बिहार की पूर्वी चंपारण लोकसभा सीट: 1977 के बाद जब ढहने लगा कांग्रेस का किला, अब भाजपा का है दबदबा

बिहार की पूर्वी चंपारण लोकसभा क्षेत्र छह विधानसभा क्षेत्रों को मिलाकर बना है। छह विधानसभा क्षेत्रों में चार पर भाजपा के विधायक और एक पर राजद व एक पर जदयू के विधायक हैं। 2008 से पहले पूर्वी चंपारण लोकसभा सीट को मोतिहारी लोकसभा के नाम से जाना जाता था। 1952 से 1977 यह सीट कांग्रेस का गढ़ रहा था लेकिन आज सियासी हालात काफी अलग हैं।

By Satyendra Kumar Jha Edited By: Mohit Tripathi Publish:Fri, 22 Mar 2024 05:27 PM (IST) Updated:Fri, 22 Mar 2024 05:27 PM (IST)
बिहार की पूर्वी चंपारण लोकसभा सीट: 1977 के बाद जब ढहने लगा कांग्रेस का किला, अब भाजपा का है दबदबा
बिहार की पूर्वी चंपारण लोकसभा सीट का राजनीतिक इतिहास।

HighLights

  • 2008 से पूर्व मोतिहारी लोकसभा व बाद में पूर्वी चंपारण लोकसभा के नाम से जाना जाता है लोकसभा
  • छह विधानसभा मोतिहारी, हरसिद्धि, गोविंदगंज, केसरिया, कल्याणपुर, पीपरा में चार पर है भाजपा का कब्जा

जागरण संवाददाता, मोतिहारी। बिहार की पूर्वी चंपारण लोकसभा सीट 1952 से 1977 तक कांग्रेस का गढ़ रही थी। 1977 में पहली बार जनता पार्टी के उम्मीदवार ने पहली बार इस सीट पर कब्जा जमाया था। उसके बाद इस सीट से पांच बार भाजपा के राधामोहन सिंह जीतते रहे हैं।

1952 से लगातार पांच बार कांग्रेस के विभूति मिश्र यहां से सांसद रहे। यह सिलसिला 1971 के लोकसभा चुनाव तक रहा। 1977 के लोकसभा चुनाव में जनता पार्टी के ठाकुर रमापति सिंह ने कांग्रेस के पांच बार के सांसद रह चुके विभूति मिश्र से यह सीट छीन लिया था।

हालांकि 1980 में वे हार गए। उन्हें सीपीआई के कमला मिश्र मधुकर ने हराया। लेकिन, सीपीआई का कब्जा इस सीट पर अधिक दिन नहीं रहा।

1984 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के प्रभावती गुप्ता ने कमला मिश्र मधुकर से सीट छीन कर एक बार फिर कांग्रेस का वर्चस्व स्थापित कर दिया। 1989 के लोकसभा चुनाव में मोतिहारी सीट से भाजपा ने पहली बार राधामोहन सिंह को टिकट देकर मैदान में उतारा। राधामोहन को जीत मिली।

1991 में मध्यावधि चुनाव में सीपीआई के कमला मिश्र मधुकर फिर सांसद बन गए। 1996 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के राधामोहन सिंह ने दोबारा जीत दर्ज की। 1998 में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। उन्हें राजद की रमा देवी ने चुनाव में हरा दिया। 1999 के मध्यावधि चुनाव में फिर भाजपा से राधामोहन सिंह ने जीत दर्ज की।

वर्ष 2004 में राजद से अखिलेश प्रसाद सिंह ने राधामोहन सिंह को हराकर मोतिहारी लोकसभा सीट पर कब्जा कर लिया। 2008 में परिसिमन के बाद इस क्षेत्र का नाम मोतिहारी से पूर्वी चंपारण हो गया। 2009 के चुनाव में फिर भाजपा की वापसी हुई और राधामोहन सिंह चुनाव जीत गए। इसके बाद 2014 एवं 2019 में लगातार लोगों का विश्वास जीत राधामोहन सिंह सांसद के रूप में हैं।

2019 के चुनाव का क्या है लेखाजोखा?

पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा के राधामोहन सिंह को पांच लाख 74 हजार 81 मत प्राप्त कर रालोसपा के आकाश कुमार सिंह को हराया था। आकाश कुमार सिंह को दो लाख 81 हजार पांच सौ मत मिले थे। पिछले चुनाव में सांसद ने रेल मार्ग के दोहरीकरण, बापूधाम रेलवे स्टेशन को विकसित करने, सड़क और पुलों के निर्माण के वादे किए थे। इनमें अधिकतर कार्य पूरे हो गए है या हो रहे हैं।

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आजादी के बाद अब तक के सांसद

मोतिहारी लोकसभा क्षेत्र

1952 : विभूति मिश्रा, कांग्रेस

1957 : विभूति मिश्रा, कांग्रेस

1962 : विभूति मिश्रा, कांग्रेस

1967 : विभूति मिश्रा, कांग्रेस

1971 : विभूति मिश्रा, कांग्रेस

1977 : ठाकुर रमापति सिंह, जनता पार्टी

1980 : कमला मिश्र मधुकर, भाकपा

1984 : प्रभावती गुप्ता, कांग्रेस

1989 : राधामोहन सिंह, भाजपा

1991 : कमला मिश्र मधुकर, भाकपा

1996 : राधामोहन सिंह, भाजपा

1998 : रमा देवी, राजद

1999 : राधामोहन सिंह, भाजपा

2004 : अखिलेश प्रसाद सिंह, राजद

पूर्वी चंपारण लोकसभा

2009 : राधामोहन सिंह, भाजपा

2014 : राधामोहन सिंह, भाजपा

2019 : राधामोहन सिंह, भाजपा

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