जिउतिया व्रत को लेकर नहाय खाय आज

मोतिहारी। आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की सप्तमी से नवमी तिथि तक जिउतिया पर्व मनाया जाता है। व्रत को लेकर शनिवार को व्रती नहाय-खाय से पूजा की शुरुआत करेंगी।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 20 Sep 2019 10:24 PM (IST) Updated:Fri, 20 Sep 2019 10:24 PM (IST)
जिउतिया व्रत को लेकर नहाय खाय आज
जिउतिया व्रत को लेकर नहाय खाय आज

मोतिहारी। आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की सप्तमी से नवमी तिथि तक जिउतिया पर्व मनाया जाता है। व्रत को लेकर शनिवार को व्रती नहाय-खाय से पूजा की शुरुआत करेंगी। जिउतिया व्रत को लेकर प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित सत्यदेव मिश्र बताते हैं कि पुत्र की लंबी आयु, आरोग्य तथा कल्याण की कामना को ले महिलाएं यह व्रत रखती हैं। पूजा सामग्री की खरीदारी को बाजार व सोने-चांदी के दुकानों पर भीड़ रही। सोनारपट्टी में जिउतिया 35 सौ से दस हजार तक में उपलब्ध है।

नहाय खाय आज

व्रती महिलाएं शनिवार को नहाय-खाय से व्रत की शुरुआत करेंगी। महिलाएं सुबह-सुबह उठकर गंगा व सामान्य स्नान कर पूजा करेंगी। इस दिन व्रती सिर्फ एक बार ही भोजन करती है। पूजा के उपरांत व्रती सात्विक भोजन करेंगी। वहीं रात को व्रती सतपूतिया या झिगनी की सब्जी ग्रहण करेंगी। व्रती पूजा के दौरान झिगनी के पता पर खल्ली, तेल, अक्षत, फूल आदि से अ‌र्घ्य देंगी। इस दिन रात को घर के छत पर चारों दिशाओं में खाना रखने का भी विधान हैं।

ऐसे करें पूजा

आश्विन माह की कृष्ण अष्टमी को प्रदोषकाल में महिलाएं जीमूतवाहन की पूजा करती है। माना जाता है जो महिलाएं जीमूतवाहन की श्रद्धा और विश्वास के साथ पूजा करती हैं उनके पुत्र को लंबी आयु व सभी सुखों की प्राप्ति होती है। पूजन के लिए जीमूतवाहन की कुशा से निरमित प्रतिमा को धूप-दीप, चावल, पुष्प आदि अर्पित किया जाता है और फिर पूजा की जाती है। इसके साथ ही मिट्टी तथा गाय के गोबर से चील व सियारिन की प्रतिमा बनाई जाती है। जिसके माथे पर लाल सिदूर का टीका लगाया जाता है।

व्रत के नियम

इस व्रत को करते समय सूर्योदय से पहले खाना होता है। सूर्योदय के बाद व्रती को कुछ भी खाने-पीने की मनाही होती है। इस व्रत से पहले केवल मीठा भोजन ही किया जाता है तीखा भोजन करना शुभ नहीं होता। इस व्रत में कुछ भी खाया या पिया नहीं जाता। इसलिए यह निर्जला व्रत होता है। व्रत का पारण अगले दिन प्रात:काल किया जाता है।

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