ग्रामीण अस्पतालों में खुल रही व्यवस्था की पोल, मरीज परेशान
गुरुवार को दिन के 12 बजे थे। कुसौंधी स्थित अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र पर कांपते हुए 70 साल की महिला लचिया देवी पहुंची। उन्हें काफी ठंड लग रही थी।
गोपालगंज : गुरुवार को दिन के 12 बजे थे। कुसौंधी स्थित अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र पर कांपते हुए 70 साल की महिला लचिया देवी पहुंची। उन्हें काफी ठंड लग रही थी। अस्पताल आने के बाद इन्होंने चिकित्सक के बारे में पूछा। लेकिन डॉक्टर साहब का अस्पताल में अता-पता नहीं था। कुछ देर रुकने के बाद महिला निजी क्लीनिक में जाकर इलाज कराने को विवश हुई। वैसे यह सिर्फ एक दिन की बात नहीं है। कुसौंधी सहित अधिकांश अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र की दशा एक समान है। जहां चिकित्सक कब आते और कब जाते हैं, इस बात की जानकारी किसी को भी नहीं होती।
सरकारी स्तर पर भले ही सुदूर ग्रामीण इलाकों में स्थित अस्पतालों की दशा को सुधारने की दिशा में कवायद की जा रही है। लेकिन अब भी ग्रामीण इलाकों में स्थित अस्पतालों की दशा कहीं से ठीक नजर नहीं आती। आज भी अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्रों पर चिकित्सकों का समय से नहीं आना एक बड़ी समस्या है। ऐसे में यहां ओपीडी की सुविधा भी नहीं के बराबर ही लोगों को मिल पाती है। आंकड़ों की मानें तो दूर दराज के इलाकों के लोगों को स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के उद्देश्य से विभिन्न स्थानों पर छह शैया वाले 22 अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्रों की स्थापना की गई है। इनका उद्देश्य लोगों को तत्काल स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराना था। लेकिन स्थापना के एक-दो साल के अंदर ही तमाम अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्रों की कलई खुल गई। नई व्यवस्था में अस्पतालों की दशा को सुधारने के दिशा में व्यापक प्रयास किया गया। इसका असर भवनों की दशा में सुधार तक ही सिमटा हुआ दिख रहा है। हालांकि सरकारी स्तर पर इन केंद्रों में ओपीडी की सुविधा शुरू करने के लिए सरकारी चिकित्सकों की प्रतिनियुक्ति की गई है। लेकिन इन केंद्रों पर सप्ताह में एक दिन एक या दो दिन कुछ घंटे के लिए चिकित्सक मुश्किल से आ पाते हैं। ऐसे में सप्ताह में एक-दो दिन को छोड़कर ये केंद्र अधिकांश समय बंद ही मिलते हैं। योजना तीस बेड का अस्पताल बनाने की
गोपालगंज : वर्तमान समय में अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्रों की क्षमता काफी कम है। अब इन केंद्रों को तीस बेड वाला अस्पताल बनाने की कवायद चल रही है। इसके कई स्थानों पर नए अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र को खोले की भी पहल की गई है। क्या कहते हैं लोग
गोपालगंज : पंचदेवरी प्रखंड के मझवलिया गांव के रामनरेश यादव कहते हैं कि गांव के बगल में स्वास्थ्य केंद्र है, लेकिन यहां चिकित्सकों के प्रत्येक दिन नहीं रहने के कारण उनलोगों को इलाज के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ती है। लालाछापर के विर्श्वकर्मा भगत करते हैं कि उनके गांव के केंद्र की दशा में कमोबेश ऐसी ही है। इसी तरह कोईनी तथा गहनी चकिया स्वास्थ्य केंद्र के बारे में लोग सवाल उठाते हैं। यहां चलते हैं अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र
प्रखंड केंद्र का नाम
बैकुंठपुर रेवतीथ
बरौली लड़ौली
बरौली बेलसंड
भोरे लामीचौर
भोरे सिसई
भोरे लाला छापर
गोपालगंज जादोपुर
हथुआ कुसौंधी
कटेया रसौती
कुचायकोट जलालपुर
कुचायकोट नरहवां शुक्ल
कुचायकोट करवतहीं
मांझा कोईनी
मांझा गौसियां
पंचदेवरी पंचदेवरी
पंचदेवरी गहनी चकिया
फुलवरिया सेलार कला
फुलवरिया बथुआ बाजार
फुलवरिया कररिया
सिधवलिया महम्मदपुर
उंचकागांव मीरगंज
उंचकागांव तुरकहां
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ग्रामीण इलाकों में स्थित अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्रों पर चिकित्सक व कर्मियों की तैनाती की गई है। अगर किसी केंद्र पर गड़बड़ी की शिकायत मिलती है तो विभागीय स्तर पर कार्रवाई की जाती है।
डॉक्टर एके चौधरी
सिविल सर्जन