लोगों में नोटबंदी का रहा खट्टा मीठा अनुभव

ठीक एक साल पहले 8 नवंबर को केंद्र सरकार की पहल पर भारतीय रिजर्व बैंक ने एक बड

By JagranEdited By: Publish:Thu, 09 Nov 2017 03:05 AM (IST) Updated:Thu, 09 Nov 2017 03:05 AM (IST)
लोगों में नोटबंदी का रहा खट्टा मीठा अनुभव
लोगों में नोटबंदी का रहा खट्टा मीठा अनुभव

भोजपुर। ठीक एक साल पहले 8 नवंबर को केंद्र सरकार की पहल पर भारतीय रिजर्व बैंक ने एक बड़ा फैसला लेते हुए पांच सौ व एक हजार रुपये के पुराने नोट को बंद कर दिया था। इसको लेकर तब सियासी गलियारे से लेकर आम लोगों के बीच हाय तौबा की स्थिति देखी गई, पर समय गुजरने के साथ स्थिति धीरे धीरे सामान्य होने लगी है। इस दौरान नोटबंदी के संबंध में लोगों के खट्टे मीठे अनुभव रहे हैं। नोटबंदी से जहां आम लोगों को नगद रूपयों के लिए बैंकों में धक्के खाने पडे़ वहीं छोटे व्यवसायी अपना कारोबार ठप पड़ जाने से परेशान रहे। दूसरी ओर नोटबंदी के बाद कैशलेस लेन देन का प्रचलन बढ़ने से लोगों को काफी सहूलियत भी हुई है। रिजर्व बैंक के इस साहसपूर्ण फैसले से आम आवाम को कई फायदे हुए हैं बावजूद इसके नोटबंदी को लेकर सियासी बयानबाजी अब भी जारी है। उक्त फैसले के एक साल पूरे होने पर एक बार फिर इस मामले को चर्चा शुरू हो गई है। ऐसे में दैनिक जागरण ने इस अहम मसले पर लोगों के विचार जानने की कोशिश की तो कुछ इस तरह की बातें उभर कर सामने आई।

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शुरुआती दिनों में ऐसा लगा कि इससे अर्थ व्यवस्था बुरी तरह से प्रभावित होगी लेकिन समय बीतने के साथ यह आशंका निर्मूल साबित हुई है।

राधेश्याम केसरी

नोटबंदी के बाद कैशलेस लेन-देन का प्रचलन तेजी से बढ़ा है जिसका फायदा अब लोगों को दिखने लगा है। नोटबंदी से कालेधन पर भी काफी हद तक अंकुश लगा है।

सारंगधर पांडेय

नोटबंदी से मेरे कारोबार पर कोई खास असर नहीं दिखा। हालांकि नोटबंदी के बाद कैशलेस व्यवस्था का फायदा जरूर दिखाई देने लगा है।

मो. मेराज खान

नोटबंदी से सोने के व्यवसाय पर प्रतिकूल असर देखा गया पर अब सब कुछ सामान्य हो गया है। नोटबंदी का ही असर है कि आज सोना का भाव लंबे समय से स्थिर है।

दिलीप कुमार सर्राफ

नोटबंदी से छोटे कारोबारियों को परेशानी हुई है। खासकर शुरुआती दौर में नकद की कमी से छोटे व्यापारियों के साथ साथ आम लोगों को भी फजीहत झेलनी पड़ी थी।

धनंजय कुमार

जमीन खरीद कर कालाधन खपाने वाले लोगों पर नकेल कसा है। अब नकदी की भी कोई किल्लत नहीं है। नोटबंदी के फैसले का दूरगामी असर लोगों को सकून देने लगा है।

राजेश केशरी

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