बड़े नोटों की सुनामी में बाजार धड़ाम, लोग हलकान
हजार और पांच सौ के नोट के अमान्य होते ही बुधवार की सुबह स्थानीय बाजार आर्थिक सुनामी में बह गये।
दरभंगा। हजार और पांच सौ के नोट के अमान्य होते ही बुधवार की सुबह स्थानीय बाजार आर्थिक सुनामी में बह गये। सबेरे सब्जी वालों और दूध वालों ने 500 के नोट को क्या ठुकराया, गृहिणियों के माथे के सिलवट और गहरा गई। चाय नाश्ते और भोजन के लिए भी रेस्टोरेंट में आपधापी मच गयी। दुकानदार पांच सौ का नोट लेने को तैयार थे। लेकिन कोई छुट्टा पैसा वापस करने के मूड में नहीं था। इससे कई स्थानों पर ग्राहकों और दुकानदारों में तू-तू, मैं-मैं हो गयी। पेट्रोल पंपों पर भी लंबी कतार में खड़े बाइक और चौपहिया वाहन चालक अपने बड़े नोट से कुछ छुट्टा बचाने की ताक में थे लेकिन सेल्स मैन में उन्हें ऐसा कोई चांस नही दिया जिससे सब निराश थे। थोक बाजार में बिकवाली पर आर्थिक आपात काल को कोई प्रभाव नही पड़ा। वहां बाद में भुगतान की आस पर कारोबार सुगमतापूर्वक चलता रहा। इसके विपरीत खुदरा दुकानदारों के लिए अपना फुटकर खर्च निकालना भी दुभर हो गया। दरभंगा की व्यस्तम व्यवसायिक मंडी गुल्लोबाड़ा और दरभंगा टावर पर दोपहर में सन्नाटा पसरा था। सामान्य दिनों में रहने वाली भीड़ अचानक जैसे गुम हो गयी थी। लहेरियासराय के व्यवसायिक केंद्र बाकरगंज में भी कारोबारी गतिविधियां मद्धिम थी। चहल पहल से जगमग करनेवाले ब्रांडेड कंपनियों के शोरूम में भी सेल्समैन अपने स्थान पर आराम करते दिखे।
व्यवसायी करेंगे बैंकर्स को सहयोग
दरभंगा प्रमंडलीय वाणिज्य एवं उद्योग परिषद ने बड़े नोट के बंद होने के बाद व्यवसायियों के समक्ष उत्पन्न स्थिति और बैंकों के व्यवहार के मद्देनजर बुधवार की शाम संयुक्त बैठक की। बैठक में पवन कुमार सुरेका ने कहा कि 11 नवंबर से बैंकों का दायित्व बढ़ेगा। इससे व्यवसायी वर्ग भी प्रभावित हैं। इसलिए हम लोग एक दूसरे को सहयोग करेंगे। जिससे कि किसी को कोई कठिनाई नहीं हो।
कालाधन व नकली नोट पर प्रहार
मिथिलांचल वाणिज्य एवं उद्योग परिषद के अध्यक्ष पवन कुमार सुरेका ने प्रधानमंत्री को साहसिक निर्णय के लिए बधाई देते हुए कहा कि इससे काला धन और बड़ी मात्रा में प्रचलित जाली नोट पर लगाम लगेगा। उन्होंने कहा कि देश में 17 लाख करोड़ की मुद्रा का 88 प्रतिशत 500 तथा 1000 के नोट हैं। इनका 60 प्रतिशत कालाधन में या नकली नोट में बदल गया है। जो नेपाल पर पाकिस्तान के मार्ग से आतंकवादी भी उपयोग कर रहे हैं। सबसे बड़ी बात की प्रधानमंत्री ने बड़ी कुशलता से इस साहसिक निर्णय को लागू किया है।
आम आदमी पर भी ध्यान नहीं : फातमी
बड़े नोट को बदलने की यह पहली घटना नहीं है। इससे पहले भी इस प्रकार के कदम उठाये गये हैं। कालाधन रोकने के लिए किया गया कोई भी फैसला स्वागत योग्य है। लेकिन आम आदमी का ध्यान नहीं रखा गया। साधारण लोग फैसले के बाद से हलकान हैं और अभी कई दिन परेशान रहेंगे। राजद गरीबों की पार्टी है उसके सदस्यों के पास बड़े नोट नहीं। बड़े नोट वालों ने ही प्रधानमंत्री को गद्दी पर बिठाया है। वह समझें कि क्या हो रहा है।
आतंकवाद व भ्रष्टाचार पर एक साथ प्रहार : सरावगी पांच सौ व हजार रुपये के नोट का प्रचलन बंद किए जाने के फैसले का स्वागत करते हुए नगर विधायक संजय सरावगी ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐतिहासिक फैसला लिया है। एक साथ आतंकवाद व भ्रष्टाचार की कमर तोड़ दी गई है। प्रधानमंत्री ने साबित कर दिया कि 56 इंच का सीना है। कुछ विरोधी दलों को भले ही यह नागवार गुजर रहा है, लेकिन देश हित में यह ऐतिहासिक फैसला है। श्री सरावगी ने कहा कि भारत सरकार कालाधन वापस लाने के वादा को भी पूरा करने की ओर काफी आगे बढ़ गई है। भाजपा के जिला मीडिया प्रभारी अमलेश कुमार झा ने भी इसे ऐतिहासिक कदम बताया।