बीमार पड़ने पर सात किलोमीटर दूर अनुमंडलीय अस्पताल जाना मजबूरी

बेनीपुर। बारह हजार की आबादी वाले गणेश बनोल बलनी पंचायत के लोग आज भी सड़क स्वास्थ्य पेयजल व शिक्षा जैसी बुनियादी सुविधाओं के उपभोग से वंचित हैं। पंचायत में आज तक एक उप-स्वास्थ्य केंद्र का निर्माण नहीं हो सका।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 17 Oct 2019 12:55 AM (IST) Updated:Thu, 17 Oct 2019 12:55 AM (IST)
बीमार पड़ने पर सात किलोमीटर दूर अनुमंडलीय अस्पताल जाना मजबूरी
बीमार पड़ने पर सात किलोमीटर दूर अनुमंडलीय अस्पताल जाना मजबूरी

बेनीपुर। बारह हजार की आबादी वाले गणेश बनोल बलनी पंचायत के लोग आज भी सड़क, स्वास्थ्य, पेयजल व शिक्षा जैसी बुनियादी सुविधाओं के उपभोग से वंचित हैं। पंचायत में आज तक एक उप-स्वास्थ्य केंद्र का निर्माण नहीं हो सका। बीमार पड़ने पर लोगों को सात किलोमीटर दूर अनुमंडलीय अस्पताल जाना पड़ता है। जीवछ नदी के किनारे बसे बलनी गांव के लोगों को प्रतिवर्ष बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदा का सामना करना पड़ता है। लोगों का कहना है कि जब जीवछ नदी लबालब भरती है तो नदी किनारे जमींदारी बांधों की मरम्मति के नाम पर प्रतिवर्ष स्थानीय बिचौलियों की मिलीभगत से विभागीय अभियंताओं व ठेकेदारों के बीच सरकारी राशि का बंदरबांट किया जाता है। पंचायत में आज-कल डीलर पॉश मशीन के नाम पर चांदी काट रहे हैं। बताया जाता है कि बलनी गांव में दर्जनों ऐसे राशन कार्डधारी हैं, जिनको डीलर पॉश मशीन के नाम पर खाद्यान्न नहीं देकर परेशान कर रहे हैं। इस संबंध में कई उपभोक्ता एसडीओ से शिकायत भी कर चुके हैं। पंचायत के वार्डों में नल-जल योजना की स्थिति बेहद खराब है। अधिकांश वार्डों में इस योजना के तहत गाड़े गए बोरिग से लोगों को नियमित शुद्ध पेयजल नहीं मिल रहा है। योजना में व्यापक स्तर पर अनियमितता बरती जा रही है। पंचायत में बलनी, कंथूडीह व कोठबन्ना गांव शामिल है। सबसे ज्यादा परेशानी कंथूडीह एवं कोठबन्ना के लोगों को उठानी पड़ती है। दोनों गांव के लोगों को मुखिया से मिलने को भी नौ किलोमीटर की दूरी पार करनी पड़ती है। पंचायत के गांवों में बरसात के समय जलजमाव की समस्या बनी रहती है। पंचायत में आज तक एक अदद हाईस्कूल का निर्माण नहीं हो सका। बच्चे लंबी दूरी तय कर बहेड़ा हाईस्कूल जाते हैं। बलनी मध्य विद्यालय में कमरों के अभाव में पढ़ाई बेपटरी हो चुकी है। तीनों गांव में एक भी बैंक नहीं रहने से लोग परेशान हैं। आंगनबाड़ी केंद्रों पर मेन्यू के हिसाब से पोषाहार नहीं मिलता। बच्चों की संख्या लगातार कम हो रही है। पंचायत में स्वच्छता अभियान के तहत बनवाए गए शौचालयों की स्थिति बेहद गंभीर है।

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कहते हैं ग्रामीण : बलनी गांव नदी के किनारे बसा है। लोग हर साल बाढ़ झेलने को विवश हैं। इसका स्थायी निदान होना चाहिए और क्षेत्र को जलजमाव से मुक्त किया जाना चाहिए।

- नूनू झा, ग्रामीण

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जनवितरण प्रणाली की दुकानों में पॉश मशीन आने से डीलरों की तो चांदी कट रही है, लेकिन उपभोक्ताओं की परेशानी बढ़ गई है। इसका उचित समाधान जरूरी है।

- राम बहादुर झा, ग्रामीण

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पंचायतों के विकास से ही लोगों का विकास होगा। अभी तक पूरे पंचायत में नल-जल योजना धरातल पर नहीं उतरी है। शौचालय निर्माण कार्य संतोषजनक नहीं है।

- गज्जू मुखिया, ग्रामीण

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स्थानीय जनप्रतिनिधियों को पंचायत के विकास के लिए आगे आने की जरूरत है। निर्वाचित होने के बाद वे क्षेत्र के विकास की चिता छोड़ मौज-मस्ती में लग जाते हैं।

- विकाऊ मुखिया, ग्रामीण

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कोठबन्ना गांव के लोग नौ किलोमीटर की दूरी तय कर मुखिया से मिलने जाते हैं। मुखियाजी को चाहिए कि पंचायत के हर गांव में सप्ताह में दो दिन आकर घुमें और लोगों की समस्याओं को जानें।

- राम लोचन पासवान, ग्रामीण

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मानक के अनुसार पंचायत में विकास कार्य चल रहा है। योजनाओं को जिला व प्रखंड से लाने में समय लगता है। लोगों को विकसित पंचायत के लिए धैर्य रखने की जरूरत है।

- शत्रुघ्न मुखिया, उप मुखिया

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पंचायत में हमेशा विकास की स्थिति दयनीय बनी रहती है। गांव मे माह में एक बार आमसभा हो जाए तो विकास सिर चढ़ कर बोलेगा। लेकिन, ऐसा हो नहीं पा रहा।

- बलराम झा, ग्रामीण

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पंचायत के हर वार्ड में वार्ड सदस्यों को आमसभा करने की जरूरत है। यह नहीं हो रहा है। आमसभा होगी तो लोग अपनी समस्याओं को रख सकेंगे और उसका समाधान होगा।

- सुकदेव मुखिया, वार्ड सदस्य

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जनप्रतिनिधियों में विकास करने की इच्छाशक्ति खत्म हो गई है। गांव में ढेरों समस्याएं मुंह बाए खड़ी है जिसका समाधान होना चाहिए, लेकिन ये करेगा कौन।

- कन्हैया मिश्र, ग्रामीण

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पंचायत में विकास के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं। सभी लोगों की इच्छाओं की पूर्ति करना हमारे वश में नहीं है। फिर भी, जी-जान लगाकर पंचायत के विकास में जुटे हैं। कई विकास कार्य प्रगति पर हैं।

- पंकज कुमार झा, मुखिया

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