महाशिवरात्रि पर बैजनाथ धाम में 25 हजार श्रद्धालुओं ने किया जलाभिषेक

यूपी के जमानियां से कांवर गंगाजल ले धाम पहुंचे भक्त - देर शाम तक श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला रहा जारी संवाद सूत्र रामगढ़ भोलेनाथ की नगरी बैजनाथ धाम महाशिवरात्रि के दिन हर हर महादेव के जयघोष से गूंज उठा। शुक्रवार को इस धाम में

By JagranEdited By: Publish:Fri, 21 Feb 2020 04:31 PM (IST) Updated:Fri, 21 Feb 2020 04:31 PM (IST)
महाशिवरात्रि पर बैजनाथ धाम में 25 हजार श्रद्धालुओं ने किया जलाभिषेक
महाशिवरात्रि पर बैजनाथ धाम में 25 हजार श्रद्धालुओं ने किया जलाभिषेक

भोलेनाथ की नगरी बैजनाथ धाम महाशिवरात्रि के दिन हर हर महादेव के जयघोष से गूंज उठा। शुक्रवार को इस धाम में भक्तों की आवाजाही शुक्रवार को चार बजे भोर से ही शुरू हो गई थी। यूपी के जमानियां से श्रद्धालु कांवर में गंगाजल लेकर धाम में पहुंच कर शिवलिग पर जलाभिषेक किए। इस दौरान घरी घंटा की गूंज से पुरा माहौल शिवमय हो गया था। माथे पर भस्म लगाकर भक्त बैजनाथ धाम में पहुंच परंपरागत तरीके से पूजा अर्चना किए। गंगाजल के अलावा गाय के दूध से शिवनहावन का कार्य हुआ। भांग, धतुरा, बैर, ईख, कंचरी, वेलपत्र व फूल माला के साथ शिव की पूजा हुई। आस्था व भक्ति के इस संगम में 25 हजार से अधिक श्रद्धालुओं के द्वारा जलाभिषेक करने की बात बताई जा रही है। इस दौरान मंदिर व धाम परिसर को पूरी तरह से साफ सुथरा कर दिया गया था। विधि व्यवस्था के ²ष्टिकोण से थानाध्यक्ष राजीव रंजन सिंह एक सेक्शन फोर्स की वहां तैनाती किए थे।  इसके पूर्व इस बैजनाथ धाम स्थित शिवलिग पर 11 क्वींटल गाय के दूध से रूद्राभिषेक का कार्य भी संपन्न हुआ। इसी दूध से भक्तों के बीच खीर बनाकर प्रसाद स्वरूप वितरण भी किया गया। पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं की भीड़ ज्यादा रही। धाम में श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए धाम समिति पुरी तरह से तैयार भी थी। ताकि दर्शनार्थियों को किसी प्रकार की परेशानी न उठानी पड़े। श्रद्धालुओं के सुविधा को लेकर जदयू प्रदेश महासचिव सत्य प्रकाश तिवारी भी तत्पर दिखे। बताया जाता है कि रामगढ़ प्रखंड के मसाढ़ी पंचायत के बैजनाथ धाम को ही असली बैजनाथ धाम माना जाता है। इस धाम के नक्काशी और मंदिर परिसर में मिले अवशेष भी इस बात के गवाह हैं। मध्यप्रदेश के छत्रपुर में खजुराहो में बने मंदिर से इसकी समानता मिलती है। वहां भी 11 वीं शदी में उस मंदिर की स्थापना होने की बात इतिहास के पन्नों में दर्ज है। और रामगढ़ के बैजनाथ धाम में भी वही इतिहास दुहराई गई है। वहां भी छत्रपुर के बगल में बैजनाथ धाम है। यहां भी इस धाम से कुछ दुर पर छत्रपुर गांव है। जो पुराने इतिहास का गवाह है। मंदिर के चारों कोने पर बने ध्रुव कुंड, ब्रम्ह कुंड, विष्णु कुंड व रूद्र कुंड भी मंदिर के प्राचीनतम का गवाह है। मंदिर के गर्भ गृह में मैथून रत अप्सराओं का चित्र बना हुआ है। मंदिर के गर्भ गृह में निकले सुरंग को भी ढंक कर रखा गया है। जो चंदेल वंश के शासक राजा विद्याधर धंग द्वारा निर्मित होने की बात भी कही जा रही है। यह गांव भोले शंकर के त्रिशूल पर बसा है। धाम समिति के सचिव प्यारे बिद व पंचायत के मुखिया बैजनाथ गांव निवासी कृष्ण प्रताप उर्फ मुन्ना सिंह ने बताया कि श्रद्धालुओं के जलाभिषेक करने के लिए मंदिर को सुबह चार बजे आरती के बाद खोल दिया गया था। उसके बाद पुरे दिन भर यह कार्य चला।

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