22 तक पूरे हो जाएंगे सभी कार्य
जागरण संवाददाता, गया : विश्वप्रसिद्ध राजकीय पितृपक्ष मेला प्रारंभ होने में मात्र तीन दिन और रह गए ह
जागरण संवाददाता, गया : विश्वप्रसिद्ध राजकीय पितृपक्ष मेला प्रारंभ होने में मात्र तीन दिन और रह गए हैं। 23 सितंबर को पितृपक्ष मेला का शुभारंभ हो जाएगा, जो एक पखवारे तक चलेगा। मेला में आए श्रद्धालुओं को किसी तरह की असुविधा नहीं हो, इसके लिए जिला प्रशासन और नगर निगम प्रशासन द्वारा जोरों पर तैयारी की जा रही है। मेला क्षेत्र के सभी तालाब और वेदी की सफाई के साथ रंगाई-पोताई का काम तेजी से किया जा रहा है। शहर में कई प्रमुख पिंडवेदियों में अक्षयवट भी एक पिंडवेदी है, जहां पिंडदानी सबसे अंतिम दिन पिंडदान एवं श्राद्धकर्म करते है। नगर निगम द्वारा अक्षयवट पिंडवेदी की रंगाई-पोताई के साथ हृदय योजना से शौचालय का निर्माण किया जा रहा है। वहीं, प्याऊ की दीवार में टाइल्स लगाने का काम चल रहा है। एक पखवारे तक चलने वाले पितृपक्ष मेला में पिंडदानी सबसे अंतिम दिन अक्षयवट में आकर पिंडदान करते हैं। पिंडदानियों के लिए एक वाटरप्रूफ पंडाल भी लगाया गया है। पिंडदानी अक्षयवट में आकर अपने पितरों का पिंडदान कर सुफल का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। नगर निगम के सफाई पदाधिकारी शैलेंद्र कुमार सिन्हा ने बताया कि श्रद्धालुओं की सुविधा को लेकर अक्षयवट पिंडवेदी में रंगाई-पोताई के साथ विशेष सफाई की व्यवस्था की गई है। रात्रि में श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए लाइटिंग और विश्राम करने को सामुदायिक भवन की सफाई और रंगाई का काम किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि 22 सितंबर तक सभी काम पूरा हो जाएगा।
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इस बार बेहतर व्यवस्था
गुलशन कुमार, संजय यादव, संगीता देवी का कहना है कि प्रत्येक वर्ष की अपेक्षा इस बार अक्षयवट में पितृपक्ष को लेकर अधिक तैयारी की जा रही है। इस वर्ष सफाई के साथ रंगाई-पोताई की जा रही है। रुक्मिणी तालाब की सफाई बेहतर है। मेला प्रारंभ होने से पहले अक्षयवट चकाचक दिखाई पड़ने लगा है। ----------------------
कई कार्य पूर्ण होने की उम्मीद नहीं
हृदय योजना से अक्षयवट के सुंदरीकरण का काम किया जा रहा है, जिसमें चार यात्री शेड, डीलक्स शौचालय, चारदीवारी, मुख्यद्वार, शू स्टैंड, प्याऊ आदि का निर्माण चल रहा है। जबकि शौचालय को छोड़कर कोई काम पितृपक्ष से पहले पूरा होने की उम्मीद नहीं दिख रही है। अगर पितृपक्ष तक सभी पूरा हो जाता पिंडदानियों को काफी सुविधा मिल सकती थी।