तस्वीर में उलझी सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था, उठे अव्यवस्था पर सवाल

बक्सर कोरोना संकट काल में जहां निजी अस्पताल के डॉक्टर मरीजों को देखने में नौ नखरे बति

By JagranEdited By: Publish:Mon, 27 Jul 2020 09:34 PM (IST) Updated:Tue, 28 Jul 2020 06:15 AM (IST)
तस्वीर में उलझी सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था, उठे अव्यवस्था पर सवाल
तस्वीर में उलझी सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था, उठे अव्यवस्था पर सवाल

बक्सर : कोरोना संकट काल में जहां निजी अस्पताल के डॉक्टर मरीजों को देखने में नौ नखरे बतिया रहे हैं। वहीं, सरकारी डाक्टर बिना छुटटी लिए मानवता की सेवा में दिन-रात जुटे हुए हैं। वे खतरे से खेल रहे हैं और उसके बाद भी मरीजों की सेवा कर रहे हैं। ऐसे में कोई तस्वीर उनकी इस समर्पण पर सवाल खड़े कर दे तो यह सोचने का विषय है। जिले में एक ऐसी ही तस्वीर वायरल हुई है, जिसमें दो किलो के सिलेंडर के साथ ट्रे में नवजात का शव लिए माता-पिता को दौड़ने का कसूरवार सरकारी व्यवस्था को ठहरा दिया गया। जबकि, तस्वीर का दूसरा पक्ष कुछ और था जो जागरण की पड़ताल में सामने आया।

असल में, चौसा से नवजात को लेकर आया वह दंपत्ति चौसा के ही एक निजी अस्पताल से रेफर होकर सदर अस्पताल आया था। बताया जाता है कि निजी अस्पताल में नवजात की हालत बिगड़ने पर परिजन हो-हल्ला न करें इसके लिए अस्पताल ने बच्चे को रेफर करने के साथ उसके परिजनों को ऑक्सीजन सिलेंडर भी थमा दिया और वही ऑक्सीजन सिलेंडर लिए नवजात के माता-पिता जब सदर अस्पताल पहुंचे तो किसी ने यह तस्वीर ले ली। फिर तस्वीर वायरल हो गई और उसके लिए सदर अस्पताल की सरकारी व्यवस्था को कसूरवार ठहरा दिया गया। सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ.अनिल कुमार सिंह ने बताया कि नवजात के परिजन चौसा के किसी निजी अस्पताल से बच्चे को लेकर आए थे। अस्पताल में एसएनसीयू में उसे भर्ती किया गया। हालांकि, नवजात की हालत गंभीर थी। ऐसे में उसे बचाया नहीं जा सका। उन्होंने बताया कि सदर अस्पताल में इतना छोटा सिलेंडर भी नहीं है, जिसे नवजात के परिजन कंधे पर लेकर घूम रहे थे। सिविल सर्जन डॉ.जितेन्द्र नाथ ने भी इस आशय की पुष्टि की। उन्होंने बताया कि दो किलो का ऑक्सीजन सिलेंडर सदर अस्पताल का हो ही नहीं सकता है।

एसएनसीयू में नहीं है ऑक्सीजन सिलेंडर की व्यवस्था

सबसे बड़ी बात कि एसएनसीयू में आक्सीजन सिलेंडर की व्यवस्था भी नहीं है। वहां तो पाइप लाइन से ऑक्सीजन की आपूर्ति होती है। अब इस परिस्थिति में प्रशासन का यह दायित्व बनता है कि विश्वसनीयता को बहाल करने के लिए मामले की जांच करे और निजी अस्पताल पर कार्रवाई करे कि जब स्थिति गंभीर बन जाती है तो वे मरीज को सरकारी अस्पताल पर क्यों टाल देते हैं। जबकि, जब पैसे बनाने होते हैं तो मरीज को अपने पास रखते हैं।

चौसा और राजपुर पीएचसी प्रभारी को सौंपी गई है जांच : सीएस

सिविल सर्जन डॉ.जितेन्द्र नाथ ने बताया कि इस मामले की जांच चौसा एवं राजपुर के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारियों को सौंपी गई है। उनसे मामले की जांच करने के लिए कहा गया है कि किस निजी अस्पताल में इस तरह से मरीज के साथ खिलवाड़ किया गया और उसे ऑक्सीजन सिलेंडर थमा कर सदर अस्पताल भेज दिया गया। सीएस ने बताया कि सदर अस्पताल में जब नवजात के परिजन उसको लेकर आए थे तो उसकी हालत ठीक नहीं थी। मौके पर मौजूद डाक्टर ने नवजात को पटना रेफर कर दिया। लेकिन वे लोग ले जाने को तैयार नहीं हुए और एसएनसीयू में इलाज के दौरान नवजात ने दम तोड़ दिया।

बयान :

इस तरह का मामला सामने आने के बाद सिविल सर्जन से इसके बारे में पूछताछ की गई थी। सिविल सर्जन का यही कहना था कि वे निजी अस्पताल से ऑक्सीजन सिलेंडर लेकर सदर अस्पताल आए थे। सिविल सर्जन ने इसकी प्रारंभिक रिपोर्ट दे दी है। हालांकि, उनसे मामले की जांच कर जांच प्रतिवेदन देने के लिए कहा गया है।

अमन समीर, जिलाधिकारी, बक्सर।

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