हरितालिक तीज को ले बाजारों में बढ़ी चहल पहल
भारतीय सभ्यता संस्कृति में सभी रिश्ते को धर्म के बंधनों में इस तरह बांधा गया है कि उसकी पवित्रता मानवीय संवेदनाओं पर स्थायी रूप से अपनी पैठ बना ली है।
जहानाबाद। भारतीय सभ्यता संस्कृति में सभी रिश्ते को धर्म के बंधनों में इस तरह बांधा गया है कि उसकी पवित्रता मानवीय संवेदनाओं पर स्थायी रूप से अपनी पैठ बना ली है। हमारी संस्कृति में पति को परमेश्वर तथा पत्नी को अद्र्धांगिनी का दर्जा प्राप्त है। यानि पत्नी अपने पति को उसी तरह देखती है जिस तरह से भक्ति में लीन भक्त अपने भगवान को तो पुरुष अपनी पत्नी की सुरक्षा के लिए इपने शरीर के अंग के तरह हिफाजत में तत्पर रहता है। इस गहरे रिश्ते को अधिक मिठास भरने वाला हरितालिक तीज का त्योहार काफी करीब आ गया है। 12 सितंबर को सुहागिन इस व्रत को पूरे अनुष्ठान के साथ रखेंगी। इसे लेकर अभी से ही सभी तैयारी जोर शोर से चल रही है। इस त्योहार की बड़ी विशेषता है कि इसमें महिलाएं पूरी तरह से नए परिधानों तथा साजो श्रृंगार से सुज्जित होकर पूजा अर्चना करती है। जिसके कारण महिलाओं की भीड़ कपड़ों तथा श्रृंगार प्रसाधन की दुकानों पर ज्यादा बढ़ गई है। दुकानदार भी इस पर्व को देखते हुए अपने स्टोर में एक से बढ़कर एक साड़ियां जमा कर रखें है। इतना ही नहीं महिलाएं ब्यूटी पार्लर तथा सोने चांदी की दुकानों पर भी जा रही है। पति की लंबी आयु की कामना का यह व्रत पूरी तरह अनुष्ठान पूर्वक मनाया जाए। इसमें सुहागिन कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती है। बताते चले कि यह त्योहार पूरी तरह निर्जला रखकर संपन्न किया जाता है। इस मौके पर पुरोहितों द्वारा कथा सुनने की परंपरा रही है। पुरोहित सावित्री सातवान की कथा महिलाओं को सुनाते हैं। पूरे दिन निर्जला व्रत रखने के उपरांत शाम को गौरा गणेश की विधिवत पूजा अर्चना की जाती है। इस मौके पर सभी प्रकार की वनस्पतियों जैसे बेलपत्र,आम के पत्ते, चंपक के पत्ते आदि भगवान को अर्पित किया जाता है।