमांचल और पूरे पूर्वोत्तर के किसानों में हर्ष है। खासकर कोसी व सीमांचल में इसको जबरदस्त बढ़ावा मिलेगा। पूर्व से भी यहां लोग बांस की खेती करते हैं और अब इसमें किसानों की दिलचस्पी बढ़नी तय है।

उपयुक्त है कोसी व सीमांचल की मिट्टी

कृषि वैज्ञानिकों के लिए सीमांचल व कोसी की जमीन बांस की खेती के लिए काफी उपयुक्त है। कम लागत में ज्यादा मुनाफा की संभावना इसमें रहती है। प्राकृतिक आपदा का भी कम खतरा रहता है।।

क्या कहते हैं किसान

इस संबंध में किसान युवा किसान अमित वत्सल, अफरोज आलम, आ•ाद आलम, इफ्तिखार आलम, साजिद आलम आदि बताते हैं कि किसानों के लिए यह एटीएम के सामान है। जिन लोगों के पास बांस की खेती है, वे कभी भी इसका उपयोग कर सकते हैं। सरकार की नई नीति से इसकी खेती को बढ़ावा मिलना तय है। किसानों के अनुसार वर्तमान एक बांस डेढ़ सौ से दो सौ रूपये तक में बिक रहा है। इसके अलावा इसकी करची तक बिक जाती है।

बड़े बाजार की उपलब्धता है सोने पे सुहागा

शादी-विवाह से लेकर दाह संस्कार सहित कच्चे मकान के निर्माण में इसका उपयोग होता है। भवन निर्माण के साथ टोकरी, सूप, हाथ पंखा आदि के निर्माण में भी बांस की जरुरत होती है। इस कारण स्थानीय स्तर पर भी सहज बाजार उपलब्ध है। इसके अलावा यहां से बांस उत्तर प्रदेश, दिल्ली व मध्यप्रदेश तक भेजा जाता है। स्थानीय स्तर पर कुर्सेला में इसकी बड़ी मंडी है।

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