बांध का निर्माण अधूरा, लोगों को सता रहा बाढ़ का डर

दरभंगा। मानसून की दस्तक के साथ ही कमला नदी के पश्चिमी तटबंध किनारे बसे गांवों के लोगों के जेहन में बाढ़ को लेकर दहशत भर जाती है। नदी के उफान के साथ तटबंध का ताश के पत्ते के समान ढह जाना मानो अब नियति बन गई है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 27 May 2020 12:13 AM (IST) Updated:Wed, 27 May 2020 06:11 AM (IST)
बांध का निर्माण अधूरा, लोगों को सता रहा बाढ़ का डर
बांध का निर्माण अधूरा, लोगों को सता रहा बाढ़ का डर

दरभंगा। मानसून की दस्तक के साथ ही कमला नदी के पश्चिमी तटबंध किनारे बसे गांवों के लोगों के जेहन में बाढ़ को लेकर दहशत भर जाती है। नदी के उफान के साथ तटबंध का ताश के पत्ते के समान ढह जाना मानो अब नियति बन गई है। लगातार बाढ़ की त्रासदी के कारण प्रत्येक वर्ष जान-माल की काफी क्षति होती है। वहीं, जिदगी भर की जमा-पूंजी के साथ बाढ़ के पानी में बह जाना मानो क्षेत्र के लोगों के लिए अभिशाप बन गया है। पिछले वर्ष जुलाई माह में आई बाढ़ ने कमला नदी के पश्चिमी तटबंध को कई जगह से धराशाई कर दिया था। बाढ़ ने कैथवार के गौरीचक चौर व विष्णुपुर ककोड़ा के मध्य में तटबंध को लगभग 50 से 100 मीटर के दायरे में तहस-नहस कर दी थी। बाढ़ ने तारड़ीह प्रखंड के साथ-साथ अलीनगर को भी अपनी चपेट में ले लिया था। आपदा विभाग ने बाढ़ से लोगों को राहत दिलाने के लिए कटान स्थल पर बांध की ऊंचाई को भी बढ़ाने का काम कर रहे हैं। कटान स्थल पर रिसाव से बचने के लिए पाइलिग की जानी है, जिसका प्लेट आने के बावजूद लॉकडाउन के कारण मशीन समय से नहीं आने से इसका असर बांध के मरम्मत कार्य पर भी पड़ा है। कैथवार में बांध की मिट्टीकरण का कार्य लगभग संपन्न हो गया है। अब सेफ्टी वाल तैयार की जा रही है। वहीं, ककोढ़ा कटान स्थल पर मिटटी कार्य पूरा हो गया है। एक तरफ लॉकडाउन, दूसरी तरफ रुक-रुक कर होने वाली बारिश भी निर्माण कार्य में बाधा बन रही है। बाहर से मजदूरों के साथ मटेरियल समय पर नहीं आने के कारण इसके निर्माण कार्य पर भी असर पड़ा है। विभागीय निर्देश के अनुसार, 15 मई तक बांध का कार्य पूरा कर लेना था। पर लॉकडाउन के कारण अब तक काम पूरा नहीं हुआ है। जुलाई माह में कमला नदी के जल ग्रहण क्षेत्र में बारिश से नदी के पानी में उफान रहता है। हालांकि, अधिकारियों का दावा है कि समय से पहले बांध का मरम्मत कार्य कर लिया जाएगा। लेकिन, समय से पहले बांधों का निर्माण कार्य पूरा नहीं होता है, तो क्षेत्र के लोगों को फिर बाढ़ की त्रासदी झेलनी पड़ सकती है।

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