भगवान बुद्ध की शिक्षाओं को जीवन में लागू करने वालों को शांति, आनंद और प्रेम की होती अनुभूति

मारवाड़ी कालेज के संस्कृत विभाग के तत्वावधान में शुक्रवार को भगवान बुद्ध की सार्वभौमिक शिक्षा के विषयों पर अंतरराष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया। इसमें भारत के विभिन्न विश्वविद्यालयों सहित थाईलैंड मंगोलिया कंबोडिया बर्मा श्रीलंका वियतनाम जापान अमेरिका कनाडा इंडोनेशिया आदि के अकादमिक जगत से संबद्ध 50 से अधिक प्रोफेसरों और शोधार्थियों ने अपनी बात रखी।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 14 May 2022 01:13 AM (IST) Updated:Sat, 14 May 2022 01:13 AM (IST)
भगवान बुद्ध की शिक्षाओं को जीवन में लागू करने वालों को शांति, आनंद और प्रेम की होती अनुभूति
भगवान बुद्ध की शिक्षाओं को जीवन में लागू करने वालों को शांति, आनंद और प्रेम की होती अनुभूति

दरभंगा । मारवाड़ी कालेज के संस्कृत विभाग के तत्वावधान में शुक्रवार को भगवान बुद्ध की सार्वभौमिक शिक्षा के विषयों पर अंतरराष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया। इसमें भारत के विभिन्न विश्वविद्यालयों सहित थाईलैंड, मंगोलिया, कंबोडिया, बर्मा, श्रीलंका, वियतनाम, जापान, अमेरिका, कनाडा, इंडोनेशिया आदि के अकादमिक जगत से संबद्ध 50 से अधिक प्रोफेसरों और शोधार्थियों ने अपनी बात रखी। वेबिनार में दो सौ से अधिक प्रतिभागी जुड़े। उद्घाटन सत्र का संचालन करते हुए इस वेबिनार के संयोजक मारवाड़ी महाविद्यालय के संस्कृत विभागाध्यक्ष डा. विकास सिंह ने कहा कि यह कार्यक्रम भगवान बुद्ध की शिक्षाओं के सार्वभौमिक पहलू पर केंद्रित है। बौद्ध धर्म में 84000 शिक्षाएं हैं, जिनमें भगवान की अनिच्च, अनत्त, अरियसच्च, पटिच्चसमुप्पाद, ब्रह्मविहार, अहिसा, मध्यम मार्ग व पंचशील आदि प्रमुख हैं। सार्वभौमिक शिक्षाएं वे हैं जो किसी भी धर्म, विश्वास, अभ्यास, पंथ या मान्यता की परवाह किए बिना सभी पर लागू हों और सभी अपना उद्धार उनसे करना चाहते हों। यदि मानव भगवान बुद्ध की शिक्षाओं को अपने जीवन में लागू करे तो मानव शांति, आनंद और प्रेम के साथ रहने में सक्षम होंगे।

उद्घाटन सत्र की विधिवत शुरुआत बौद्ध धर्म की दोनों परंपराओं क्रमश: थेरवाद एवं महायान के अनुसार हुआ। इसमें थेरवाद परंपरा के अनुसार बुद्ध वंदना तमिलनाडु सरकार में अल्पसंख्यक आयोग के सदस्य भिक्खु मोरियार बुद्ध ने की एवं महायान की बुद्ध वंदना लामा शांता नेगी ने की। स्वागत भाषण देते हुए मारवाड़ी कालेज की समाजशास्त्र विभागाध्यक्षा डा. सुनीता कुमारी ने कहा कि भगवान बुद्ध की समस्त शिक्षाएं अनुकरणीय हैं।

वैर को अवैर से ही समाप्त किया जा सकता

मुख्य वक्ता के रूप में सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी के श्रमण संकाय के डीन प्रो. रमेश प्रसाद ने कहा कि भगवान बुद्ध ने प्राणी मात्र के कल्याण के लिए अपने 45 वर्षों में समाज को जागृत किया। अनवरत उन समस्त शिक्षाओं को लोक के कल्याण के लिए उनके बीच रखा, जिससे उनका समग्र रूप से कल्याण हुआ। कहा कि वैर को अवैर से ही समाप्त किया जा सकता है। वियतनाम के थान रिसर्च इंस्टीट्यूट के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग की अध्यक्षा प्रो. गुयेन थी थुय गा ने कहा कि व्यक्ति का शरीर चाहे कितना मजबूत हो, आंतरिक रूप से यदि सशक्त नहीं है तो फिर परेशानी होती है। इसलिए विपश्यना के माध्यम से मन को मजबूती प्रदान करते हुए बोधिचित्त का उत्पाद करना चाहिए।

मंगोलिया सदैव भारत का ऋणी रहेगा

विशिष्ट अतिथि के रूप में मंगोलिया के छोई लुवसंजव यूनिवर्सटी आफ लैंग्वेज एंड कल्चर के कुलपति प्रो. उल्जीत लुवसंजव ने कहा कि मंगोलिया में बौद्ध धर्म से संबंधित ग्रन्थों का अनुवाद बड़ी संख्या में हो रहा है। जब तक व्यक्ति अपने प्राचीन मूल्यों को मजबूती से स्वीकार नहीं करता तब तक धर्म में उत्तरोतर वृद्धि का अभाव देखा जाता है। मंगोलिया सदैव भारत का ऋणी रहेगा, क्योंकि भारत ने उन्हें भगवान बुद्ध से परिचित कराकर बौद्धमय बनाया। श्रीलंका के बुद्धिस्थ एंड पाली यूनिवर्सटी के भाषा संकाय के डीन प्रो. लेनेगल सिरिनिवास ने कहा कि बुद्ध दर्शन संसार के समस्त प्राणियों के लिए हितकारी है। जेएनयू के स्कूल आफ संस्कृत एंड इंडिक स्टडीज के प्रो. सी उपेन्द्र राव ने कहा कि बौद्ध धर्म के विकास में जितना योगदान पाली भाषा का है, उतना ही योगदान संस्कृत का भी रहा है। कार्यक्रम में धन्यवाद ज्ञापित सीएम कालेज के संस्कृत विभागाध्यक्ष डा. आरएन चौरसिया ने किया।

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