..और क्षणभर में उजड़ गया सोनी, बिदा और कुमारी का सुहाग

चक्की पंचायत के लक्ष्मण डेरा बधार में सोमवार को हुई विद्युत स्पर्शाघात की घटना ने एक साथ सोनी बिदा और कुमारी देवी की खुशहाल जिदगी में तूफान ला खड़ा कर दिया।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 19 Aug 2019 06:20 PM (IST) Updated:Mon, 19 Aug 2019 06:20 PM (IST)
..और क्षणभर में उजड़ गया सोनी, बिदा और कुमारी का सुहाग
..और क्षणभर में उजड़ गया सोनी, बिदा और कुमारी का सुहाग

बक्सर । चक्की पंचायत के लक्ष्मण डेरा बधार में सोमवार को हुई विद्युत स्पर्शाघात की घटना ने एक साथ सोनी, बिदा और कुमारी देवी की खुशहाल जिदगी में तूफान ला खड़ा कर दिया। सपने में भी इन महिलाओं ने कभी नहीं सोचा होगा कि उसे यह दिन देखने को मिलेगा। घटना में मौत के शिकार हुए अपने पति के शव के समीप रोती कलपती इन महिलाओं के रूदन-क्रंदन से पूरा जन मानस मर्माहत था। लोगों के लाख सांत्वना देने के बावजूद उनकी स्थिति बदहवास जैसी थी।

कुछ ऐसी ही स्थिति मृतकों के परिवार वालों का भी था। पुत्र शोक में सबकी आंखों से आंसू की अविरल धारा प्रवाहित हो रही थी। मृतकों के परिजनों का कहना था कि सोमवार सुबह 6 बजे के करीब रविशंकर यादव, पवन पासवान और रामअवध पासवान मवेशियों को चराने के लिए लक्ष्मण डेरा बधार में गए थे। मगर यह उनके जिदगी की आखिरी यात्रा होगी, शायद किसी ने यह नही सोचा होगा। बताते चलें कि विद्युत स्पर्शाघात की इस घटना में रविशंकर यादव, पवन पासवान और रामअवध पासवान की घटनास्थल पर ही दर्दनाक मौत हो गई थी। 2017 में हुई थी रविशंकर की शादी चक्की प्रखंड के लक्ष्मण डेरा गांव निवासी रविशंकर यादव की शादी 2017 में सोनी के साथ हुई थी। अभी तक कोई संतान भी नहीं हुई थी। मगर काल के कुचक्र को दोनों का खुशहाल दांपत्य जीवन रास नहीं आया और उसने ऐसा दर्द दिया कि उसकी टीस सोनी को पूरी जिदगी सालती रहेगी। रविशंकर यादव गांव पर ही खेती बाड़ी व पशुपालन का कार्य करते थे। जबकि, उनके बड़े भाई पुलिस में नौकरी करते हैं। रोज की भांति आज भी वह बधार में मवेशियों को चराने ले गए थे। लेकिन अब वो सदा के लिए सबकी आंखों से ओझल हो गए हैं। गांव में पसरा मातमी सन्नाटा भाद्रपद मास की गणेश चतुर्थी व्रत को लेकर जहां गांव में चारों तरफ भक्ति व उल्लास का वातावरण कायम था। वही इस घटना के बाद से मातमी सन्नाटा व्याप्त है। आलम यह है कि पीड़ित परिवार को स्थानीय लोग व उनके सगे संबंधी सांत्वना देने का साहस नहीं जुटा पा रहे है। परिजनों का हृदय विदारक क्रंदन मानवीय संवेदनाओं को झकझोर रही थी। कुछ लोग उन्हें सांत्वना देने का प्रयास भी किए, लेकिन उन लोगों पर इसका तनिक भी प्रभाव नहीं पड़ा। जर्जर विद्युत तार व खंभों से हो रहे हादसे जर्जर तारों व गुणवत्ताहीन खंभों पर टिकी क्षेत्र की विद्युत संचरण व्यवस्था के कारण इस तरह की घटनाएं आम बात हो गई हैं। ग्रामीणों का कहना है कि विभागीय अधिकारियों को कई बार जनहित से जुड़ी इस ज्वलंत समस्या से अवगत कराया गया। मगर उन्होंने इसे गंभीरता से नहीं लिया। इस मामले को लेकर विभागीय अधिकारी थोड़े भी संवेदनशील हुए होते तो शायद आज यह घटना घटित नहीं होती।

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