रक्सौल में वर्षो से विभाग व उपभोक्ताओं को चपत लगाता रहा संतोष

रक्सौल विद्युत विपत्र में घोटाले की जांच में नित नए मामले उजागर हो रहे हैं। विभागीय सूत्रों की माने तो बिना स्थानीय पदाधिकारियों को मेल में लिए इस तरह से वर्षो तक विपत्र की राशि का गबन किया ही नहीं जा सकता। बताते हैं कि निजी एजेंसी का कर्मी संतोष पदाधिकारियों को खुश रखने के लिए तमाम हथकंडे अपनाता था।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 20 Jan 2022 01:11 AM (IST) Updated:Thu, 20 Jan 2022 01:11 AM (IST)
रक्सौल में वर्षो से विभाग व उपभोक्ताओं को चपत लगाता रहा संतोष
रक्सौल में वर्षो से विभाग व उपभोक्ताओं को चपत लगाता रहा संतोष

मोतिहारी । रक्सौल विद्युत विपत्र में घोटाले की जांच में नित नए मामले उजागर हो रहे हैं। विभागीय सूत्रों की माने तो बिना स्थानीय पदाधिकारियों को मेल में लिए इस तरह से वर्षो तक विपत्र की राशि का गबन किया ही नहीं जा सकता। बताते हैं कि निजी एजेंसी का कर्मी संतोष पदाधिकारियों को खुश रखने के लिए तमाम हथकंडे अपनाता था। नेपाल में पार्टी होना आम बात थी। जिसमे विभागीय पदाधिकारियों के भी शामिल होने की बात बताई जाती है। हालांकि अब जब मामला थाना में है तो कोई भी कुछ भी बोलने से परहेज कर रहा है। वही विपत्र वसूली व जमा करने के इस खेल में कम से कम पांच करोड़ सरकारी राशि के वारा न्यारा करने की बात कही जा रही है। पूर्व के विद्युत सहायक अभियंता व कैशियर भी रडार पर : पूरे मामले में यहां पूर्व में पदस्थापित रहे सहायक अभियंता व कैशियर भी रडार पर हैं। संतोष सीधे इन्ही दोनों को रिपोर्ट करता था। बताते हैं कि हाल ही में स्थानांतरित हुए सहायक विद्युत अभियंता यहां पूरे तीन साल कार्यरत रहे थे। जबकि वर्तमान के सुनील रंजन की पोस्टिग अभी हाल ही में सितंबर महीने में हुई थी। ऐसे पकड़ में आया मामला : सहायक विद्युत अभियंता सुनील रंजन बताते हैं कि उनके योगदान के बाद लगातार उपभोक्ताओं द्वारा विपत्र भुगतान के बाद भी बकाया दिखाए जाने संबंधित शिकायत मिले तो उन्होंने तत्काल पूरे मामले की छानबीन शुरू कर दी। तब पूरे मामले का खुलासा हुआ। विभागीय नियमों के विरुद्ध संतोष मैन्युअल विपत्र पर तय सीमा से ज्यादा का राशिद काटता था। जबकि बैंक में कम राशि जमा करता था। विशेष अंकेक्षण टीम पहुंची रक्सौल : इधर मामले की जानकारी मिलते ही विभाग द्वारा एक विशेष अंकेक्षण टीम को रक्सौल भेजा गया है। टीम की अगुवाई आलोक कुमार अग्रवाल कर रहे हैं। विभागीय सूत्रों के अनुसार जांच के बाद पूर्व के सहायक अभियंता व कैशियर के विरुद्ध भी कड़े कदम उठाए जा सकते हैं। 6 साल से चलता रहा घोटाला : बताते हैं कि संतोष वर्ष 2015 से ही विपत्र घोटाला करता रहा है। बड़ी बात यह है कि न तो विभागीय पदाधिकारी और न ही कभी विभागीय ऑडिट में ही उसके द्वारा अंजाम दिए जा रहे करस्तनी को पकड़ा जा सका। जबकि विभाग से जुड़े लोगों की माने तो ऐसा हो ही नही सकता कि इतने वर्षों तक मामला विभाग के संज्ञान नही आया हो। पूरे मामले में विभागीय पदाधिकारियों की संलिप्तता जरूर रही है। करोड़ो की संपत्ति का मालिक बन गया संतोष : निजी एजेंसी का एक अदना सा कर्मी संतोष आज करोड़ों की संपति का मालिक बताया जाता है। रक्सौल में उसका एक आलीशान मकान भी है। बताते हैं कि संतोष ने अपने बहनोई के जरिये देश के दूसरे शहरों में भी काफी इन्वेस्ट किया है। सूत्रों की माने तो नेपाल में भी उसने काफी संपति बनाया है। इधर मामले के खुलासे के बाद विद्युत विभाग में हड़कंप की स्थिति है। विभागीय पदाधिकारी लगातार अपना दामन बचाने की जुगत में लगे हैं।

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