वन विभाग देगा लोगों को रोजगार, कैमूर में शराब बनाने वाले महुआ से अब बनेगा जैम,तिलकूट और लड्डू

बिहार में अब शराब बनाने वाले महुआ से तिलकूट जैम लड्डू बनाने के साथ आनलाइन बेचने तक का ऑप्शन उपलब्ध होगा। इसको लेकर पहल शुरू कर दी गई है। जबकि पीयार के बीज जिसको चरंजिवी के नाम से जाना जाता है उसको पैकेजिंग करा कर बाजार में बेचा जाएगा।

By Rahul KumarEdited By: Publish:Fri, 21 Jan 2022 07:39 AM (IST) Updated:Fri, 21 Jan 2022 07:39 AM (IST)
वन विभाग देगा लोगों को रोजगार, कैमूर में शराब बनाने वाले महुआ से अब बनेगा जैम,तिलकूट और लड्डू
कैमूर में महुआ से बनेगा जैम, तिलकुट और लड्डू। सांकेतिक तस्वीर

दिलीप कुमार मिश्र, भभुआ। पहाड़ी प्रखंड अधौरा अब बदलने लगा है। यहां के लोगों को रोजगारपरक बनाने के लिए भी कार्य करने की योजना है। ताकि लोग गलत धंधे से दूर हों। अब इसी क्रम में जिस महुआ से शराब बनती है उसी महुआ से जैम, तिलकूट तथा लड्डू आदि चीजें बनाने का काम किया जाएगा। इस कार्य के होने से अधौरा में महुआ से शराब बनाने के कार्य पर रोक लग जाएगी। जबकि महुआ से लोग अब पैसा भी कमाने लगेंगे। इस कार्य में अधौरा के करीब 2800 परिवारों को जोड़कर रोजगार उपलब्ध कराया जाएगा।

दरअसल वन सेंचूरी एरिया के बाहर के क्षेत्र में वन विभाग ने पेड़ों का सर्वे कराने का कार्य किया था। जिसमें मामला सामने आया कि सबसे अधिक पहाड़ी क्षेत्रों में पीयार व महुआ का पौधा है। उसके बाद महुआ से तिलकूट, जैम, लड्डू बनाने के साथ आनलाइन बेचने तक का ऑप्शन उपलब्ध होगा। जबकि पीयार के बीज जिसको चरंजिवी के नाम से जाना जाता है, उसको पैकेजिंग करा कर बाजार में बेचा जाएगा। हरे बहेरा औषधि के रूप में बेचा जाएगा। अधौरा क्षेत्र के सोहदाग, सरईनार, चफना, खुखुमा सहित अन्य गांव का सर्वे किया गया है। प्रथम चरण में 20 गांव का चयन कर के सर्वे किया जाएगा। डीएफओ विकास अहलावत ने बताया कि वन विभाग इस क्षेत्र में काम करेगा, इसके लिए तैयारी कर ली गई है।

पेड़ों का किया गया है सर्वे

वन विभाग की ओर से प्रथम चरण में 20 गांव का चयन किया गया है। सर्वे करने के क्रम में पेड़ों की लंबाई तथा उसकी मोटाई का आदि का सर्वे किया गया है। किस किस्म के पेड़ कितना है तथा उसकी क्या गुणवत्ता है। अधौरा के 20 गांव का सर्वे करने के बाद एक- एक गांव का पुस्तक प्रकाशित होगा। पुस्तक में गांव के पेड़- पौधों की जानकारी होगी। सर्वे के मामले में सामने आया कि सबसे अधिक पौधा पीयार, महुआ, हरे बहेरा आदि पाया गया है। इको समिति की भी होगी भूमिका- क्षेत्र में इको समिति के अध्यक्ष की भी अहम भूमिका होगी। इको समिति ही रोजगार उपलब्ध कराने का काम करेगी। इको समिति की ओर से फल को चुनने तथा लाने, कनेक्शन करने, परिवहन करने आदि का काम करेगा। अधौरा में वन विभाग प्रोसेसिंग सेंटर लगवाने का काम करेगा। कोरोना के कारण अभी थोड़ा लेट हो गया है।

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