जलकुंभी भरे सड़े हुए पानी में उतरने से कांप उठी रुह

ही माना गया है। लेकिन प्रशासन की उपेक्षा के चलते तालाब की सफाई नहीं हो सकी। इसके किनारे चारों तरफ अतिक्रमण का बोलबाला भी चरम पर है। स्थानीय लोग घर बनाकर रह रहे हैं। जहां कभी ऋषि-मुनियों का आश्रम हुआ करता था। वहां अभी अतिक्रमण एवं तालाब में जलकुंभी का आतंक है। प्रशासन की उदासीनता से स्थानीय लोग इस तालाब की भूमि का अवैध लाभ उठा रहे हैं।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 19 Nov 2019 05:45 PM (IST) Updated:Tue, 19 Nov 2019 05:45 PM (IST)
जलकुंभी भरे सड़े हुए पानी में उतरने से कांप उठी रुह
जलकुंभी भरे सड़े हुए पानी में उतरने से कांप उठी रुह

बक्सर : आस्था के मामलों में खुद को संवेदनशील दिखाने वाली सरकार को भभुअर का पवित्र तालाब पंचकोस यात्रा के दौरान आइना दिखा रहा था। पंचकोस यात्रा के तीसरे दिन भभुअर पहुंचे श्रद्धालु भार्गव तालाब की गंदगी देख दंग रह गए। जलकुंभी से ढके तालाब में श्रद्धालु स्नान करने से कतराते रहे। पानी की सड़ांध से चाह कर भी नहाने वाले पीछे हट गए।

गौरतलब हो कि, पंचकोसी परिक्रमा के तीसरे पड़ाव भभुवर में श्रद्धालु प्राचीन भार्गव तालाब में स्नान कर पूजा-अर्चना करते हैं। लेकिन, तालाब पूरी तरह जलकुंभी से पटा हुआ था। पानी से बदबू आ रही थी। हालांकि, श्रद्धालुओं को स्नान के लिए कुछ दूरी पर जलकुंभी हटा कर बांस के सहारे घेरा बनाया गया था। बिक्रमगंज थाना के अगरेर निवासी मदन पांडेय एवं बसांव खुर्द निवासी महेंद्र ओझा सहित अन्य ने बताया कि इतना बड़े आयोजन में भी तालाब की सफाई नहीं कराई गई है। जो श्रद्धालुओं की आस्था के साथ खिलवाड़ है। हजारों लोग पंचकोसी परिक्रमा के लिए यहां आए हैं। स्नान के उपरांत प्रसिद्ध शिव मंदिर में जलाभिषेक करनेवालों की भीड़ लगी रही। ज्ञात हो कि, पंचकोसी परिक्रमा में दूर-दराज के लोग आते है। जबकि, मेला में अधिक महत्वपूर्ण भार्गव तालाब को ही माना गया है। लेकिन, प्रशासन की उपेक्षा के चलते तालाब की सफाई नहीं हो सकी। इसके किनारे चारों तरफ अतिक्रमण का बोलबाला भी चरम पर है। स्थानीय लोग घर बनाकर रह रहे हैं। जहां कभी ऋषि-मुनियों का आश्रम हुआ करता था, वहां लोगों ने स्थाई निर्माण कर लिए हैं।

भार्गव सरोवर में स्नान करने से दूर होते है कष्ट

संवाद सहयोगी, इटाढ़ी (बक्सर) : भार्गव सरोवर में स्नान कर सरोवर के किनारे स्थित भारगेश्वर शिव मंदिर में पूजा-अर्चना करने से सारे कष्ट दूर होते है। भार्गव आश्रम में ऋषि-मुनियों के पीने के पानी की समस्या दूर करने के लिए मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के आदेश पर श्रीलक्ष्मण ने तीर चलाया। जिससे भूगर्भ से भार्गव सरोवर का पानी निकला। उक्त बातें पंचकोसी परिक्रमा के तीसरे दिन भभुवर में प्रवचनकर्ता ने कही।

श्रद्धालुओं की लगी भीड़ में परिक्रमा के बाद प्रवचन का आयोजन किया गया था। जहां उपस्थित साधु-संत के श्रीमुख से कथा का पान लोग कर रहे थे। बसांव मठ के काली बाबा ने प्रवचन के दौरान भगवान शिव की महिमा का वर्णन किया। वहीं, उपस्थित श्रद्धालुओं से एक-दूसरे का सहयोग करने को सबसे बड़ा पुण्य का काम बताया गया। प्रवचन के दौरान वक्ताओं ने कहा कि श्रीरामचन्द्र जी पंचकोसी यात्रा के तीसरे दिन भार्गव ऋषि के आश्रम में रुके हुए थे। जहां उन्होंने चूड़ा-दही का प्रसाद भोजन के रूप में ग्रहण किया। कथावाचक डॉ.रामनाथ ओझा ने बताया कि 52 बीघा में स्थापित इस सरोवर का महत्व काफी है। पंचकोसी यात्रा के तीसरे दिन यहां स्नान कर सरोवर की परिक्रमा की जाती है।

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