सुबह होते ही निकल पड़ता है यह झाड़ूवाला, गया के इस सफाई दूत की राष्ट्रपति भी कर चुके हैं सराहना
गांधी जयंती पर विशेष गया के पावरगंज कुम्हार टोली के ललन प्रजापति अपने इलाके में झाड़ूवाला के नाम से प्रसिद्ध हैं। इनकी लगन की सराहना राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद भी कर चुके हैं। निस्वार्थ भाव से अपने मोहल्ले की सफाई में दे रहे योगदान
सुभाष कुमार, गया। इरादे बुलंद। जुनून साफ-सफाई का। न कोई लोभ, न कोई प्रतियोगिता। हसरत है तो बस अपने गली-मोहल्ले समेत पूरे शहर को चकाचक देखने की। बात हो रही है गया शहर के 51 वर्षीय ललन प्रजापति की। बीते 28 वर्षों से वह शहर का स्वच्छता दूत बनकर अपनी जवाबदेही निभा रहे हैं। सुबह उठते ही झाड़ू थाम लेते हैं। वार्ड नंबर नौ, पावरगंज कुम्हार टोली के करीब 200 मीटर पूरी गली को साफ-सुथरा करके ही दम लेते हैं। घर का आंगन अभी मिट्टी का ही है। लेकिन सफाई ऐसी कि पक्के मकान वाले चकित रह जाएं। ललन प्रजापति इस उम्र में भी स्वच्छता का लक्ष्य लिए झाड़ू लगाते दिख जाते हैं। मोहल्ले को साफ-सुथरा बनाए रखने की इनकी सोच का हर कोई कायल है।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने की थी सराहना
तीन वर्ष पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कानपुर के जीएसवीएम मेडिकल कालेज में आयोजित एक कार्यक्रम में बिहार के गया जिले के ललल प्रजापति का जिक्र किया था। कहा था कि अपनी लगन से बिना किसी पारिश्रमिक के जिले के एक वार्ड की सफाई वर्षों से कर रहे हैं। इनके उत्साह की सराहना की जानी चाहिए।यह तब कि बात है जब स्वच्छ भारत अभियान का विचार भी अस्तित्व में नहीं आया था। तब से आज की तरह स्वच्छता को लेकर वैसी जागरूकता भी नहीं थी। वे तब से हर 5:30 बजे घर से निकलते हैं। करीब आठ बजे तक मोहल्ले की गलियों में झाड़ू लगाते हैं। फिर कचरे को उठाकर निर्धारित जगह पर रख देते हैं, जहां से निगमकर्मी उसे ले जाते हैं।
बापू और पीएम मोदी के विचारों से हैं प्रभावित
ललन प्रजापति राष्ट्रपिता बापू महात्मा गांधी के विचारों से प्रभावित हैं। बापू साफ-सफाई पर जोर देते थे। पीएम नरेंद्र मोदी भी स्वच्छता का आह्वान हर नागरिक से करते हैं। ललन को इन दोनों के विचार काफी अच्छे लगते हैं। गांधी जयंती पर ललन ने गया के तमाम नागरिकों से साफ-सफाई में योगदान की अपील की। इससे शहर को चार चांद लगेगा। बीमारियां भागेगी। शहर की आबादी खुशहाल होगी। मोहल्ले के राजा प्रसाद कहते हैं कि इलाके का बच्चा-बच्चा जानता है झाड़ू वाले ललन प्रजापति को। स्वच्छता को लेकर ललन की लगन का हर कोई कायल है। ललन न तो निगम के सफाईकर्मी हैं, न ही कोई उन्हें इसके एवज में वेतन देता है। वे मोहल्ले के नागरिक होने के नाते ऐसा करते हैं।
शुरू से सफाई पसंद हैं ललन प्रजापति
ललन प्रजापति बताते हैं कि उन्हें सफाई से शुरू से ही प्रेम रहा। 1985 में मैट्रिक पास किया था। घर-आंगन की सफाई करते थे। 1990 में परिवार के साथ मुंबई और दिल्ली घूमने गए वहां साफ-सफाई देखी। उसके बाद अपने घर गया पहुंचने पर मोहल्ले की साफ-सफाई की जिम्मा उठाया। जो आज तक जारी है। इसके साथ वह स्वच्छता का मुहिम शुरू किया। इस कार्य को लेकर देश के राष्ट्रपति ने भी मेरे कार्यों की सराहना की है।