चुनाव में ही नेता लोग लउकेला, अब तक केहू आईल नइखे
गोपालगंज शहर का यह वह इलाका है जहां अधिकांश लोग गरीबी रेखा से नीचे हैं। मेहनत-मजदूर
गोपालगंज : शहर का यह वह इलाका है जहां अधिकांश लोग गरीबी रेखा से नीचे हैं। मेहनत-मजदूरी के दम पर यहां के अधिकांश घरों में चूल्हा जलता है। लेकिन गरीबी के बीच भी शहर के अंतिम छोर पर बसे हजियापुर मुसहर टोली का माहौल अब पहले से काफी बदल गया है। अब इस टोली के घर-घर में लकड़ी की जगह रसोई गैस के चूल्हे पर खाना बनने लगा है। आयुष्मान योजना के तहत अधिकांश ग्रामीणों को हेल्थ कार्ड भी बन गया है। लेकिन घर तक सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचने के बाद भी अभी भी इस टोली के लोग दिक्कतें झेल रहे हैं। रोजी रोटी को लेकर हो रही परेशानी यहां के लोगों के चेहरे पर साफ दिखती हैं। हालांकि मेहनत मजदूर करने के साथ ही अब इस टोली के काफी लोग रिक्शा तथा ठेला भी चलाने लगे हैं। लेकिन यहां के लोगों में राजनीतिक दलों तथा प्रत्याशियों के उनको नहीं पूछने की पीड़ा भी है। ग्रामीण कहते हैं कि देखीं यहां रिक्शा लगल वा, चलेला त खाईल जाला। चुनाव में ही नेता लोग लउकेला, अब तक केहू आईल नइखे।।
सुबह के दस बजे हैं। हजियापुर मुसहर टोली पहुंचते ही सड़क किनारे लगे चापाकल पर नग्न धंड़ बच्चे दिखे। कुछ बच्चे चापाकल के पानी से स्नान कर रहे थे तो कुछ बर्तन में पानी भर रहे थे। अधिकांश बच्चों के तन को ढंकने लिए ठीक से कपड़ा नहीं था। इस टोली में पीसीसी सड़क के दोनों तरफ झोपड़ियां दिखती हैं। इन झोपड़ियों के बीच-बीच में कुछ पक्का मकान भी नजर आए। इस टोली में कुछ आगे बढ़ने पर सड़क किनारे बनी नाली के पास बैठकर कुछ लोग काम करते दिखे। इन लोगों के कुछ दूरी चरपाई पर पांच छह लोग बैठे मिले। कुछ लोग खड़े भी थे। यहां बैठकर आपस में बात कर रहे अजय राउत ने बताया कि अभी तक किसी दल के नेता या कार्यकर्ता यहां नहीं आए हैं। रामजतन ने बताया कि कौन चुनाव लड़ रहा है, इसकी भी जानकारी नहीं है। सुधीश रावत बताते हैं कि अब इस टोली के अधिकांश लोगों को रसोई गैस का कनेक्शन मिल गया है। आयुष्मान योजना के तहत अधिकांश लोगों को हेल्थ कार्ड भी मिल गया है। शौचालय भी अधिकांश घरों में उपलब्ध हो गया है। हालांकि अभी भी खुले में शौच करने के लिए लोग खेतों में जाते हैं। इन्होंने बताया कि चापाकल लगा है। लेकिन एक चापाकल के सहारे पांच छह घर के लोगों की प्यास बुझती है। नल का जल अभी यहां नहीं पहुंचा है। परमात्मा पटवा बताते हैं कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत घर बनाने को लेकर भी यहां के लोगों को परेशानी झेलनी पड़ रही है। जो लोग झोपड़ी रहते हैं, उनके लिए पक्का मकान पास हो गया है। लेकिन जमीन ही नहीं है तो घर कहां बनाएं।