आज मनेगा सतुआन, मेष राशि में प्रवेश किए भगवान भास्कर

कैमूर। भगवान सूर्य सोमवार की शाम को मीन राशि से निकलकर मेष राशि में चले गए। सूर्य के मेष राशि में आने के बाद खरमास समाप्त हो गया। अब शादी विवाह गृह प्रवेश अन्नप्राशन आदि का शुभ कार्यक्रम होंगे।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 13 Apr 2020 09:30 PM (IST) Updated:Mon, 13 Apr 2020 09:30 PM (IST)
आज मनेगा सतुआन, मेष राशि में प्रवेश किए भगवान भास्कर
आज मनेगा सतुआन, मेष राशि में प्रवेश किए भगवान भास्कर

कैमूर। भगवान सूर्य सोमवार की शाम को मीन राशि से निकलकर मेष राशि में चले गए। सूर्य के मेष राशि में आने के बाद खरमास समाप्त हो गया। अब शादी विवाह, गृह प्रवेश, अन्नप्राशन आदि का शुभ कार्यक्रम होंगे। मंगलवार को जिले में सतुआन का पर्व मनाया जाएगा। लोगों की परंपरा है की जब मीन राशि से सूर्य निकलते हैं तो उस दिन सतुआन का पर्व मनाते हैं।

इस दिन स्नान दान का भी महत्व है। जिले से लोग वाराणसी, प्रयागराज, जमनियां व बक्सर में स्नान करने जाते थे। इस बार यह सब घरों पर ही होगा। क्योंकि कोरोना वायरस को लेकर पूरे देश में लॉकडाउन लगा हुआ है। कहीं भी दो से तीन आदमी का इकट्ठा होना मना है। लॉकडाउन के कारण घरों में ही रहने को कहा गया है। ऐसे में सतुआन का पर्व फीका साबित होता दिखाई दे रहा है। जानकारी के अनुसार जिस समय सूर्य मेष राशि में प्रवेश किए हैं। उस समय से 12 घंटे पूर्व व 12 घंटे तक पुण्यकाल रहता है। इस दौरान लोग सतुआन का पर्व मनाते है। चुकी सोमवार की रात 8:22 पर ही मेष राशि में प्रवेश कर गए हैं। ऐसे में सुबह आठ बजे तक ही सतुआन का पर्व मनाना उचित होगा। हालांकि कुछ आचार्यों का मानना है कि जब सूर्य का उदय उस पुण्यकाल में होगा तो पूरे दिन सतुआन का पर्व मनाया जा सकता है। घर पर ही सतु बनाने में जुटे लोग-

गांव से लेकर शहर तक किसी भी चीज को खरीदकर कर खाने से परहेज कर रहे है। लोग सब्जी भी खरीद रहे हैं तो उसको अच्छे तरह से धो रहे हैं। कोरोना के दहशत के कारण लोग घरों में ही सत्तु बनाए। इसमें जौ, चन्ना को मिलाकर सत्तु बनाए। वहीं बाजार से लोग गुड़ की खरीदारी की। हालांकि सतुआन में इस बार आम नहीं मिला। जिले में सतुआन के दिन, आम, सत्तु व गुड़ खाने की परंपरा रही है।

आचार्यों की अपील, घरों में करें स्नान-

आचार्य विद्यापति मिश्रा व उमाशंकर मिश्र ने बताया कि इस लॉकडाउन में घर में ही रहें। घर पर ही बालटी में गंगा जल डालकर व गंगा का ध्यान करते हुए स्नान करें। इसका उतना ही फल मिलेगा। आचार्य ने कहा कि वैसे सुबह लोगों को स्नान दान करने के बाद सत्तु का प्रभु को भोग लगाने के बाद ही कुछ खाएं।

chat bot
आपका साथी