यहां जान जोखिम में डाल ट्रैक पार करते हैं रेलयात्री

रेलवे ट्रैक को पार करना भले ही  अपराध है। बावजूद, जल्दबाजी में लोग जान जोखिम में डालकर ऐसा कर रहे हैं। स्थानीय स्टेशन पर  रोज  जान जोखिम में डाल लोग ट्रैक पार करते हैं।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 17 Jul 2018 05:43 PM (IST) Updated:Tue, 17 Jul 2018 05:43 PM (IST)
यहां जान जोखिम में डाल ट्रैक पार करते हैं रेलयात्री
यहां जान जोखिम में डाल ट्रैक पार करते हैं रेलयात्री

बक्सर । रेलवे ट्रैक को पार करना भले ही  अपराध है। बावजूद, जल्दबाजी में लोग जान जोखिम में डालकर ऐसा कर रहे हैं। स्थानीय स्टेशन पर  रोज  जान जोखिम में डाल लोग ट्रैक पार करते हैं। दानापुर-मुगलसराय रेलखंड पर रोजाना 30 से 40 ट्रेनें आर-पार होती है। डुमरांव में रेलवे की दो क्रॉ¨सग है। प्लेटफॉर्म पर जाने के लिए फुटओवर ब्रिज भी है। कई जगह लोगों ने अवैध क्रा¨सग बना रखे हैं। रेलवे प्रशासन इसे नजरंदाज कर रहा है। हादसा होने पर ही कुछ दिनों तक सजगता नजर आती है।  रेलवे ट्रैक पर लोग जान जोखिम में डालकर  प्लेटफॉर्म तक जाते हैं। कई जगह लोगों ने अपनी-अपनी सुविधा के लिए अवैध क्रा¨सग बना रखी हैं। आरपीएफ कभी भी अभियान चलाकर रेलवे यात्रियों को अवैध रूप से ट्रैक पार से रोकती नहीं है। न ही अवैध क्रा¨सग पर अंकुश लगा सकी है। इसके अलावा अन्य कई स्थानों पर लोगों ने अपनी सुविधा के मुताबिक रेलवे ट्रैक पर क्रा¨सग बना रखी है। नहीं मानते हैं बाइक सवार बाइक सवारों का तो आलम यह है कि क्रा¨सग पर फाटक बंद होने पर भी ट्रैक पार करने से बाज नहीं आते हैं। पूर्वी और पश्चिमी दोनों रेलवे क्रॉ¨सग पर गाड़ियों के आवागमन के समय गुमटी बंद होने की स्थिति में बाइक चालक अपनी बाइक को बहुत खतरनाक ढंग से लेकर निकल जाते हैं। जिससे दुर्घटना की आशंका बनी रहती है। इस व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए आरपीएफ द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। जिससे ट्रेन और ट्रैक प्रभावित हुए। इसके बावजूद बाइक सवारों पर अंकुश नहीं लगा। जागरूकता का अभाव रेलवे ट्रैक पार करना जागरूकता का ही अभाव माना जाएगा। रेलवे प्रशासन निरंतर जनता को सतर्क करता है। बावजूद, जनता इस और तवज्जो नहीं देती है। डुमरांव स्टेशन पर रेलवे ट्रैक पर रेलयात्री ही नहीं गुजरते है। बल्कि यह पशुओं का चारागाह भी है। ट्रैक पार करने के दौरान कई घटनाएं हो चुकी है। इससे सबक लेने के लिए न तो पब्लिक तैयार है और न ही रेल प्रशासन कोई ठोस कारगर पहल कर रहा है। नतीजा सबकुछ ऐसे ही चल रहा है।

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