कागज के थैले बना स्वावलंबी हो रहीं महिलाएं

पॉलीथिन पर रोक के बाद बाजार में कपड़े व कागज से बने थैले की मांग बढ़ गई है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 29 May 2019 09:51 PM (IST) Updated:Wed, 29 May 2019 09:51 PM (IST)
कागज के थैले बना स्वावलंबी हो रहीं महिलाएं
कागज के थैले बना स्वावलंबी हो रहीं महिलाएं

पॉलीथिन पर रोक के बाद बाजार में कपड़े व कागज से बने थैले की मांग बढ़ गई है। जिले की महिलाएं कागज के थैले बना महिलाएं स्वावलंबी बन रही हैं। जीविका के माध्यम से भभुआ प्रखंड में जीवन ज्योति ग्राम संगठन संचालित हो रही है। इससे जुड़ी 20 महिलाएं कागज व जूट के थैले बनाने का कार्य करती हैं। तैयार थैले को जिले के बाजार में भेजा जाता है। कागज के थैले 60 रुपये किलो बिक जाते हैं। इसके अलवा कुछ संगठनों द्वारा जुट का भी थैला बनाने का काम किया जा रहा है।

जानकारी के अनुसार, जीविका की ओर से महिलाओं को सशक्त बनाने व स्वावलंबी बनाने का कार्य किया जा रहा है। महिलाओं के अंदर के हुनर को दिखाने के लिए उनको एक अवसर दिया जाता है। जहां वे अपने हुनर को दिखाती हैं। जीविका गांवों तक पहुंच कर संगठन बनाकर गांव में बैठी महिलाओं रोजगार दे रही हैं। एक संगठन में 20 महिलाओं को शामिल किया जाता हैं। संगठन की महिलाएं घर बैठे ही काम करती हैं। उन्हें उत्पाद के निर्माण के लिए प्रशिक्षण भी दिया जाता है। इसके बाद ही काम शुरू होता है।

जिले के अधौरा प्रखंड क्षेत्र के एक संगठन द्वारा अगरबत्ती बनाने का काम किया जा रहा है। संगठन की महिलाएं कच्चा माल खरीद कर अगरबत्ती बनाकर उसे जिले के बाजार में व अन्य जगहों के बाजार में उतारती हैं। वहीं, भभुआ प्रखंड की एक ग्राम संगठन द्वारा सत्तू बनाने का काम करता है। अभियान नहीं चलने से काम पर पड़ रहा असर ग्रामीण क्षेत्रों में पॉलीथिन के खिलाफ अभियान नहीं चलाया जा रहा है। इसलिए इन क्षेत्रों में धड़ल्ले से पॉलीथिन का उपयोग किया जा रहा है। इसका असर जीविका के संगठन द्वारा बनाए गए कागज के थैले की बिक्री पर पड़ रहा है। अधिकारियों द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में अभियान चलाने की जरूरत है। क्या कहती हैं पदाधिकारी-

कागज के थैले बनाकर जीविका से जुड़ी महिलाएं अच्छा पैसा कमाती हैं। ग्रामीण क्षेत्रों पॉलिथीन के खिलाफ अभियान नहीं चलाने से कागज के थैले की मांग अभी कम है। अधिकारियों को पत्र लिखा जाएगा कि ग्रामीण क्षेत्रों में पॉलीथिन के खिलाफ अभियान चलाया जाए।

- मृणाल कुमार, जीविकोपार्जन विशेषज्ञ, भभुआ प्रखंड

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