डस्टबीन के अभाव में सड़कों पर फेंका जा रहे कचरा

दरभंगा । सरकारी संचिका के मुताबिक करीब डेढ़ साल से शहर में डो टू डोर कचरा वसूली चल रहा है इस अभियान के नाम पर करीब छह सौ से अधिक संविदा सफाई र्किमयों से काम भी लिया जा रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 11 Dec 2019 11:49 PM (IST) Updated:Thu, 12 Dec 2019 06:09 AM (IST)
डस्टबीन के अभाव में सड़कों पर फेंका जा रहे कचरा
डस्टबीन के अभाव में सड़कों पर फेंका जा रहे कचरा

दरभंगा । सरकारी संचिका के मुताबिक करीब डेढ़ साल से शहर में डो टू डोर कचरा वसूली चल रहा है, इस अभियान के नाम पर करीब छह सौ से अधिक संविदा सफाई र्किमयों से काम भी लिया जा रहा है। लेकिन वास्तविकता कुछ और है। करीब तीन महीने पूर्व जैम पोर्टल के माध्यम से 84.90 लाख में एक लाख बीस हजार छोटे डस्टबीन की खरीदारी की गई है। इसका उद्देश्य प्रत्येक होल्डिग धारकों के बीच वितरित कराकर डोर टू डोर अभियान शुरु करना था। लेकिन, इसमें भी आधा अधूरा डस्टबीन का वितरण किया गया है। चूंकि यह अभियान शुरु करने के लिए नगर निगम के पास ना तो ट्राई साइकिल है ना ही हाफ ठेला। गत 26 नबंवर को हुई स्थायी समिति के बैठक में 15 लाख की लागत से 251 हाफ ठेला, 88 लाख की लागत से 4 डंपर टीपर, 2 करोड़ की लागत से 25 ऑटो टीपर एवं 42.30 लाख की लागत से 141 ट्राई साइकिल खरीदने की स्वीकृति दी गई। इन सामानों की आपूíत के बाद ही शहर में डोर टू डोर कचरा वसूली अभियान शुरु किया जाएगा, जहां तक बड़े डस्टबीन का सवाल है करीब 12 वर्ष पूर्व तत्कालीन मेयर अजय पासवान के समय में बड़े डस्टबीनों की खरीदारी हुई थी। इसमें व्यापक घोटाला के कारण मेयर सहित तत्कालीन नगर आयुक्त विनोद कुमार झा एवं वित्त लेखा नियंत्रक रतन कुमार के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी। स्थानीय न्यायालय से जमानत नहीं मिलने से उन लोगों को पटना उच्च न्यायालय में गबन की गई 3.13 लाख रुपए जमा करने के बाद जमानत मिली थी। इसके बाद से अब तक बड़े डस्टबीनों की खरीदारी नहीं की गई है। 12 वर्ष पूर्व के जो कुछ पुराने डस्टबीन बचे हैं, वहीं जहां-तहां पड़े हैं। एसी स्थिति में अधिकांश जगहों पर लोग सड़क किनारे ही कचरा फेंकते हैं। वहीं से निगम कर्मी प्रतिदिन उसका उठाव करते हैं।

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