सिद्धू-कानू ने फूंका था विद्रोह का बिगुल

जमुई। प्रखंड मुख्यालय स्थित प्रमुख सभागार में हूल दिवस के अवसर पर सिद्धू-कानू की 165वीं जयंती मनाई गई।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 01 Jul 2020 08:10 PM (IST) Updated:Wed, 01 Jul 2020 08:10 PM (IST)
सिद्धू-कानू ने फूंका था विद्रोह का बिगुल
सिद्धू-कानू ने फूंका था विद्रोह का बिगुल

जमुई। प्रखंड मुख्यालय स्थित प्रमुख सभागार में हूल दिवस के अवसर पर सिद्धू-कानू की 165वीं जयंती मनाई गई। इस अवसर पर प्रखंड प्रमुख मनोरमा देवी, प्रखंड विकास पदाधिकारी अतुल प्रसाद, अंचलाधिकारी मनोज कुमार, मुखिया पार्वती देवी ने संयुक्त रूप से दीप जलाकर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।

बीडीओ ने कहा कि संताल संस्कृति धरोहर की रक्षा में अंग्रेज और जमींदार के विरुद्ध लगभग पचास हजार आदिवासी संथाल को एकत्र कर संथाल विद्रोह का बिगुल फूंका था। साथ ही उसी वर्ष 30 जून को अंग्रेजों ने दोनों भाई को फांसी पर लटका दिया था। जिसे लेकर प्रत्येक वर्ष तीस जून को हूल दिवस के रूप में मनाया जाता है। साथ ही सिद्धू-कानू के तेल चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर कार्यक्रम का प्रारंभ किया गया। समारोह का आयोजन संताल सामाजिक एवं सांस्कृतिक विकास समिति लक्ष्मीपुर, बरहट, जमुई के बैनर तले आयोजित किया गया। विशिष्ट अतिथि केदार मुर्मू ने सिद्धू-कानू की जीवनी पर विस्तारपूर्वक चर्चा की। साथ ही कहा कि सिद्धू-कानू दोनों भाइयों ने आदिवासी के सांस्कृतिक धरोहर जल-जंगल-जमीन की रक्षा के लिए फांसी के फंदे को स्वीकार किया। आज की तिथि में उसे अनुकरण करने की आवश्यकता है। समारोह की अध्यक्षता समीति के अध्यक्ष रामजी मुर्मू ने किया, जबकि संचालन अरुण हांसदा ने किया। समारोह को नजारी पैक्स अध्यक्ष दास, श्याम टुडू, लोकेश हांसदा आदि ने संबोधित किया। समारोह के सफल संचालन के लिए समीति के संयोयक सुमन कुमार, कोषाध्यक्ष वीरेंद्र टुडू, संरक्षक वीरबल टुडू उपस्थित थे।

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