मरीज तो सुबह ही लग गए लाइन में, डॉक्टरों का नहीं था पता

गया : दिन सोमवार। सुबह 8.30 बजे। जयप्रकाश नारायण अस्पताल में चिकित्सकों के रोस्टर चार्ट व ड्यूटी में

By JagranEdited By: Publish:Mon, 14 May 2018 11:18 PM (IST) Updated:Mon, 14 May 2018 11:18 PM (IST)
मरीज तो सुबह ही लग गए लाइन में, डॉक्टरों का नहीं था पता
मरीज तो सुबह ही लग गए लाइन में, डॉक्टरों का नहीं था पता

गया : दिन सोमवार। सुबह 8.30 बजे। जयप्रकाश नारायण अस्पताल में चिकित्सकों के रोस्टर चार्ट व ड्यूटी में तालमेल ही नहीं। ओपीडी के समय से डॉक्टर करीब एक घंटे तक गायब मिले। रोस्टर के अनुसार, सुबह आठ बजे से ही रजिस्ट्रेशन होता है। दैनिक जागरण की टीम ने जब मौके पर मुआयना किया तो दूरदराज से आए मरीज और उनके परिजन सुबह से लाइन में लगे दिखे, पर डॉक्टरों का पता नहीं था।

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7 बजे से ही लगी थी लाइन

इलाज के लिए मरीज दूरदराज से आए हुए थे। सुबह 7 बजे से ही रजिस्ट्रेशन काउंटर पर लाइन में पुर्जा कटाने के लिए महिला-पुरुष की भीड़ थी। पुरुष काउंटर की खिड़की खुली हुई थी और पुर्जा काटने वाले कर्मचारी रजिस्ट्रेशन नहीं कर रहे थे। उनका कहना था कि रविवार को बंद था, इस कारण पहले इमरजेंसी इंट्री करनी पड़ती है। इसके बाद ही रजिस्ट्रेशन करते है। इस दौरान 70 मरीजों की इंट्री करनी है। यह काम रजिस्ट्रेशन से पहले करना होता है। इस कारण देर होती है।

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महिला रजिस्ट्रेशन काउंटर 9.30 बजे तक बंद

पुरुष काउंटर पर रजिस्ट्रेशन 9 बजे के बाद शुरू हुआ। तीसरा रजिस्ट्रेशन गया जिले के कोंच थाने के पांडे पोखर के रहने वाला विनोद कुमार का हुआ। लेकिन वे जब डॉक्टर से दिखाने गए तो वहां डॉक्टर ही नहीं मिले। वहीं, महिला मरीजों का रजिस्ट्रेशन काउंटर 9:30 बजे तक नहीं खुला था। परिजन सिस्टम को कोस रहे थे।

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सरकारी अस्पतालों में चल रही मनमर्जी

जिले के सरकारी अस्पतालों में मनमर्जी चल रही है। अस्पताल में सुविधा है तो पर्याप्त संख्या में चिकित्सक नहीं। उसमें भी कई चिकित्सक दूसरे जिले से आते हैं। सिर्फ ड्यूटी के लिए कभी भी अस्पताल पहुंच जाना है। पीएचसी में चिकित्सक हैं तो सुविधा नदारत है। कई जगह तो इलाज की व्यवस्था एएनएम नर्स के भरोसे है। अस्पताल परिसर में जहां-तहां गंदगी से लोग परेशान दिखे। अस्पताल की सफाई हो रही थी, लेकिन समय से नहीं। सफाई के नाम पर लाखों रुपये प्रतिवर्ष एनजीओ को दिए जा रहे हैं। अस्पताल के ओपीडी में शौचालय साफ नहीं थे। वहीं, डॉक्टर के चेंबर के पास बदबू आ रही थी।

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डॉक्टर पहुंचे विलंब से, मरीज करते रहे इंतजार

अस्पताल में स्त्री रोग विभाग में डॉ. शहला नाजनीन अपने ओपीडी के समय से 9:30 बजे तक नहीं पहुंच पाई। रजिस्ट्रेशन कराने के बाद महिला मरीज करीब आधा घंटा से इंतजार में थीं। वहीं, आंख, कान, नाक विभाग के रोस्टर के अनुसार डॉ. सीएस प्रसाद 9:33 बजे तक नहीं पहुंचे थे। मरीज डॉक्टर के इंतजार में बैठे थे। इस दौरान एक डॉक्टर शैलेश कुमार अपने समय से करीब 46 मिनट विलंब से पहुंचे और मरीजों को देखना शुरू किया। दंत रोग विशेषज्ञ कई महीनों से नहीं बैठ रहे हैं। शिशु रोग विशेषज्ञ की कमी है। इसके कारण ओपीडी में जैसे-तैसे इलाज चल रहा है। हृदय रोग के डॉक्टर के लिए कई मरीज इंतजार कर रहे थे, लेकिन वे 10 बजे तक नहीं पहुंचे।

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अस्पताल उपाधीक्षक का है कहना

उपाधीक्षक डॉ. चंद्रशेखर प्रसाद कहते हैं कि मरीजों को बेहतर सुविधा देने का हरसंभव प्रयास किया जा रहा है। अस्पताल में एक डॉक्टर को दो से तीन प्रभार दिया हुआ है। चिकित्सकों की कमी है। यहां 32-35 डॉक्टरों की जरूरत है, लेकिन विभाग में तीन महिला डॉक्टर और 5 पुरुष डॉक्टर में एक लगातार छुट्टी पर ही हैं। चार डॉक्टरों के सेवानिवृत्त होने के बाद कांट्रैक्ट पर रखा गया है। विभाग को कई बार डॉक्टरों की कमी से अवगत कराया गया है। कभी-कभी आवश्यकतानुसार चिकित्सकों के रोस्टर में फेरबदल की जाती है। अस्पताल में सफाई की व्यवस्था में सुधार जरूरी है। अगर डॉक्टर समय पर आ जाएं तो कुर्सी-टेबल पर धूल फांकनी पड़ेगी। इस कारण भी लेट से आते हैं। इसके बावजूद सभी नौ बजे तक पहुंच जाते हैं।

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