गाय में झलकती भारतीय संस्कृति

जागरण संवाददाता, दरभंगा : गाय में भारतीय संस्कृति झलकती है, इससे लोगों की आस्था जुड़ी हुई है और इसकी

By Edited By: Publish:Fri, 31 Oct 2014 11:34 PM (IST) Updated:Fri, 31 Oct 2014 11:34 PM (IST)
गाय में झलकती भारतीय संस्कृति

जागरण संवाददाता, दरभंगा : गाय में भारतीय संस्कृति झलकती है, इससे लोगों की आस्था जुड़ी हुई है और इसकी सेवा हर दृष्टि से लाभकारी है। इसके ऐतिहासिक महत्व को लोगों के सहयोग से कायम किया जा सकता है। आस्था से जुड़े होने के कारण हर कोई इसमें मदद करने को तैयार है। ये बातें मिर्जापुर गोशाला में गोपाष्टमी पर शुक्रवार की शाम आयोजित कार्यक्रम में वक्ताओं ने कही।

सोसाइटी के उपाध्यक्ष डॉ.जयशंकर झा के संचालन में हुए कार्यक्रम को संबोधित करते हुए नगर विधायक संजय सरावगी ने कहा कि गाय की सेवा करने वाले हर व्यक्ति को लाभ ही होता है। गाय हमारी संस्कृति है और इसकी रक्षा सभी का दायित्व है। उन्होंने कहा कि मिर्जापुर गोशाला का राष्ट्रीय क्षितिज पर स्थान है। अखिल भारतीय गोशाला संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल अग्रवाल नूतन ने कहा कि गोशाला के संव‌र्द्धन, गो-हत्या पर रोक जैसी कानून पहले बिहार में ही बनी, लेकिन वर्तमान समय में यहीं गाय व गोशाला की स्थिति बदतर है। गोवंश की रक्षा के लिए व्यापक अभियान चलाने की जरूरत है। गोवंश के माध्यम से आर्थिक समृद्धि हो सकती है। इन दिनों अमृत रूपी दूध देने वाली गायों की तादाद कम होती जा रही है।

इस मौके पर प्रधान सचिव विनोद पंसारी, पंजाब नेशनल बैंक के क्षेत्रीय प्रबंधक पीके जैन, प्रो.राम निरंजन केडिया, शिव भगवान गुप्ता, डॉ.राम मोहन झा, डॉ.ंइदिरा झा, डॉ.मुकेश प्रसाद निराला आदि ने भी विचार रखे। वहीं सिद्धुमल, डॉ.ब्रजमोहन मिश्रा, प्रो. रणधीर झा समेत कई लोग मौजूद थे। इससे पूर्व सुबह में गोपूजन किया गया। फिर संगेाष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें वक्ताओं ने गाय व गोशाला के संव‌र्द्धन व विकास पर अपने-अपने सुझाव दिए।

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सांस्कृतिक कार्यक्रम में जीवंत हुई कला

गोपाष्टमी के मौके पर मिर्जापुर गोशाला में आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम में भजन व नृत्य नाटिका के माध्यम से कला जीवंत हो उठी। दोपहर में आयोजित भजन कार्यक्रम के बाद रात में राधा-कृष्ण पर केंद्रित नृत्य नाटिका की प्रस्तुति पर लोग मुग्ध रहे। इन प्रस्तुतियों से पूरा वातावरण राधा-कृष्ण से साराबोर हो गया। वहीं गोशाला परिसर दिनभर गुलजार रहा।

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