बिहार के जेल से रिहाई के समय देना पड़ता है नजराना, नहीं देने पर एक युवक पर बरसीं लाठियां

नशा करने के आरोप में दाउदनगर उपकारा में बंद युवक की रिहाई के समय पांच सौ रुपये नहीं देने पर जेल कर्मियों ने बेरहमी से पिटाई कर दी। यह आरेाप जख्‍मी युवक ने लगाया है। बताया है कि एक सिपाही व एक बंदी ने उसे पीटा।

By Vyas ChandraEdited By: Publish:Thu, 10 Jun 2021 11:16 AM (IST) Updated:Thu, 10 Jun 2021 11:16 AM (IST)
बिहार के जेल से रिहाई के समय देना पड़ता है नजराना, नहीं देने पर एक युवक पर बरसीं लाठियां
घटना में जख्‍मी सिपाही और घायल युवक। जागरण

दाउदनगर (औरंगाबाद), संवाद सहयोगी। दाउदनगर उपकारा से बुधवार को रिहाई पर विकास राज की विदाई में पुलिस जवानों ने दर्जनों लाठियां मारी। देह पर पड़े लाठियों के निशान चीख चीख कर पुलिस बर्बरता की कहानी बताते हैं। विकास के भाई अविनाश ने उपकारा के सामने ही वीडियो बनाया और इसे मीडिया को दिखाया। अविनाश ने बताया कि वे इस मामले में सीजीएम और जिला पदाधिकारी को आवेदन देकर दोषी पर कार्रवाई की मांग करेंगे। हालांकि इस दौरान एक सिपाही भी घायल हो गया। वह ईंट के हमले से घायल है।

रिहाई के समय मांगे थे पांच सौ रुपये 

विकास राज को शराब के नशे के आरोप में पुलिस ने 31 मई को गिरफ्तार कर जेल में भेजा था। विकास राज ने बताया कि जब उसकी रिहाई कोर्ट से हुई तो उससे जेल के सिपाहियों ने पांच सौ रुपये मांगे। जब उसने पैसे नहीं दिया तो उसपर लाठियों की बरसात कर दी गई। करीब 100 लाठियां मारी गई। दूसरी तरफ सहायक जेल अधीक्षक बिपिन बिहारी सिंह का कहना है कि उन्होंने ही उसे उपकारा से रिहा किया था। रिहा करते समय भी उसने मारपीट के मामले में कोई शिकायत नहीं की। अगर ऐसी शिकायत वह करता तो उसका भी संज्ञान लेते। हालांकि‍ इस दौरान एक सिपाही राहुल कुमार भी घायल हो गया। ले‍किन वह कैसे घायल हुआ इसका पता नहीं चला है। 

ईंट लगने से सिपाही भी घायल 

प्राप्त जानकारी के अनुसार दाउदनगर उपकारा में सिपाही रंजीत कुमार और पिंटू कुमार ने विकास को पीटा। इसके बाद बुधवार की रात करीब आठ बजे सदर अस्पताल औरंगाबाद में अपना इलाज करवाया और मीडिया को इसकी जानकारी दी। इस घटना को लेकर प्रशासनिक करवाई क्या होती है इस पर अब सबकी नजर है। घायल सिपाही का इलाज अनुमण्डल अस्पताल में किया गया। महत्वपूर्ण है कि दाउदनगर उपकारा क्‍वारंटाइन जेल है। यहां आठ जिलों के अभियुक्‍तों की गिरफ्तारी के तत्काल बाद रखा जाता है। क्‍वारंटाइन अवधि में उन्‍हें यहीं रहना पड़ता है।

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