दूर हुई गंगा : पानी के साथ इंटेकवेल में पहुंच रही मिट्टी, 12 मजदूर प्रतिदिन निकाल रहे गाद

गंगा का जलस्तर प्रतिदिन घट रहा है। इसके कारण जगह-जगह टीला बन गया है। यह इंटेकवेल तक पानी पहुंचने में बाधक बन रहा है। शहर में जल संकट गहराने लगा है। गंदा पानी की आपूर्ति होती है।

By Dilip ShuklaEdited By: Publish:Tue, 18 Dec 2018 05:23 PM (IST) Updated:Tue, 18 Dec 2018 05:23 PM (IST)
दूर हुई गंगा : पानी के साथ इंटेकवेल में पहुंच रही मिट्टी, 12 मजदूर प्रतिदिन निकाल रहे गाद
दूर हुई गंगा : पानी के साथ इंटेकवेल में पहुंच रही मिट्टी, 12 मजदूर प्रतिदिन निकाल रहे गाद

भागलपुर [जेएनएन]। गंगा के घटते जलस्तर और अत्यधिक गाद जमा होने के कारण बरारी वाटर वर्क्स के इंटेकवेल के लिए जलसंकट उत्पन्न हो गया है। वेट इंटेकवेल में पानी का स्तर मात्र चार फीट ही शेष रह गया है। जबकि ड्राइ इंटेकवेल में 10 फीट तक गाद जमा है। पैन इंडिया गाद नहीं निकालने के बजाय वेट इंटेकवेल से भंडारण कर रही है। नतीजा 15 के बदले 11 एमएलडी पानी वाटर वक्र्स में पहुंच रहा है। नदी का स्रोत भी बंद होने के कगार पर है।

नदी में चैनल बनाकर इंटेकवेल में पानी पहुंचाने की जद्दोजहद चल रही है। इसके लिए 12 मजदूरों को सिर्फ गाद हटाने में लगाया गया है। इस स्रोत से सिर्फ 15 दिनों तक ही पानी लिया जा सकता है। इंटेकवेल में जमा गाद नहीं निकाला गया तो कभी भी पेयजल की आपूर्ति ठप हो सकती है। इससे तीन लाख लोगों को पानी के लिए तरसना पड़ जाएगा। इंटेकवेल से 50 मीटर तक नदी धारा दूर चली गई है। समस्या निदान के लिए बुडको के कार्यपालक अभियंता योगेंद्र कुमार ने सोमवार से 870 मीटर इंटेकवेल से केनाल खोदने का निर्देश दिया था। निर्देश के बावजूद पैन इंडिया ने अब तक केनाल का कार्य शुरू नहीं किया।

जगह-जगह बन गया है टीला

नदी का जलस्तर प्रतिदिन चार से छह इंच घट रहा है। इसके कारण जगह-जगह टीला बन गया है। यह इंटेकवेल तक पानी पहुंचने में बाधक बन रहा है। गत वर्ष पीपली घाट ने इंटेकवेल तक पानी पहुंचाने के लिए 470 मीटर चैनल बनवाया था। जिसके माध्यम से पानी तो पहुंच रही थी, लेकिन झाग की समस्या जल शोधन में काफी परेशानी हुई। पैन इंडिया को शहरवासियों का विरोध झेलना पड़ा था।

अब पाइप से नहीं केनाल खोद लाया जाएगा पानी

गंगा की मुख्य धारा से वाटर वर्क्‍स तक पाइप बिछाने की योजना बनाई गई थी। बरारी पुल घाट से हनुमान घाट स्थित वाटर वक्र्स तक एक किलोमीटर पाइप बिछाकर पानी लाने के लिए 70 लाख की योजना बनाई गई थी। गंगा में डॉल्फिन की वजह से पर्यावरण विभाग से अनुमति नहीं मिल सकी। इसके कारण योजना को निरस्त करना पड़ा। दरअसल पैन इंडिया ने बुडको के आदेश की अनदेखी कर बरारी पुल घाट के बजाय लंच घाट पर पंपिंग स्टेशन बैठाने की तैयारी करने लगा। जबकि यहां नाले का पानी नदी में गिर रहा था। 12 दिसंबर को शहर में जलापूर्ति योजना की समीक्षा के लिए दिल्ली से भागलपुर पहुंचे एशियन डवलपमेंट बैंक के अधिकारी विवेक विशाल और बुडको के कार्यपालक अभियंता योगेंद्र कुमार ने पैन इंडिया के कार्यो पर आपत्ति दर्ज कराई थी।

इंटेकवेल से दूर हुई गंगा, भंडारण बनी समस्या

- पानी के साथ इंटेकवेल में पहुंच रही मिट्टी, 12 मजदूर प्रतिदिन निकाल रहे गाद

- इंटेकवेल से 50 मीटर दूरी तक चार फीट चौड़ा बनाया जा रहा चैनल

- पाइप के माध्यम से वाटर वक्र्स तक पानी पहुंचाने की योजना को बुडको ने नकारा

- इंटेकवेल से 870 मीटर की दूरी तक अब केनाल बनाने की शुरू होगी कवायद

- मात्र चार फीट रह गया है इंटेकवेल का जलस्तर, गहरा सकता है जलापूर्ति

- प्रति दिन छह इंच घट रहा नदी का जलस्तर, केनाल खोदने की तैयारी

- इंटेकवेल से पर्याप्त मात्रा में नहीं निकाली जा रही गाद, ड्राइ इंटेक एक माह से बंद

- गंगा के मुख्य स्रोत के बजाय अब पीपली धाम घाट से पानी लाने की कवायद

- परियोजना निदेशक सह अधीक्षण अभियंता के आदेश बाद भी शुरू नहीं हुआ केनाल निर्माण

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