कोविंद वाटिका में रोपे गए औषधीय पौधे लगे मुरझाने, अब अस्तित्व पर भी मंडराने लगा संकट

गया जिला मुख्यालय से पश्चिम दक्षिण क्षेत्र में बांकेधाम प्रसिद्ध स्थान है। बाँकेधाम परिसर मे समिति की देखरेख में लगाया गया औषधीय वाटिका की स्थिति खराब होने लगी है। जब से बाँकेधाम को वन विभाग अपने कब्जे में लिया है तब से पौधे विलुप्‍त होने लगे।

By Prashant KumarEdited By: Publish:Mon, 28 Dec 2020 11:48 AM (IST) Updated:Mon, 28 Dec 2020 11:48 AM (IST)
कोविंद वाटिका में रोपे गए औषधीय पौधे लगे मुरझाने, अब अस्तित्व पर भी मंडराने लगा संकट
इसी कोविंद वाटिका में लगे हैं औषधीय पौधे। जागरण।

जागरण टीम, गया। गया जिला मुख्यालय से पश्चिम दक्षिण क्षेत्र में बांकेधाम प्रसिद्ध स्थान है। बाँकेधाम परिसर मे समिति की देखरेख में लगाया गया औषधीय  वाटिका की स्थिति खराब होने लगी है। जब से बाँकेधाम मंदिर समिति से बाँकेधाम को वन विभाग अपने कब्जे में लिया है तब से कोविंद वाटिका के नाम से प्रचलित औषधीय वाटिका में खास कर औषधीय पौधे विलुप्त होते नज़र आ रहे है।

छायादार और छोटे-छोटे वृक्ष तो अपना अस्तित्व बरकरार रखे है, लेकिन औषधीय पौधे पानी एवं सेवा के अभाव में दम तोड़ रहे है। इस वाटिका का अस्तित्व देने में मंदिर समिति के पूर्व में अध्यक्ष रह चुके अलखदेव प्रसाद यादव एवं उनके सहयोग में रहने वाले सामाजिक कार्यकर्ता एवं औषधीय पौधे का ज्ञान रखने वाले अरविंद राय की भूमिका रही है। बाद में परिसर में मंदिर समिति दौरा आयोजित 9 दिवसीय सीताराम यज्ञ के दौरान 22 फरवरी 2017 को बिहार के तत्कालिन महामहिम रामनाथ कोविंद के द्वारा वाटिका में एक बट बृक्ष का पौधा रोपण किया गया था । तब से इस औषधीय वाटिका का नाम कोविंद वाटिका रखा गया था। अरविंद राय के द्वारा इस वाटिका में लगभग 30 प्रकार के औषधीय पौधे वाटिका में लगाये गए थे।

उन पौधों में अश्वगंधा, पथरचुर, मुलेठी, घोड़बच, लजालू, सुदर्शन, पारिजात, आँवला, शंखपुष्पी, ब्राह्मणी, वसका, चंदन, रुद्राक्ष, तितरखा, लाजवंती, द्रोणपुष्पी, तुलसी आदि पौधें है। अभी भी वाटिका में सेवा दी जाय तो ये औषधीय पौधे बच सकते है और क्षेत्र के लोगो की बीमारी से निजात दिलाने में काम आ सकते है। हालांकि अरविंद राय वन प्रमंडल पदाधिकारी अभिषेक सिंह का सराहना करते हुए कहते है कि जब से वन विभाग बाँकेधाम को अपने अधीन अधिग्रहण किया है उत्तरोत्तर विकास कार्य हो रहे है। रोड बनाया गया। पहाड़ पर सूर्य मंदिर तक रोड बनाया गया। परिसर में अधिगृहित जमीन को मुक्त कराते हुए पौधशाला लगाया गया। शादी विवाह में वधू पक्ष से लगने वाला शुल्क माफ किया गया। वर पक्ष के शुल्क को कम किया गया। कई सराहनीय कार्य किये गए है, लेकिन पर्यावरण के दृष्टिकोण से पुष्पित होने वाला वाटिका के अस्तित्व को ही खतरा है।

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