Rohtas: नाम वापसी के बाद सासाराम नगर निगम में 411 प्रत्याशी चुनावी मैदान में, महिला प्रत्याशी सिर्फ एक मुखौटा

नगर पर्षद चुनाव में अजीबोगरीब स्थिति दिख रही है। बात चाहे आरक्षित वार्ड की हो या फिर अनारक्षित वार्ड की जिस किसी वार्ड से अपनी पत्नी मां भाभी या बहू को चुनावी मैदान में उतार दिया लेकिन प्रचार के लिए अब तक उन्हें मैदान से दूर रखा गया है।

By Jagran NewsEdited By: Publish:Sat, 01 Oct 2022 01:36 PM (IST) Updated:Sat, 01 Oct 2022 01:36 PM (IST)
Rohtas: नाम वापसी के बाद सासाराम नगर निगम में 411 प्रत्याशी चुनावी मैदान में, महिला प्रत्याशी सिर्फ एक मुखौटा
सासाराम नगर निगम में 411 प्रत्याशी चुनावी मैदान में

संवाद सहयोगी, डेहरी आन-सोन: रोहतास। डेहरी डालमियानगर नगर पर्षद चुनाव में अजीबोगरीब स्थिति देखने को मिल रही है। बात चाहे आरक्षित वार्ड की हो या फिर अनारक्षित वार्ड की, जिस किसी वार्ड से अपनी पत्नी, मां, भाभी या बहू को महिला प्रत्याशी के रूप में चुनावी मैदान में उतार दिया, लेकिन प्रचार के लिए अब तक उन्हें मैदान से दूर रखा गया है। महिला प्रत्याशियों को पर्दे के पीछे रखने वाले पति, बेटा, देवर व ससुर खुद को आगे रखकर मतदाताओं से वोट मांग रहे हैं। इतना ही नहीं ऐसे लोगों ने बैनर-पोस्टर व हैंडबिल पर महिला प्रत्याशियों के साथ खुद का भी फोटो भी लगाया है। साथ ही निवेदक भी परिवार के पुरूष ही बने हैं।

महिला प्रत्याशी सिर्फ एक मुखौटा, प्रत्याशियों के नहीं हुए दर्शन

महिला सीट के बावजूद प्रचार के लिए घर के पुरुषों द्वारा मोर्चा संभालने से कई वार्डों में तो स्थिति यह है कि मतदाताओं के तो अबतक उन महिला प्रत्याशियों के दर्शन ही नहीं हुए हैं। जबकि चुनाव आगामी दस अक्टूबर को ही होना है। स्वजनों ने महिलाओं को चुनाव मैदान में उतार तो दिया, लेकिन प्रचार के लिए महिलाओं को घर की चारदीवारी से बाहर नहीं निकाला है। प्रचार से लेकर पूरे काम का जिम्मा परिवार के पुरूषों ने खुद के कंधों पर संभाल रखा है। मतदाताओं से संपर्क करना है, तो पुरुष आगे दिखाई देते हैं। मतदाताओं को कुछ लेना देना है, तो पुरुष आगे। एक शब्द में कहें तो महिला प्रत्याशी तो सिर्फ एक मुखौटा है, बाकी का काम पुरूष कर रहे हैं। 

सदन में कैसे रखेंगी समस्या

कई वार्डों में महिलाओं को जीता भी दें, लेकिन सदन में जीती हुई महिला पार्षद को ही लोगों की समस्या उठाने का अवसर मिलेगा। यानी परिवार का कोई पुरुष सदन में नहीं बोल सकता। बोलना तो दूर सदन की कार्यवाही में भाग तक नहीं ले सकता है। ऐसे में जो महिलाएं कभी घर से बाहर नहीं निकली, वे नगर पर्षद की बैठक में बोल सकेंगी। क्या वे अपने वार्ड की समस्याओं को उठा सकेंगी। लोगों का कहना है कि स्वजन उन्हें चुनाव प्रचार के लिए घर की चारदीवारी से बाहर निकालते हैं, तो उन्हें वार्ड की समस्या और लोगों से रूबरू होने का मौका मिलेगा।

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