रुबेला में विद्यालयों की कम उपलब्धि पर विभाग हैरान
जमुई। 15 जनवरी से शुरू हुए रूबेला कार्यक्रम के तहत जिले भर के सरकारी तथा गैर सरकारी विद्यालयों में नामांकित ब'चों को टीकाकरण की शुरुआत की गई थी।
जमुई। 15 जनवरी से शुरू हुए रूबेला कार्यक्रम के तहत जिले भर के सरकारी तथा गैर सरकारी विद्यालयों में नामांकित बच्चों को टीकाकरण की शुरुआत की गई थी। परंतु लक्ष्य के विरुद्ध उपलब्धि बहुत कम रहने के कारण स्वास्थ्य विभाग भी हैरान है। सभी सरकारी तथा गैर सरकारी विद्यालयों में नामांकित बच्चों के शत प्रतिशत टीकाकरण के विरुद्ध उपलब्धि बहुत कम है। आलम यह है कि कई विद्यालयों में 10 से 15 फीसद बच्चों का टीकाकरण किया गया है। जबकि जिले के दर्जनों विद्यालय ऐसे हैं जिनमें सैकड़ों की संख्या में बच्चे नामांकित है परंतु उनमें से एक भी बच्चे को रूबेला का टीका नहीं दिया गया यानि विद्यालयों में लक्ष्य के विरुद्ध उपलब्धि शून्य है। इस बाबत सीएस डॉ. श्याम मोहन दास ने शिक्षा विभाग, डब्ल्यूएचओ, आशा, जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी, अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी तथा अन्य विभागों को उपलब्धि बढ़ाने के लिए पत्र लिखा है। साथ ही 150 से अधिक सरकारी तथा गैर सरकारी विद्यालयों की सूची भी जारी की है जहां लक्ष्य के विरुद्ध बहुत कम उपलब्धि है। विभागों को भेजे गए पत्र में जिला चिकित्सा पदाधिकारी ने लक्ष्य के विरुद्ध उपलब्धि बढ़ाने के लिए दिशा निर्देश देने की बात कही है। फिलहाल रूबेला खसरा कार्यक्रम में उपलब्धि कैसे बढ़ाई जाए यह यक्ष प्रश्न बना है। आलम यह है कि सरकारी विद्यालयों में जहां एक ओर टीका की सुरक्षा को लेकर संशय बरकरार है वहीं निजी विद्यालय इस कार्यक्रम को हल्के में ले रहे हैं। जिस कारण जिले भर की उपलब्धि लक्ष्य के विरुद्ध बहुत कम नजर आ रही है।
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केस स्टडी एक
गिद्धौर प्रखंड अंतर्गत ब्लू वेन पब्लिक स्कूल में 150 बच्चे नामांकित है। जिनमें सभी बच्चों को खसरा रूबेला का टीका दिया जाना था परंतु एक भी बच्चे को अब तक टिका नहीं दिया गया।
केस स्टडी दो -
बरहट प्रखंड अंतर्गत मध्य विद्यालय गूगलडीह में जहां 999 बच्चे नामांकित हैं। उनमें से मात्र 79 बच्चों को ही टीका दिया गया जो लक्ष्य के विरुद्ध मात्र आठ फीसद है।