राजनीतिक प्रस्ताव के जरिए की गई कोर्टस आफ वार्ड कानून को समाप्त करने की मांग

जहानाबाद। स्थानीय गांधी मैदान में खेग्रामस के छठे राष्ट्रीय सम्मेलन में नौ राजनीतिक प्रस्ताव पेश किए गए।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 21 Nov 2018 01:00 AM (IST) Updated:Wed, 21 Nov 2018 01:00 AM (IST)
राजनीतिक प्रस्ताव के जरिए की गई कोर्टस आफ वार्ड कानून को समाप्त करने की मांग
राजनीतिक प्रस्ताव के जरिए की गई कोर्टस आफ वार्ड कानून को समाप्त करने की मांग

जहानाबाद। स्थानीय गांधी मैदान में खेग्रामस के छठे राष्ट्रीय सम्मेलन में नौ राजनीतिक प्रस्ताव पेश किए गए। पहले प्रस्ताव में अंग्रेजी जमाने के कानून कोर्टस आफ वार्ड को समाप्त करने की मांग की गई। उनलोगों का कहना था कि चंपारण में आज भी यह कानून लागू है। पश्चिम चंपारण में गरीबों पर लगातार हमले किए जा रहे हैं। 30-35 वर्षों से वसे गरीबों को बेदखल किया जा रहा है। दूसरे प्रस्ताव में हाल ही में गुजरात में बिहार तथा उतर भारतीय मजदूरों पर जानलेवा हमला किए जाने की ¨नदा की गई। प्रस्ताव में कहा गया कि इसके कारण हजारों लोगों को गुजरात छोड़ना पड़ा। अन्य प्रदेशों में भी प्रवासी मजदूरों पर हमले होते रहते हैं। यह मजदूर वर्ग की एकता को तोड़ने की साजिश है। तीसरे प्रस्ताव में यह कहा गया है कि गरीबों की रोजी रोटी के साथ ही अन्य सवालों पर घिरी मोदी सरकार एक बार फिर मंदिर राग अलापकर देश में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण करना चाहती है। संघ परिवार तथा भाजपा द्वारा लगातार न्याय व्यवस्था का मजाक उड़ाया जा रहा है। सम्मेलन में संघ परिवार के इस कार्रवाई को पूरी तरह नकार देने तथा देश में अमन चैन बहाल रखने की अपील की गई। खेत व ग्रामीण मजदूरों का यह सम्मेलन 29-30 नवंबर को दिल्ली में आयोजित किसान महापड़ाव को अपना समर्थन दिया। इसके अलावा आठ तथा नौ जनवरी को मोदी सरकार के खिलाफ मजदूर वर्ग के एतिहासिक अखिल भारतीय हड़ताल को सफल बनाने का संकल्प लिया गया। एक अन्य प्रस्ताव में सफाई कर्मियों की लगातार हो रही मौतें और उसपर मोदी सरकार को चुप्पी को खतरनाक बताया गया। सम्मेलन में पूरे देश में सफाई के काम में नए तकनीक के इश्तेमाल की मांग की गई। यह कहा गया कि इस काम में एक खास समुदाय के लोगों को शामिल रहने के कारण उसे गंदे नजर से देखी जाती है। मानवाधिकार कानून को कमजोर करने और वनवासियों को उनके पुश्तैनी अधिकार से वंचित करने की साजिश का प्रतिकार किया गया। नोटबंदी से तबाह हुए खेती, किसानी तथा असंगठित क्षेत्र में नष्ट हुए रोजगार मजदूरों व किसानों के दरिद्रीकरण, मनरेगा में काम व भुगतान को दैनिक मजदूरी से काफी कम निर्धारित करने सहित अन्य मांगों को लेकर आंदोलन का संकल्प लिया गया। अंतिम प्रस्ताव में मोदी सरकार पर गरीबों का हक छिनने का आरोप लगाया तथा उसे उखाड़ फेंकने का संकल्प लिया गया।

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