आशुतोष बने सेना में लेफ्टिनेंट, घर से ननिहाल तक जश्न का माहौल

मोतिहारी। आशुतोष के सेना में लेफ्टिनेंट बनने की खबर जैसे आई शहर के अंबिकानगर से लेकर रामगढ़वा के बहुअरी व बेतिया के बसवरिया में जश्न का माहौल छा गया।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 10 Dec 2019 11:14 PM (IST) Updated:Tue, 10 Dec 2019 11:14 PM (IST)
आशुतोष बने सेना में लेफ्टिनेंट, घर से ननिहाल तक जश्न का माहौल
आशुतोष बने सेना में लेफ्टिनेंट, घर से ननिहाल तक जश्न का माहौल

मोतिहारी। आशुतोष के सेना में लेफ्टिनेंट बनने की खबर जैसे आई शहर के अंबिकानगर से लेकर रामगढ़वा के बहुअरी व बेतिया के बसवरिया में जश्न का माहौल छा गया। वजह रही स्व. जिल्दार कुंवर (खलीफा) के पौत्र व संतोष कुंवर व सुनीता देवी के द्वितीय पुत्र आशुतोष का भारतीय सेना में अधिकारी के पद पर नियुक्ति होना। बिहार के लाल ने अपनी हिम्मत व मेहनत के बल पर ऐसा काम कर दिखाया कि उसके मां-बाप, गांव व ननिहाल समेत पूरे सूबे का सिर एक बार फिर शान से उठ गया है। बीते शनिवार को देहरादून स्थित राष्ट्रीय अकादमी से पासिग आउट परेड व पिपिग समारोह के पूर्व पिता संतोष कुंवर व मां सुनीता देवी ने जब उसके कंधों पर स्टार लगाया तो दोनों गर्व से फूले नहीं समा रहे थे। वही आशुतोष के उपलब्धि की जानकारी जैसे-जैसे लोगों को मिली तो, बधाईयाों का तांता लग गया। आशुतोष के पिता संतोष कुंवर वर्ष 2008 में आर्मी के हवलदार पद से सेवानिवृत्त हुए तो बेटे आशुतोष को देशसेवा में देखने की तमन्ना के साथ उसका दाखिला नालंदा सैनिक स्कूल में वर्ग छह में कराया। आशुतोष ने 12वीं तक की शिक्षा यही प्राप्त की और बेहतर अंक के साथ उ‌र्त्तीण हुए। इसके बाद वे राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए) खड़गवासला, पूणे से तीन साल प्रशिक्षण प्राप्त कर एक साल के अंतिम प्रशिक्षण के लिए राष्ट्रीय अकादमी पहुंचे। चूंकि बचपन से ही सैनिक स्कूल में पढ़ा जिस कारण देश सेवा की भावना सोच बन गई है। उसने कहा कि आर्मी की नौकरी में सिर्फ जवान बनने की ही संभावना नहीं है, बल्कि अफसर भी बना जा सकता है। सच्चे मन व लगन से ऊंचाई की बुलंदी तक पहुंचा जा सकता है। आपकी सोच सही दिशा में होती है तो सारी कायनात उसे पूरा करने में जुट जाती है।

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पिता को देश की सेवा में देख जगा वर्दी से प्रेम

आशुतोष ने बताया कि पिता को आर्मी में देख उनके मन में भी बचपन से देश सेवा व सेना की वर्दी से प्रेम हो चला। पिता सेना में थे जिस कारण, सेना की बहादुरी के किस्से सुनने को मिलते थे और यह सब उन्हें बहुत अच्छा लगता था। पिता संतोष कुंवर ने बताया कि आशुतोष देश सेवा से सेवानिवृत होने के बाद यह इच्छा थी कि घर को कोई सदस्य मातृभूमि व देश की रक्षा में जाए। आज बेटे ने सपने को पूरा कर हमें गौरवांवित किया है। उन्होंने बताया कि बेटे का परेड देखने वे पत्नी सुनीता देवी व पुत्र सुधांशु के कुंवर के साथ देहरादून पहुंचे थे।

मिली भारत मां की सुरक्षा की जिम्मेदारी

आशुतोष ने अपनी सफलता का श्रेय माता, पिता, भाई, मामा के अलावा गुरुजनों, मित्रों व हर उस व्यक्ति को दिया है जो उनकी इस सफलता में मददगार रहे है। कहा कि देश सेवा से बढ़कर कुछ नहीं होता। वह सेना में अफसर जरूर हुए हैं, कितु धरती उनकी मां की तरह है और उनके कंधे पर अपनी मां की सुरक्षा की बड़ी जिम्मेदारी मिली हैं।

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